बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की राह पर कांग्रेस के सिद्धारमैया !

लग रहा है कि बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की राह पर ही कांग्रेस के दिग्गज सिद्धारमैया हैं। चुनाव से पहले वो कुछ ऐसे ही काम कर रहे हैं।

New Delhi, Jan 27: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं। इसके लिए बीजेपी तैयार है, तो कांग्रेस भी अपनी तैयारियों में जुटी है। इसके लिए कांग्रेस सिासी जमीन तैयार करने में जुटी है। देखा जा रहा है कि इस चुनाव से पहले ही बीजेपी और कांग्रेस में असली हिंदू को लेकर बयानों का दौर चल रहा है। इस सारी बहस के बीच कांग्रेस के सिद्धारमैया अब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के रास्ते पर चल पड़े हैं। हालाकि कर्नाटक में होने वाले चुनाव से पहले जो असली हिंदुस्तव का मुद्दा गर्माया हुआ है, उस बहस के केंद्र में योगी और सिद्धारमैया ही हैं। इस मुद्दे को लेकर दोनों ही मुख्यमंत्रियों की चर्चा की जा रही है। अब आपको बता देते हैं आखिर सिद्धारमैया ऐसा क्या काम कर रहे हैं।

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दरअसल वो ऐसे लोगों के खिलाफ दर्ज केसों को वापस लेने की तैयारी में हैं, जो सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं में आरोपी बने थे। इस बारे में सिद्धारमैया सरकार पुलिस विभाग को बीते दो महीने में चार बार सर्कुलर भेज चुकी है। सरकार ने पुलिस से अल्पसंख्यक और किसानों से जुड़े ऐसे केस की डिटेल्स मांगी है। सिद्धारमैया के इस कदम के बाद बीजेपी ने उन्हें हिंदुओं का विरोधी कहा था। बीजेपी भले ही सिद्धारमैया को ऐसा कह रही है लेकिन ऐसा ही कदम यूपी की योगी सरकार ने भी उठाया है। योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी नेताओं से जुड़े केस की जानकारी तमाम अधिकारियों से मांगी है।

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सरकार अधिकारियों से पूछा है कि इन नेताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के लिए क्या करना होगा। 2013 में पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगरमें दंगा हुआ था। 2013 के अगस्त और सितंबर महीने में ये दंगे हुए थे। इस दौरान 60 लोग मारे गए थे। इसके साथ ही इन दंगों के बाद 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए थे। उस वक्त यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। दंगा फैलाने के आरोप में इलाके के सभी दलों से जुड़े नेताओं पर केस दर्ज हुए थे। इस बीच 5 जनवरी को योगी सरकार ने एक बड़ा काम किया था। सरकार ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा केस में बीजेपी नेताओं के खिलाफ कोर्ट में लंबित 9 आपराधिक केस को वापस लेने की संभावना पर सूचना मांगी है।

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उधर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के दौरान कई हिंसक झड़प हुई थीं। 2015 में कर्नाटक में 250 से ज्यादा दंगों की घटनाएं हुईं।  कर्नाटक सरकार ने एक आंकड़ा जारी किया था और बताया था कि 2015 के दौरान सांप्रदायिक झड़प के आरोप में 250 से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों की गिरफ्तारियां हुईं थी। इस दौरान करीब 300 हिंदू आरोपी अरेस्ट हुए। अब सिद्धारमैया सरकार भी अल्पसंख्यकों, किसानों और कन्नड़ समर्थकों के खिलाफ दर्ज केसों को वापस लेने की बात कर रही है। जाहिर सी बात है कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की राह पर ही कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया चल पड़े हैं।