राज्‍यसभा को ‘मछली बाजार’ बनाना चाहता है विपक्षी ?

विपक्ष ने राज्‍यसभा की कार्यवाही के बहिष्‍कार का एलान कर दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या विपक्ष सदन को मछली बाजार बनाना चाहता है ?

New Delhi Feb 06 : मछली बाजार और सब्‍जी मंडी का नजारा तो आपने देखा ही होगा। इन बाजारों में सामान बेचने के कोई नियम नहीं होते। एक ओर टमाटर बेचने की आवाज आती है तो दूसरी ओर धनिया का भाव सुनाई पड़ता। एक ओर से झींगा मछली का भाव सुनाई देता है तो दूसरी ओर रोहू का। कई बार तो सुनाई ही नहीं पड़ता कि कौन सा सामान किस भाव में बिक रहा है। बस चारों ओर चिल्‍ल-पो मची रहती है। क्‍या राज्‍यसभा में भी ऐसा ही शोर होना चाहिए। क्‍या राज्‍यसभा में इतने शोर के बाद ही देश की जनता को पता चलेगा कि विपक्ष कोई काम भी कर रहा है। दरअसल, विपक्ष राज्‍यसभा में नियमों के विरुद्ध चर्चा की मांग करता है। जिसे खारिज कर दिया जाता है। लेकिन, विपक्ष को लगता है कि सभापति उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं। उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी चिढ़ में विपक्ष ने एकजुट होकर राज्‍यसभा की कार्यवाही का ही बहिष्‍कार कर दिया।

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इतना ही नहीं विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू पर जनता के हितों से जुड़ें मुद्दे नहीं उठाने देने का आरोप लगाया है। इन्‍हीं आरोपों के साथ पूरे के पूरे विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्‍कार कर दिया। राज्‍यसभा की कार्यवाही के बहिष्‍कार का एलान कांग्रेस नेतृत्‍व में किया गया। जिसमें कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके शामिल थीं। इन नेताओं का कहना है कि सदन के भीतर इस तरह की चीजें जारी रहीं तो वो उचित कदम उठाएंगे। हालांकि उनका ये कदम क्‍या होगा इसका जिक्र विपक्ष के किसी भी नेता ने नहीं किया। राज्‍यसभा में नेता विपक्ष और कांगेस के वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्‍यसभा के सभापति वेकैंया नायडू पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो हम लोगों को लोकहित के मुद्दे पर बोलने ही नहीं दे रहे हैं। गुलाम नबी आजाद का कहना है कि ये ठीक नहीं है।

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इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने बताया कि सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर एक दिन के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्‍कार करने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि नियमों के अनुसार ही सदन की कार्यवाही चलनी चाहिए लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है। जबकि समाजवादी पार्टी के राज्‍यसभा सांसद नरेश अग्रवाल का कहना है कि सदन के भीतर जिस तरह से कार्यवाही चल रही है उससे विपक्षी दलों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि हम यहां पर लोगों की आवाज उठाने आए हैं। नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर विपक्ष को ही नहीं बोलने दिया जाएगा तो फिर संसद का क्‍या मतलब रह जाएगा। वहीं कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता आनंद शर्मा ने इसे अलोकतांत्रिक करार दिया। उनका कहना है कि हम इसके खिलाफ लिखित में देंगे। राज्‍यसभा के चेयरमैन के पास लिखित में शिकायत भेजेंगे।

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आनंद शर्मा का कहना है कि देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से आए सांसदों को सदन में बोलने ही नहीं दिया जा रहा है। वहीं बीजेपी का कहना है कि दरअसल, कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को सिर्फ सदन में हंगामा करने से ही मतलब है। ये लोग नहीं चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चले। बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये बेहद ही शर्मनाक बात है कि विपक्ष के नेता राज्‍यसभा के सभापति पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। संसद की कार्यवाही के कुछ नियम होते हैं। नियमों के तहत ही चर्चा कराई जाती है। नियमों के विरुद्ध सदन में कुछ भी नहीं किया जा सकता। विपक्ष को सदन की कार्यवाही में खलल डालने की बजाए इसे सुचारु रूप से चलाने में मदद करनी चाहिए। इससे पहले भी विपक्ष के नेताओं पर बेवजह संसद में हंगामे के आरोप लगते रहे हैं। जब प्रणब मुखर्जी राष्‍ट्रपति थे उस वक्‍त उन्‍होंने संसद में हंगामे को लेकर विपक्षी दलों को नसीहत दी थी। साथ ही इस पर गहरी चिंता भी व्‍यक्त की थी।