NDA में ‘फूफा’ बने चंद्रबाबू नायडू, आम बजट के बाद फुलाया मुंह
NDA में शामिल टीडीपी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। चंद्रबाबू नायडू आम बजट से खुश नहीं हैं। जिसके बाद उन्होंने मुंह फुला लिया है।
New Delhi Feb 02 : आम बजट में हर किसी को खुश कर पाना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता है। कभी नौकरीपेशा लोग कहते हैं कि हमारे लिए सरकार ने कुछ नहीं किया तो कभी बिजनेसमैन कहते हैं कि हमें कुछ नहीं मिला। यही हाल राज्य सरकारों का भी होता है। इसी बात को लेकर एनडीए में शामिल टीडीपी और बीजेपी के बीच ठन गई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को लगता है कि आम बजट में केंद्र की मोदी सरकार ने आंध्रप्रदेश की उपेक्षा की है। बजट में चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य के लिए जितनी उम्मीद लगाई थी वो उन्हें नहीं मिला है। इसी बात पर चंद्रबाबू नायडू बीजेपी से खफा हैं। गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया था और शुक्रवार को ही चंद्रबाबू नायडू ने इमरजेंसी मीटिंग कॉल कर दी। इस बीच तेलगु देशम पार्टी के एक सांसद ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का एलान कर दिया।
जानकारी के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की इस इमरजेंसी मीटिंग में तय होगा कि टीडीपी एनडीए में शामिल रहे या नहीं। हालांकि चंद्रबाबू नायडू पहले ही ये संकेत दे चुके हैं कि वो बीजेपी से दोस्ती तोड़ सकते हैं। गुरुवार को भी उन्होंने दिल्ली में मौजूद अपने सांसदों से टेलीकॉफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की थी। रविवार को तेलगु देशम पार्टी की संसदीय बोर्ड की भी मीटिंग बुलाई गई है। यानी शुक्रवार की मीटिंग में ये तय हो जाएगा कि टीडीपी एनडीए में रहेगी या नहीं। इसके बाद रविवार तक इसका औपचारिक एलान भी किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर टीडीपी के सांसद टीजी वेंकटेश ने शुक्रवार को कहा कि हम भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वॉर की घोषणा करने जा रहे हैं। टीजी वेंकटेश का कहना है कि हमारे पास सिर्फ तीन विकल्प हैं। पहला या तो हम लोग एनडीए में बने रहें। दूसरा विकल्प लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का है और तीसरा विकल्प एनडीए से दोस्ती तोड़ने का है।
जाहिर है इस सूरत में चंद्रबाबू नायडू पहले दो विकल्पों को कभी नहीं चुनेंगे। अगर टीडीपी की बीजेपी से नाराजगी है तो फिर उसका एनडीए में रहने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। वहीं टीडीपी के सांसद कह जरुर रहे हैं लेकिन, वो किसी भी कीमत पर लोकसभा से इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में टीडीपी के सामने तीसरा विकल्प ही सबसे मजबूत नजर आ रहा है। टीडीपी के सांसद टीजी वेंकटेश का कहना है कि आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के साथ हमारी रविवार को मीटिंग होगी। इस मीटिंग के बाद ही नायडू एनडीए में रहने या फिर उससे दोस्ती तोड़ने का फैसला करेंगे। अगर टीडीपी भी एनडीए से बाहर जाती है तो यकीनन चंद्रबाबू नायडू का ये फैसला बीजेपी को भारी पड़ सकता है। क्योंकि अभी 23 जनवरी को ही शिवसेना ने भी एनडीए से अलग रास्ता चुनने का फैसला कर लिया है। अगर टीडीपी भी साथ छोड़ देगी तो बीजेपी के लिए 2019 की राह कठिन हो जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि इस वक्त चंद्रबाबू नायडू बीजेपी से काफी खफा हैं। वो आम बजट में आंध्र प्रदेश के लिए फंड के आवंटन से असंतुष्ट हैं। सूत्रों का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू मीटिंग में ये कह चुके हैं कि हम जनता को बताएंगे कि बीजेपी ने कैसे बजट में आंध्र प्रदेश की उपेक्षा की है। अब भारतीय जनता पार्टी को ये तय करना है कि आखिर वो इस विवाद को कैसे शांत कराती है। जाहिर है बीजेपी नहीं चाहेगी टीडीपी एनडीए से बाहर हो। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रबाबू नायडू को काफी पसंद करते हैं। नायडू का भी एनडीए से पुराना नाता रहा है। हालांकि टीडीपी के सांसद गठबंधन तोड़ने पर आमादा हैं। उनका कहना है कि आंध्र प्रदेश की जनता के साथ आम बजट में जो अन्याय हुआ है उसका जवाब गठबंधन तोड़कर ही दिया जा सकता है। हालांकि चंद्रबाबू नायडू इस मामले को सुलझाने के भी मूड में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि बजट सत्र के खत्म होने का इंतजार किया जाए। लेकिन, पार्टी सांसदों का उन पर भारी दवाब है। देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस मामले में आखिर क्या होता है।