वामपंथियों को ‘मोदी केयर’ से चिढ़ क्यों, नरेंद्र मोदी का अंधा विरोध नए स्तर पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना ठीक है, लोकतंत्र में विरोध अच्छा है, लेकिन जब विरोध से फायदा होने के बजाय नुकसान होने लगे तो क्या किया जाए

New Delhi, Feb 07: नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनके विरोधियों की लिस्ट काफी लंबी है, विरोध लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन अंधा विरोध क्यों किया जाता है, ये समझ से परे है, विपक्ष हमेशा से मोदी सरकार की नीतियों का मजाक उड़ाता है, आरोप लगाता है कि सरकार बुरी तरह से फेल रही है। कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया जाता है तो कभी खून की दलाली की बात की जाती है, अब आम बजट में मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है, जिसे मोदी केयर के नाम से प्रचारित किया जा रहा है। ये योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना का ही नया नाम है, लेकिन इसका भी विरोध शुरू हो गया है। खास तौर पर वामपंथी नेता जिस तरह से विरोध कर रहे हैं वो सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने जैसा ही है।

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विरोधी दल खास तौर पर वामदल इस योजना को सिरे से खारिज कर रहे हैं, सवाल खड़ा किया जा रहा है कि इस योजना के लिए फंड कहां से आएगा। कांग्रेस ने तो इस योजना को जुमला करार दिया। वाम नेता सीताराम येचुरी भी इस योजना का विरोध कर रहे हैं। लेकिन उनका तर्क कुछ अलग ही है। येचुरी के मुताबिक इस योजना से राज्य सरकारों पर बोझ बढ़ जाएगा। येचुरी राज्य सरकार पर बोझ बढ़ने की बात कर रहे हैं जबकि वाम शासित केरल में विधानसभा के स्पीकर के 50 हजार के चश्मे पर विवाद हो रखा है। आप की सरकार खर्च करे तो बोझ नहीं बढ़ता है, जबकि केंद्र सरकार की योजना से बोझ बढ़ जाता है। खास बात ये है वामपंथी इस योजना के विरोध में अजीब ही तर्क दे रहे हैं।

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एक वामनेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी की ये योजना 15 लाख रूपये वाले जुमले की तरह ही है, जब उनसे ये कहा गया कि वो तो चुनावी जुमला था, लेकिन ये योजना से बाकायदा बजट में पेश की गई है। सरकारी योजना है, ये कैसे जुमला हो सकता है। इस पर वाम नेताओं का कहना है कि इस योजना में पारदर्शिता नहीं है, कुल मिलाकर बेतुके तर्क से अपने विरोध को जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है। सत्ता पक्ष का विरोध करना चाहिए लेकिन तर्कों के साथ जरूरी नहीं कि आप विपक्ष में हैं तो सरकार के हर काम का विरोध ही करना है। ऐसा भी नहीं है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद हर काम गलत ही किया है, कई ऐसे मोर्चे हैं जहां सरकार का काम काफी अच्छा है, अगर आप विरोध की हद पार कर रहे हैं तो तारीफ भी करनी चाहिए, जिस से बैलेंस बना रहे।

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वाम नेताओं और तमाम विरोधियों को शशि थरूर से सीखना चाहिए, जो कांग्रेस के नेता हैं, वो बीजेपी विरोधी हैं इस में कोई शक नहीं लेकिन फिर भी वो मोदी केयर की तारीफ कर रहे हैं, उनका सवाल उठाने का तरीका अलग है। वो इस योजना के फंड के आवंटन को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं कि इतनी बड़ी योजना के लिए ज्यादा फंड का आवंटन नहीं किया गया है। कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी का अंधा विरोध करके ये नेता जनता के सामने अपनी पोल खोल रहे हैं, नरेंद्र मोदी की सरकार के काम से जनता नाराज है, लेकिन जिस तरह से विपक्षी नेता विरोध कर रहे हैं उस से जनता को लग रहा है कि विरोध उनकी फितरत है और सरकार उतना भी गलत नहीं है जितना उसे बताया जा रहा है। विरोध दोधारी तलवार की तरह होता है, जब आपको विरोध से फायदा होने के बजाय नुकसान होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि कहीं तो कोई नब्ज है जो आप नहीं पकड़ पाए हैं।