चुनाव आयोग की ‘सुप्रीम’ सिफारिश से कांग्रेस, आप, लेफ्ट के होश उड़ जाएंगे

चुनाव आयोग पर निशाना साधने वाले सियासी दलों पर अब आयोग की सिफारिश भारी पड़ेगी, आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में ये मांग की है।

New Delhi, Feb 11: हाल के दिनों में संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने की रवायत सी शुरू हो गई है, चुनाव आयोग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, इलेक्शन कमीशन सबसे आसान शिकार है राजनीतिक दलों के हमले का, खास तौर पर केंद्र की सत्ता में बीजेपी के आने के बाद से आयोग पर हमले बढ़ गए हैं। कोई भी चुनाव हो अगर बीजेपी जीती तो आयोग पर आरोप लगना शुरू हो जाता है, ईवीएम पर सवाल खड़े होने लगते हैं, जबकि बीजेपी के अलावा कोई भी पार्टी चुनाव जीते तो आयोग और ईवीएम सब ठीक, लेकिन अब इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में जो सिफारिश की है उसके बाद सभी राजनीतिक दलों के होश उड़ने वाले हैं। इलेक्श कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि गंभीर अपराध के आरोपी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगे।

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राजनीति से अपराधियों को हटाने के लिए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से ये मांग की है, साथ ही कहा है कि अगर एक नेता पर ऐसे अपराध के आरोप लगे हैं जिनमें 5 साल तक की सजा मुमकिन हो, तो उस नेता के चुनाव लड़ने पर रोक, शर्त ये है कि उस नेता पर चुनाव के 6 महीने पहले केस दर्ज हुआ हो। साथ ही आयोग ने कोर्ट से ये भी कहा है कि वो केंद्र सरकार को कानून में सुधार के लिए निर्देश दे। इलेक्श कमीशन ने अपने हलफनामे में कहा कि रेप्रिजेंटेशन ऑफ द पीपल ऐक्ट में सुधार की जरूरत है। जिस से गंभीर अपराध के मामले में मुकदमों का सामना करने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सके।

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दरअसल चुनाव आयोग राजनीतिक दलं में आंतरिक लोकतंत्र की कमी से परेशान है, आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि संसद को कानून में सुधार करना चाहिए, साथ ही सभी सियासी दलों के अंदर पारदर्शिता आनी चाहिए, इसके लिए गाइडलाइन बनाने की जरूरत है। हलफनामे में आयोग की तरफ से कहा गया है कि अगर किसी नेता के खिलाफ 5 साल से ज्यादा की सजा वाले केस में मामला चल रहा है तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जानी चाहिए, खासतौर पर तब जबअदालत ने उसके खिलाफ आरोप तय कर दिए हों। ये भी कहा गया है कि इस तरह के उपायों से राजनीति को स्वच्छ और अपराधिक तत्वों से मुक्त किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में ये मांग तो कर दी है लेकिन कोर्ट इस पर कुछ खास नहीं कर सकता है।

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इलेक्शन कमीशन की इस मांग पर केंद्र सरकार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने का दबाव बन गया है, मोदी सरकार हालांकि पहले से राजनीति के अपराधीकरण को लेकर चिंतित है, सरकार ने चुनाव सुधार की दिशा में आगे बढ़ने की पहल भी की है, लेकिन उस पर आम राय नहीं बन पाई है, फिलहाल जो कानून है उसके मुताबिक 2 साल तक की सजा पाए नेताओं के चुनाव लड़े पर रोक है। अगर आयोग की सिफारिश मान ली जाती है तो दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी, वैसे ये मांग आगे बढ़ पाएगी, इस में संदेह है, क्योंकि सभी दलों में दागी नेताओं की भरमार है, कई नेता तो ऐसे भी हैं जिन पर गंभीर मामले दर्ज है। देखना है कि केंद्र सरकार का इस पर क्या रुख रहता है।