बाज नहीं आ रहे हैं ‘फतवाबाज’, मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ जारी किया नया फतवा

देश तरक्‍की की राह पर लगातार आगे बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी आज भी महिलाओं के पीछे पड़े हैं और फतवा जारी कर रहे हैं।

New Delhi Feb 11 : क्‍या मुस्लिम महिलाओं को अपने तरीके से जीने का हक नहीं है ? आखिर क्‍यों इस्‍लाम के नाम पर उन पर इतनी पाबंदियां लगाई जाती हैं ? क्‍या मुस्लिम कट्टरपंथी महिलाओं को सिर्फ खिलौने के तौर पर इस्‍तेमाल करना चाहते हैं ? ये वो सवाल हैं जो इस वक्‍त मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ महिला समाज में उठ रहे हैं। दरसअल, मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ आए दिन कोई ना कोई नया फतवा जारी होता रहा है। कभी उनके जींस पहनने पर पाबंदी लगा दी जाती है। तो कभी मोबाइल के इस्‍तेमाल को हराम बताया जाता है। वैसे इस तरह के फतवा सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ ही नहीं जारी होते हैं। बल्कि पूरी की पूरी कम्‍युनिटी के खिलाफ जारी होते हैं। कई फतवे तो बेहद ही अजीबो-गरीब होते हैं। दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ एक नया फतवा जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि गैर मर्द से चूडि़यां पहनना हराम है।

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शुक्र की बात ये है कि इस फतवे में चूडि़यां पहनने को ही हराम नहीं बताया गया। दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाएं बाजार जाकर या कहीं भी गैर-महरम मर्दों से चूड़ियां पहनती है तो वो गलत है। दारुल उलूम देवबंद ने ये फतवा क्‍यों जारी किया जरा ये भी जान लीजिए। दरअसल, कुछ दिनों पहले दारुल उलूम देवबंद के ही एक व्‍यक्ति ने दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता डिपार्टमेंट से लिखित सवाल किया था और पूछा था कि बाजार में आम तौर पर चूड़ियां बेचने और पहनाने का काम मर्द करते हैं। मुस्लिम महिलाओं को चूडि़यां खरीदने के लिए घर से निकलना पड़ता है और चूडि़यों की नाप और उन्‍हें पहनाने के लिए अपने हाथ गैर मर्द को देने पड़ते हैं। दारुल उलूम देवबंद के इस व्‍यक्ति ने पूछा कि क्‍या मुस्लिम महिलाओं का गैर मर्दों से चूडि़यां पहनना जायज है, या इस्‍लाम में हराम है।

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इसी सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों ने कहा कि अगर कोई भी मुस्लिम महिला गैर मरहम मर्द से चूड़ी पहनती है तो ये पूरी तरह नाजायज है। इतना ही नहीं इसे इस्‍लाम में गुनाह करारा दिया गया है। इसके साथ ही दारुल उलूम देवबंद ने इसी पर एक फतवा भी जारी कर दिया। जिसमें कहा गया है कि अगर मुस्लिम औरत का चूड़ी पहनाने वाले मर्द से खून का रिश्ता न हो तो वो ऐसे मर्दों के हाथों से चूड़ी पहनने के लिए घर से भी बाहर नहीं निकल सकते हैं। अगर वो ऐसा करती हैं तो इसे गुनाह माना जाएगा। इसके पीछे दलील दी गई है कि मुस्लिम महिलाओं का हर उस मर्द से पर्दा होता है जिससे उसका खून का रिश्‍ता ना हो। दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी करते हुए कहा कि ये बातें इस्‍लामी शरीयत में हैं। दारुल उलूम देवबंद का इफ्ता डिपार्टमेंट ही फतवा जारी करता है। फतवे में कुछ और बातें भी कही गई हैं।

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दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता डिपार्टमेंट की ओर से जारी फतवे में मुस्लिम महिलाओं को सलाह दी गई है कि वो बाजार से खुद चूडि़यां मंगवाएं और उन्‍हें खुद के ही हाथों से पहने। पराए मर्द से ना पहनें। दारुल उलूम देवबंद का ये फतवा कहता है कि मुस्लिम महिलाओं का चूडि़यां पहनना गलत है। हालांकि कई सामाजिक और मुस्लिम महिलाओं के संगठनों का कहना है कि उन पर इतनी भी पाबंदी ठीक नहीं। सभी को अपने सोच बदलने की जरुरत है। इस फतवे से पहले दारुल उलूम देवबंद ने अभी दो दिन पहले भी एक फतवा जारी किया था जिसमें उसने जान माल और संपत्ति का बीमा कराना भी हराम बताया था। दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि जान माल और संपत्ति दोनों का ही बीमा कराना इस्‍लाम की रोशनी में गैर शरई है। बीमा से मिलने वाले फायदे को सूद की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए उलेमा इसे गैर शरई मानते हैं। इससे पहले भी दारुल उलूम देवबंद के कई फतवों में विवाद हो चुका है।