लालू यादव की पार्टी को पहला झटका, बड़ा विकेट गिरा, कई और लाइन में

लालू यादव के जेल जाने के बाद अब उनकी पार्टी में भगदड़ शुरू हो गई है। पहला बड़ा विकेट जनरल सेक्रेटरी अशोक सिन्हा के रूप में गिरा है, कई और लाइन में हैं।

New Delhi, Jan 30: लालू यादव को जिस बात का डर था वही बात सही साबित हो रही है, जब तक वो जेल नहीं गए थे, आरजेडी में बगावत की बात ही नहीं होती थी, लेकिन उनके जेल जाने के बाद से ही सारा समीकरण बदल गया है। आरजेडी में बगावत की शुरूआत हो गई है, पहला विकेट जनरल सेक्रेटरी अशोक सिन्हा के रूप में गिरा है, जो लालू के बेटे तेजस्वी यादव के काम करने के तरीके से खुश नहीं थे, उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अशोक सिन्हा ने खुल कर कहा है कि तेजस्वी यादव जिस तरह से काम कर रहे हैं उस से पार्टी को नुकसान हो सकता है। इस खबर के बाद जेल में बंद लालू यादव को झटका जरूर लगा होगा, जिस पार्टी को संभाले हुए थे, उनके बेटे उसे संभाल नहीं पा रहे हैं।

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पार्टी छोड़ते हुए अशोक सिन्हा ने जो कहा वो लालू और उनके परिवार के लिए आंखे खोलने वाला हो सकता है, अगर वो इसको समझें तो, अशोक सिन्हा ने कहा कि फिलहाल आरजेडी अप्रासंगिक हो गई है, पार्टी किस दिशा में जा रही है ये पता नही चल पा रहा है, इसलिए पार्टी में रहकर समय बर्बाद करने से बेहतर है कि इसे छोड़ दिया जाए। अशोक सिन्हा ने तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़ किए, उन्होंने कहा कि जिस तरह से लालू पार्टी को चला रहे थे, तेजस्वी उस तरह से नहीं कर पा रहे हैं। अशोक सिन्हा के इस्तीफे के बाद कहा जा रहा है कि आरजेडी के कई और नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।

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पार्टी में बड़े नेताओं को लगातार किनारे किए जाने की भी खबरें आई थीं। लालू यादव ने जेल जाने के बाद पार्टी की कमान तेजस्वी यादव को सौंप दी है। तेजस्वी के सामने पार्टी के नेताओं को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है, इस से निपटने में वो अभी तक तो नाकाम दिख रहे हैं। अशोक सिन्हा ने इस्तीफा दे कर तेजस्वी को पहला बड़ा झटका दिया है। पार्टी में चल रहे भीतराघात के साथ साथ तेजस्वी के सामने अपने वोटबैंक को बचए रखने की भी चुनौती है। तेजस्वी लालू की तरह जमनी नेता नहीं हैं, उनकी पहचान लालू के पुत्र के रूप में है, चारा घोटाले के कारण उनके पिता लालू की छवि जिस तरह से बर्बाद हुई उसके बाद अब जनता की सहानुभूति का दांव भी काम नहीं आएगा।

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लालू के जेल जाने के बाद ही तेजस्वी यादव के सामने पहली परीक्षा मुंह बाए खड़ी है, फरवरी के महीने में अररिया लोकसभा सीट समेत दो विधानसभा सीटों जहानाबाद और भभुआ में उपचुनाव होने हैं। आरजेडी सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के कारण अररिया सीट खाली हुई है। वहीं, जहानाबाद सीट आरजेडी विधायक मुद्रिका सिंह यादव के निधन और भभुआ विधानसभा सीट बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडेय के नवंबर में निधन होने से खाली है। तेजस्वी के लिए अररिया सीट को बचाना बहुत महत्वपूर्ण हैं। तस्लीमुद्दीन की सीट हारना आरजेडी के लिए प्रतीकात्मक तौर पर बड़ी हार होगी।