सरदार पटेल ने कहा जरुर था कि 6 महीने में कश्मीर समस्या का समाधान कर देते, लेकिन कैसे ?

सभी तथ्य इस बात की गवाही देते हैं कि नेहरू कश्मीर को लेकर बहुत संवेदनशील थे और किसी भी सूरत में पाक के हिस्से नहीं सौंपना चाहते थे। 

New Delhi, Feb 13 : अगर पटेल पीएम होते तो क्या होता ?
कश्मीर का एक हिस्सा पाक के क़ब्ज़े में नहीं जाता .
कश्मीर का हमेशा के लिए समाधान हो जाता।
पीएम समेत बीजेपी के तमाम नेता ऐसी ही दलीलें देकर नेहरू को नीचा दिखाने की कोशिशें करते रहे हैं।

Advertisement

अब ज़रा देखिए कि इतिहास क्या कहता है ? 
आज़ादी के दो महीने पहले 18 से 23 जून के बीच लॉर्ड माउंटबेटन कश्मीर दौरे पर गए थे, माउंटबेटन ने तब कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को कहा था – ‘ If Kashmir joined Pakistan, this would not be regarded as unfriendly by the government of india ‘
लॉर्ड माउंटबेटन ने ये भी कहा था कि उन्हें ये भरोसा खुद सरदार पटेल ने दिया है .
( इसका ज़िक्र माउंटबैटन के पूर्व सलाहकार वीपी मेनन ने अपनी किताब में किया है )
पटेल के राजनीतिक सचिव वी शंकर के मुताबिक़ पटेल की राय थी कि Kashmir का फ़ैसला वहाँ के राजा पर छोड़ देना चाहिए, अगर राजा तो लगता है कि कश्मीर का हित पाकिस्तान के साथ जाने में है तो वो उनके रास्ते में बाधक नहीं बनेंगे। 

Advertisement

उस समय के सभी साक्ष्य और संवाद का लब्बोलुआब ये हैं कि कश्मीर को पटेल बड़ी परेशानी की सबब मान रहे थे और इस राय के हो गए थे कि अगर मुस्लिम बहुल Kashmir को जाना हो जाए लेकिन जूनागढ़ और हैदराबाद किसी भी सूरत में हाथ से न निकले।
पटेल की जीवनी लिखने वाले राजमोहन गांधी के मुताबिक Kashmir को लेकर पटेल का हल्का रवैया आज़ादी के बाद 12 सितंबर 1947 तक रहा। उसी दिन पटेल ने भारत के पहले रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा था कि ‘ If Kashmir decides to join the other dominion , he would accept the fact ‘ 

Advertisement

सभी तथ्य इस बात की गवाही देते हैं कि नेहरू कश्मीर को लेकर बहुत संवेदनशील थे और किसी भी सूरत में पाक के हिस्से नहीं सौंपना चाहते थे।
बाद के दिनों में पटेल ने कहा ज़रूर था कि वो छह महीने में कश्मीर समस्या का समाधान कर देते लेकिन कैसे ? इसका जवाब पटेल ने भी कभी नहीं दिया था। उन्होंने जनवरी 1948 के एक भाषण में ये भी कहा था कि हम एक इंच ज़मीन नहीं छोड़ेंगे। पटेल की क्षमता, दक्षता अतुलनीय थी लेकिन मुस्लिम बहुल कश्मीर में बवाल को देखते हुए कश्मीर में उनकी शुरुआती दिलचस्पी नेहरू के मुक़ाबले कम थी।
गांधी ने भी कहा है – ‘ Kashmir was Nehru’s baby and Vallabhbhai made no move to pick it up ‘
( नोट – वीपी मेनन और शंकर वामपंथी इतिहासकार नहीं , सलाहकार थे )

(वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)