पद्मावत के ‘हवनकुंड’ में उमर अब्‍दुल्‍ला ने भी दी ‘आहूति’, करणी सेना ने बुलाया राजस्‍थान

देशभर में संजय लीला भंसाली की फिल्‍म पद्मावत का विरोध जारी है। इस विरोध में अब जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला भी कूद पड़े हैं।

New Delhi Jan 26 : सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्‍म पद्मावत पूरे देश में रिलीज हो चुकी है। लेकिन, इस फिल्‍म को लेकर करणी सेना का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके साथ ही फिल्‍म को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। अब इसी राजनीति में नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला भी कूद पड़े हैं। उन्‍होंने फिल्‍म का विरोध कर रही करणी सेना की कड़ी निंदा की। खासतौर पर उस मामले की जिसमें गुरुग्राम में करणी सेना के लोगों ने स्‍कूली बस पर हमला कर दिया था। उमर अब्‍दुल्‍ला ने कहा कि आखिर अब क्‍यों नहीं करणी सेना के गुंडों को जीप पर बांधकर घुमाया जाता है। क्‍यों करणी सेना के गुंडों की स्‍कूल बसों और सिनेमा हॉल्‍स के बाहर परेड नहीं कराई जा रही है। सरकार की ओर से भीड़ को नियंत्रण करने का ये सराहनीय प्रयास क्‍यों नहीं उठाया जा रहा है। बीजेपी सरकार को इस मामले में जवाब देना चाहिए।

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दरसअल, उमर अब्‍दुल्‍ला ने फिल्‍म पद्मावत का विरोध कर रहे करणी सेना के लोगों की तुलना कश्‍मीर के उन पत्‍थरबाजों से की जो सुरक्षाबलों को ही अपना निशाना बनाते हैं। उमर अब्‍दुल्‍ला ने 9 अप्रैल 2017 की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें मेजर गोगोई ने लोगों की जान बचाने के लिए एक पत्‍थरबाज को जीप के बोनट पर बांध दिया था। ये घटना उस वक्‍त की थी जब कश्‍मीर में पत्‍थरबाजों का आतंक था। कश्‍मीर में चुनाव के दौरान कुछ लोगों ने आर्मी के जवानों को एक गांव में चारों ओर से घेर लिया था। लेकिन, मेजर गोगोई ने सूझबूझ का परिचय देते हुए एक पत्‍थरबाज को पकड़ लिया और उसे जीप के बोनट पर बांध दिया था। इसके बाद किसी ने भी यहां पर पथराव की हिम्‍मत नहीं जुटाई थी। मेजर नितिन गोगोई की इस कार्रवाई के लिए सेना ने उन्‍हें सराहा था लेकिन, उमर अब्‍दुल्‍ला को ये बात रास नहीं आई थी।

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इसके बाद उमर अब्‍दुल्‍ला ने इस घटना की फोटो और वीडियो शेयर कर खूब राजनीति की थी। उमर अब्‍दुल्‍ला का कहना था कि आर्मी के लोगों ने जिस शख्‍स को गिरफ्तार किया था वो पत्‍थरबाज नहीं था। जबकि आर्मी राजनीति के बाद भी नितिन गोगोई के साथ ही खड़ी रही थी। अब एक बार फिर उमर अब्‍दुल्‍ला ने इस गढ़े हुए मुर्दे को उखाड़ने की कोशिश की है। उन्‍होंने सरकार से सवाल किया है कि आखिर अब क्‍यों करणी सेना के गुंडों को जीप के बोनट पर बांधकर सिनेमा हॉल के बाहर घुमाया जाता है। उन्‍होंने कहा कि भीड़ को काबू में करने का तो ये बेहतरीन तरीका है। फिर सरकार इसे लागू क्‍यों नहीं करती। दूसरी ओर उमर अब्‍दुल्‍ला के इस बयान ने करणी सेना नाराज हो गई है। करणी सेना के नेताओं का कहना है कि अगर उमर अब्‍दुल्‍ला में तनिक भी हिम्‍मत है तो वो राजस्‍थान आकर दिखाएं। जम्‍मू-कश्‍मीर से इस तरह की भड़काऊ बातें ठीक नहीं।

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उमर अब्‍दुल्‍ला के बयान पर करणी सेना की नाराजगी खासतौर पर इस बात को लेकर है कि उनकी तुलना कश्‍मीर में आतंकियों के ग्राउंड वर्करों से की गई। जो सुरक्षाबलों को अपना निशाना बनाते हैं। बहरहाल, सीधे शब्‍दों में कहें तो पद्मावत पर राजनीति जारी है। हर दल हर नेता इसमें अपनी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकना चाहता है। चाहें वो उमर अब्‍दुल्‍ला हो या फिर ओवैसी। अभी गुरुवार को ही इस फिल्‍म के विवाद पर ओवैसी का भी बयान सामने आया था। तब उन्‍होंने भी करणी सेना के विरोध पर पूछा था कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 56 इंच की छाती कहां गई। ओवैसी का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 56 इंच की छाती सिर्फ मुसलमानों के लिए ही है। करणी सेना के सामने तो सरकार ने घुटने टेक रखें। अभी गुरुवार को ही फिल्‍म पद्मावत पूरे देश के करीब 7000 स्‍क्रीन्स पर तीन भाषाओं में रिलीज हुई है।