लोकतंत्र के नाम पर नफरत का बीज बो रही है राहुल गांधी एंड पार्टी ?

राहुल गांधी और उनके नेता कहते हैं कि आज देश में लोकतंत्र खतरे में है। लेकिन, लोगों का मानना है कि खतरे में तो सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही है।

New Delhi Feb 10 : 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस पार्टी की हालत खराब है। मोदी की आंधी में कांग्रेस पार्टी ऐसी उड़ी कि विपक्ष में भी बैठने काबिल नहीं बची। अब बारी 2019 की है। राहुल गांधी एंड पार्टी को ये बात बखूबी मालूम है कि इस बार भी उनकी जीत आसान नहीं है। साथ ही डर इस बात का भी है कहीं हालात 2014 से भी ज्‍यादा बुरे ना हो जाएं। क्‍या यही वजह है कि अब राहुल गांधी एंड पार्टी ने लोकतंत्र का फर्जी राग अलापना शुरु कर दिया है। क्‍या लोकतंत्र खतरे में है कि बात कर कांग्रेस के नेता देश में नफरत का बीज बोना चाहते हैं। इस सवाल का जवाब जनता से बेहतर कोई नहीं दे सकता है। जनता खुद ब खुद ये तय कर लेगी कि असल में खतरे में है कौन। राहुल गांधी और उनकी पार्टी या लोकतंत्र। इन दिनों लोकतंत्र की सारी ठेकेदारी विपक्ष के नेताओं ने ही ले रखी है। कभी कोई मुंबई में लोकतंत्र बचाओ रैली निकालता है। तो कभी कोई बिहार में बाकायदा इसकी सीरीज चला रहा है।

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यानी विपक्ष को लगता है कि आज वो सत्‍ता से बाहर हैं और बुरी स्थिति में हैं तो लोकतंत्र भी खतरे में है। अब कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता शशि थरूर को ही ले लीजिए। नेता जी कहते हैं कि अगर संसद के दोनों सदनों में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया तो बीजेपी लोकतंत्र पर बड़ा हमला कर सकती है। इतना ही नहीं शशि थरूर के विश्‍वस्‍त सूत्र उन्‍हें ये भी बताते हैं कि बीजेपी इसकी तैयारी में है। यानी राहुल गांधी एंड पार्टी ने गजब का नाटक फैला रखा है। असल बात ये है कि जब से देश आजाद हुआ है ज्‍यादातर वक्‍त देश पर कांग्रेस पार्टी ने ही राज किया। दोनों सदनों में वो बहुमत में रही। कांग्रेस ने क्‍या किया हर बार बताने की जरुरत नहीं है। शशि थरूर के बारे में भी ज्‍यादा बाचने की कोई आवश्‍यकता है नहीं। क्‍योंकि कि देश का बच्‍चा-बच्‍चा जानता है कि वो कितने बड़े नेता हैं और किस तरह के व्‍यक्ति हैं। अगर वो खुद के ही भीतर झांक लें तो पता चल जाएगा कि लोकतंत्र को बीजेपी से ज्‍यादा खतरा किससे है।

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शशि थरूर मानते हैं कि कश्मीर पर अनुच्छेद 370 जैसे विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों पर हमला कर के बीजेपी हिंदुस्‍तान को एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का प्रयास कर सकती है। वो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी और समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों को अगले लोकसभा चुनाव में हिंदुत्‍व के प्रहार को रोकने के लिए एक साथ आना चाहिए। यहां ये भी समझ लेना बहुत जरूरी है कि आज देश में धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक की राजनैतिक परिभाषा है क्‍या। राहुल गांधी एंड कंपनी या कहें पूरे के पूरे विपक्ष की धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा सिर्फ एक संप्रदाय विशेष है। आप हिंदुओं की बात करेंगे तो सांप्रदायिक कहलाएंगे। अगर मुसलमानों की बात करेंगे तो धर्मनिरपेक्ष हो जाएंगे। क्‍या राहुल गांधी एंड कंपनी इसी परिभाषा से लोकतंत्र की रक्षा करना चाहती है। अगर ये परिभाषा है तो देश की जनता को विपक्ष के इस लोकतांत्रिक फार्मूले पर गंभीरता से विचार करना होगा।

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शशि थरूर की बीजेपी को लेकर भविष्‍यवाणियां भी गजब की हैं। वो कहते हैं मुझे लगता है कि बीजेपी का असली एजेंडा उनके दोनों सदनों के नियंत्रण में आने का इंतजार कर रहा है। वो कहते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो लोकतंत्र पर बढ़ा हमला होगा। यानी बीजेपी सत्‍ता से बाहर हो जाती है तो लोकतंत्र भी सुरक्षित हो जाएगा। अगर मोदी सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून लाती है तो वो सांप्रदायिक हो जाती है। मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करती है तो लोकतंत्र खतरे में आ जाता है। कश्‍मीर में आतंकवाद के खात्‍मे के लिए इंडियन आर्मी को खुली छूट दी जाती है तो लोकतंत्र खतरे में आ जाता है। इन हालातों में देश की जनता को ये तय करना होगा कि उन्‍हें किसका और कौन सा लोकतंत्र चाहिए। उन्‍हें आतंकियों के साथ मीटिंग करने वालों का साथ देना है या फिर उनका खात्‍मा करने वालों के साथ रहना है। जनता को ये भी तय करना होगा कि वो तीन तलाक के खिलाफ बिल का विरोध करने वाली पार्टियों का साथ देना चाहती है या फिर मुस्लिम महिलाओं को हक देने वालों के साथ। तय कीजिए कि किसके राज में लोकतंत्र खतरे में था। यूपीए के राज में या फिर एनडीए के शासन में ?