काबुल में आतंकी हमला, 40 लोगों की मौत, तालिबान ने जिम्मेदारी
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में करीब 40 लोगों की मौत की खबर है। तालिबान ने ये हमला किया है।
New Delhi, Jan 27: दुनिया में हर बार शांति की बात होती है। लेकिन इस बीच कुछ नापाक लोग ऐसे हैं, जो दुनिया में शांति किसी भी हाल में बहाल नहीं होने देना चाहते। मानवता से खिलवाड़ करना और बेगुनाह लोगों का खून बहाकर इन नापाक आतंकियों को चैन मिलता है। आज पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ रही है। इसके बाद भी आतंकवादी अपने मंसूबों को कामयाब करने की कोशिश में जुटे हैं। इस वक्त एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जबरदस्त बम धमाके हुए हैं। इन धमाकों में करीब 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
इस साल अफगानिस्तान के लिहाज से ये बेहद ही दुख भरी खबर है। अफगानिस्तान की राजधानी में बम धमाके से पता चलता है कि आतंकि किस हद तक क्रूरता पर उतर आए हैं। धमाके में 40 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसके साथ ही 140 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी खबर है। ये धमाका ऐसी जगह पर हुआ है, जिसके आसपास कई देशों के दूतावास भी हैं। ये धमाका प्री प्लांड था और एक एंबुलेंस में ये धमाका किया गया है। बताया जा रहा है कि एंबुलेंस में भारी संख्या में बारूद भरा था। जब एंबुलेंस एक चेक पोस्ट से गुजर रही थी, तो उसी दौरान ये धमाका हुआ। खबर तो ये भी निकलकर सामने आ रही है ये एक आतंमघाती हमला था।
वारदात वाले इलाके में कई सरकारी बिल्डिंग्स और कई देशों के दूतावास भी हैं। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है। इससे पहले भी अफगानिस्तान में तालिबान कई बार बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके है। पिछले ही हफ्ते तालिबान ने होटल इंटरकॉन्टिनेंटल के पास हमला किया था। इस हमले में भी 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। तालिबान से पाकिस्तान की स्थिरता को भी खतरा है। इस संगठन के लिए ज्यादातर पैसा सऊदी अरब से आता था। सितंबर 1995 में तालेबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात पर कब्ज़ा किया था। 1998 के आते-आते लगभग 90 फीसदी अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण हो गया था।
पिछले कुछ वक्त से अफगानिस्तान पर तालिबान का दबदबा फिर से बढ़ा है। इसके साथ ही ये संगठन पाकिस्तान में और भी ज्यादा मजबूत हो रहा है। कहा जाता है कि अफगानिस्तान में तालिबान का नेतृत्व अब भी मुल्ला उमर के हाथों में है। 1980 में सोवियत संघ की सेना के साथ लड़ते हुए उनकी एक आँख चली गई थी। एक बार फिर से तालिबान पूरे जोर के साथ वापस लौटा है। एक बार फिर से तालिबान में अफगानिस्तान में खून की नदियां बहाने का काम किया है। अमेरिका इस संगठन के खिलाफ काफी वक्त से हुंकार भर रहा है, लेकिन लग रहा है कि इस धमकी असर कुछ भी नहीं हो रहा है। काबुल में हुआ धमाका इस बात का गवाह है।