अरविंद केजरीवाल बीजेपी से उलझे रहे, असली खेल तो कांग्रेस ने कर दिया
अरविंद केजरीवाल अपने 20 विधायकों की सदस्यता और उपचुनाव के लिए बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं, वहीं कांग्रेस अंदर ही अंदर खेल कर गई।
New Delhi, Jan 31: दिल्ली में आम आदमी पार्टी को झटके लगते ही जा रहे हैं, उसके 20 विधायक संसदीय सचिव मामले में अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं, अब 20 सीटों पर उपचुनाव होना तय है, सरकार के पांच साल पूरा होने से पहले ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा, ये केजरीवाल के फैसलों के कारण हो रहा है।दिल्ली में उपचुनाव होने पर आम आदमी पार्टी की क्या हालत होगी, क्या बीजेपी को फायदा होगा या फिर कांग्रेस वापसी करेगी, इन सारे सवालों पर चर्चा हो रही है। आप पर दबाव इस बात का है कि उसकी 20 में से एक भी सीट कम हुई तो उसे जवाब देना भारी पड़ जाएगा, जिस तरह से दिल्ली में हालात हैं उसे देखते हुए आप अपनी लोकप्रियता बनाए रख पाएगी इस में संदेह है।
अपने कम राजनीतिक जीवन में अरविंद केजरीवाल दो बार दिल्ली में चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार 2013 में जब आप को 28 सीटें मिली थी, उसके बाद 2015 में जब आप को एतिहासिक 67 सीटों वाला बहुमत मिला था। अब एक बार फिर से चुनाव में उतरना पड़ेगा, केजरीवाल की पार्टी क्या इन 20 सीटों पर जीत पाने की स्थिति में हैं, एक सवाल ये भी है कि अपने विधायकों की सदस्यता के मामले में केजरीवाल कोर्ट की तरफ क्यों देख रहे हैं। वो हर बात पर जनता की अदालत में जाने की बात करते थे. तो अब जनता के सामने जाने के लिए वो तैयार क्यों नहीं हैं। क्यों वो चाह रहे हैं कि उपचुनाव जितना हो सके उतना देर से हों।
अब जिस मोड़ पर दिल्ली की सियासत है उस में आप के सामने विकल्प कम हैं, उपचुनाव का सामना तो करना ही पड़ेगा, अरविंद केजरीवाल ने अपने विधायकों से कहा है कि वो चुनाव की तैयारी करें। बीजेपी और कांग्रेस इस मौके का इंतजार काफी दिनों से कर रहे थे, बीजेपी ने तो राजौरी गार्डन सीट आप से छीन कर बता दिया था कि दिल्ली में आप का मैजिक कम हो रहा है, केजरीवाल के लिए दुश्मन नंबर एक बीजेपी है, अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो कांग्रेस दुश्मन नंबर एक होती, बहरहाल पिछले चुनाव के बाद से हालात काफी तेजी से बदले हैं, आप की सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है, जितने बड़े बड़े वादे उस ने किए थे, वो पूरे नहीं कर पाई है।
अब बदले हालात में कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा है, फिलहाल कांग्रेस के पास दिल्ली में एक बी सीट नहीं है, पिछले चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुल पाया था, कांग्रेस का पूरा वोटबैंक आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हो गया था, बीजेपी का वोटबैंक उसके साथ रहा, अब जबकि जनता केजरीवाल सरकार से खुश नहीं हैं तो जाहिर है कि कांग्रेस को ही सबसे ज्यादा फायदा होगा, उसका वोटबैंक धीरे धीरे उसके पास लौट रहा है, वहीं बीजेपी को भी फायदा ही होगा, उसके पास 4 विधायक हैं, उप चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी, जिस तरह से आम आदमी पार्टी विधानसभा में एकाधिकार के साथ काम करती है, वो कम होगा, विपक्ष की आवाज और तेज होगी। कुल मिलाकर केजरीवाल केवल बीजेपी पर हमला करते रहे और असली खेल कांग्रेस कर गई।