आपको क्रिमिनल बना रहा है भैंस का दूध ?

क्‍या भैंस का दूध पीने से आपके भीतर अपराधिक प्रवृत्ति जागृत हो रही है। क्‍या आपको गुस्‍सा ज्‍यादा आ रहा है। या फिर आपकी सहनशीलता खत्‍म हो रही है ?

New Delhi Feb 05 : दूध को हमेशा से सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है। दूध चाहें गाय का हो या फिर भैंस का। इसमें तमाम पौष्टिक तत्‍व मौजूद रहते हैं जो शरीर की जरुरतों को पूरा करते हैं। लेकिन, अब दूध का भी राजनीतिकरण हो गया है। दावा किया जा रहा है कि भैंस का दूध आपको क्रिमिनल बना सकता है। जबकि गाय का दूध आपके दिमाग को शांति पहुंचाता है। ये सनसनीखेज दावा किसी और ने नहीं बल्कि संघ परिवार के एक वरिष्‍ठ नेता ने किया है। इस नेता का दावा है कि भैंस के दूध के साथ-साथ जर्सी गाय का दूध भी अपराध की प्रवृत्ति को बढ़ा रहा है। जिसके बाद गाय और भैंस के दूध को लेकर चर्चा शुरु हो गई है। संघ के इस नेता का कहना है कि अगर आप अपने घर में एक ग्राम घी का दीया जलाएंगे तो सौ किलो ऑक्‍सीजन तैयार होगी। लेकिन, घी गाय के दूध का हो, भैंस के दूध का नहीं। अगर यही दीया तुलसी के सामने जलाया जाए तो ओजोन गैस बनती है।

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जाहिर है आप इन नेता का नाम भी जानना चाहेंगे और ये भी जानना चाहेंगे कि आखिर इन्‍होंने भैंस के दूध और जर्सी गाय के दूध को लेकर इस तरह की बातें क्‍यों की। दरसअल, ये दावा राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के वरिष्‍ठ प्रचारक शंकर लाल की ओर से किया गया है। शंकर लाल का कहना है कि भैंस और जर्सी गाय का दूध पीने से युवाओं में अपराध की प्रवृति बढ़ रही है। दरसअल, संघ के नेता का मानना है कि इन जानवरों की प्रवृत्ति तामसी है। ऐसे में इनका दूध भी तामसी प्रवृत्ति का ही होता है। शंकर लाल का कहना है कि चाहें वो भैंस का दूध हो या फिर जर्सी गाय का दूध, इन जानवरों के दूध पीने से क्रोध बढ़ता है। युवाओं की सहनशीलता खत्‍म होती है। इसी वजह से युवाओं में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ रही है। संघ के नेता शंकर लाल का दावा है कि गाय का दूध सात्विक होता है।

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गाय का दूध शक्ति प्रदान के करने के साथ ही शरीर की सहनशीलता को भी बढ़ाता है। गाय का दूध पीने से गुस्‍सा नहीं आता है। जिससे अपराधों में कमी आती है। शंकर लाल ये यहां जर्सी गाय और देसी गाय का भेद भी बताया। उनका कहना है कि दूध उसी गाय का लेना चाहिए जो देसी हो यानी भारतीय हो। जिसके सींग हो। गर्दन के ऊपर का हिस्‍सा उठा हुआ है। जिन गायों के गर्दन के पीछे का हिस्‍सा सपाट होता है वो जर्सी गाय होती हैं। संघ प्रचारक शंकर लाल का कहना है कि भारतीय और देसी गायों की चमड़ी पतली होती है और काफी सुंदर होती है। जबकि जर्सी गायों की चमड़ी भैंस की तरह मोटी और भद्दी होती है। इतना ही नहीं उन्‍होंने दावा किया देसी गाय और जर्सी गाय के पेट में पाए जाने वाले चैंबर भी अलग-अलग होते हैं। देसी गाय के पेट में चार चैंबर होते हैं। जबकि जर्सी गाय के पेट में तीन। अगर भारतीय गाय गलती से जहर भी खा ले तो उसका अंश दूध में नहीं जाता।

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ना ही गोमूत्र में जाता है और ना ही गोबर में। संघ प्रचारक का कहना है कि दूसरे धर्मों में भी गोहत्‍या पर पाबंदी है। बाइबल और कुराम में भी गौ मांस के सेवन को निषेध किया गया है। शंकर लाल कहते हैं कि हर व्‍यक्ति को भैंस के दूध की बजाए गाय के दूध का ही सेवन करना चाहिए। गाय पालनी चाहिए। क्‍योंकि ये प्रदूषण हटाने में भी सहायक होती है। राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ के नेता का कहना है कि इस वक्‍त गाय के जरिए ही अपराध मुक्‍त भारत की कल्‍पना की जा सकती है। उन्‍होंने कहा कि कभी किसी बीमार आदमी के आगे घी का दीया जला दो कभी भी वहां पर ऑक्‍सीजन की कमी नहीं होगी। गाय के दूध, मूत्र और गोबर में बहुत खूबियां हैं जो भैंस के दूध या जर्सी गाय में नहीं है। संघ परिवार का कहना है कि वो लोगों को गौपालन के लिए प्रेरित भी करेंगे। ताकि लोग गायों की सेवा के साथ-साथ रोजगार भी कर सकें। शंकर लाल का कहना है कि संघ परिवार 31 मार्च को गौ जप महायज्ञ का भी आयोजन कर रहा है।