‘आम बजट सिर्फ मुठ्ठीभर मालदारों के लिए, युवाओं को खतरा है’

हाल ही में विुत्त मंत्री अरूण जेटली ने आम बजट पेश किया है। इस बजट को लेकर जेएनयूसू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कुछ खास बातें लिखी हैं। आप भी पढ़िए

New Delhi, Feb 03: हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा आम बजट पेश किया गया है। इस बजट को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हर कोई अपने अपने हिसाब से इस बजट को नंबर दे रहा है। इस बार का बजट गरीबों और किसानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ऐसा तमाम एक्सपर्ट्स कह रहे हैं। कोई कह रहा है कि ये बजट मिडिल क्लास के लिए बेहद बुरा रहा है और सरकार ने मिडिल क्लास का बजट में कोई ध्यान नहीं रखा है। इस बीच जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी इस बारे में कुछ बड़ी बातें लिखी हैं। आइए आपको बताते हैं कि कन्हैया कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर क्या लिखा है। आप भी पढ़िए।

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भाजपा ने वोट लिए ‘600 करोड़’ भारतीयों से और बजट बनाया मुट्ठी भर मालदारों के लिए। मोदी भाषणों में कहते हैं कि भारत किसानों का देश है। फिर आम बजट में कृषि का हिस्सा 2.38% से घटाकर 2.36% कर दिया जाता है। मोदी भारत को युवाओं का देश भी कहते हैं, इसलिए बजट में शिक्षा का हिस्सा 3.71% से 3.48% कर दिया गया। जब भी मोदी भाषण देते हैं, दिल धक से रह जाता है। क्या पता भारत को किसका देश बता दें! इसमें कोई शक नहीं कि जनता के ख़िलाफ़ साज़िश रचने वाले लोग बहुत चालाक हैं। चुनाव से पहले मीडिया में यह बात फैलाई गई कि भाजपा जीतेगी तो जनता को इनकम टैक्स भी नहीं देना होगा।

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जीतने के बाद इस पार्टी ने 250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों के टैक्स को 30% से घटाकर 25% कर दिया। मध्य वर्ग को क्या मिला? फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता और बहुत बड़ा शून्य। ढाई लाख रुपये के टैक्स स्लैब को भी नहीं बढ़ाया गया। पहले हर साल दो करोड़ नौकरी देने की बात कही गई और अब साल में 70 लाख नौकरियों का जुमला फेंका गया है। रोज़गार से याद आया कि इतने सारे पकौड़ों को हम खा पाएँगे कैसे?

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वे इतने स्मार्ट हैं कि हर साल स्मार्ट सिटी का जुमला फेंक देते हैं। मेक इन इंडिया कहकर जापानियों के लिए रोज़गार पैदा करते हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए बीमा की योजना पेश करते हैं। हम युवा तो फ़िलहाल यही कहेंगे “तेरे वादे पर जिए तो ये जान कि झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर एतबार होता”। (ये ब्लॉग कन्हैया कुमार के फेसबुक पेज से लिया गया है। ये लेखक के निजी विचार हैं।)