‘टेंपल रन’ के बाद राहुल गांधी का ‘दरगाह रन’, गिनती शुरू, कितना स्कोर होगा देखिए

ये नया वर्जन है, इस में टेंपल रन के साथ साथ दरगाह रन भी इनबिल्ट कया गया है, मुख्य भूमिका में राहुल गांधी हैं, गिनती शुरू हो गई है, देखिए कितना स्कोर होता है।

New Delhi, Feb 13: सभी लोग सावधान हो कर बैठ जाएं, अब आपके सामने शुरू होने वाला है टेंपल रन पार्ट टू, जी हां साहिबान जिन लोगों ने गुजरात में टेंपल रन पार्ट 1 नहीं देखा उनके लिए खास तौर पर पेश है टेंपल रन 2, इस बार इस में कुछ नए फीचर जोड़े गए हैं, टेंपल रन के साथ साथ दरगाह रन भी चलता रहेगा, लोकेशन इस बार गुजरात से शिफ्ट हो कर कर्नाटक हो गई है, प्रमुख भूमिका में इस बार भी राहुल गांधी हैं। जिन्होंने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान दर्जनों मंदिर में माथा टेका, सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ी, वही राहुल कर्नाटक में जीत के लिए दरगाह रन शुरू कर चुके हैं, ये टेंपल रन का ही छोटा हिस्सा है।

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कांग्रेस शासित कर्नाटक में कांग्रेस बैकफुट पर है, गुजरात से यहां के समीकरण बिलकुल जुदा हैं, गुजरात में सॉफ्ट हिंदुत्व और तीन तिलंगों के सहारे कांग्रेस ने बीजेपी को टक्कर दी थी. लेकिन कर्नाटक में ना तो सॉफ्ट हिंदुत्व काम आएगा और ना ही यहां पर तीन बैसाखियां हैं, ऐसे में राहुल के सामने फिर से अपने पुराने फॉर्मूले पर लौटने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था, कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिंगा चुनावी राजनीति में काफी असर रखते हैं, इनके अलावा दलित और मुस्लिम भी हैं, एक आंकड़े के मुताबिक राज्य में मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है, वो राज्य की कुल जनसंख्या का साढ़े 12 फीसदी के करीब हैं। मुस्लिमों को कांग्रेस का परंपरागत वोटबैंक माना जाता है। तो उनको रिझाने के लिए राहुल ने दरगाह रन भी शुरू कर दिया है।

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कर्नाटक में वोटबैंक की बात करें तो दलित समुदाय सबसे बड़ा वोटबैंक है, लगभग 24 फीसदी दलित हैं. इनको साधने के लिए जिग्नेश मेवाणी पहले से कांग्रेस के पक्ष में उतर गए हैं। मुस्लिम आबादी के लिए राहुल गांधी दरगाह रन कर रहे हैं। वो कर्नाटक के रायचुर से गुंज सर्कल पहुंचे और यहां पर दरगाह पर चादर चढ़ाई, इसके अलावा राहुल गुलबर्गा में ख्वाजा बंदा नवाज की दरगाह पर भी जाएंगे। दरगाह जाने पर कोई एतराज नहीं है, कोई भी जा सकता है, लेकिन आंखें तब चौड़ी होती हैं जब सियासी फायदे के लिए धर्म का सहारा लिया जाता है, राहुल गुजरात में किसी भी दरगाह पर नहीं गए थे, क्या वहां पर मुस्लिम आबादी नहीं है. क्या वहां के मुसलमानों के वोट कांग्रेस को नहीं चाहिए थे।

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इसका जवाब ये है कि गुजरात में कांग्रेस खुद को मुस्लिमों के साथ नहीं दिखाना चाहती थी, गुजरात में हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए राहुल ने कई मंदिरों के दर्शन किए। टेंपल रन के चक्कर में राहुल ने अपने लिए वो मुसीबत खड़ी कर ली है जिसका उनको अंदाजा नहीं है, मंदिर या फिर दरगाह कोई भी जा सकते है, लेकिन सवाल कई तरह के खड़े होंगे, जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार है वहां के ज्वलंत मुद्दों की बात राहुल नहीं कर रहे हैं। वो दरगाह जा रहे हैं, मंदिर जा रहे हैं, मोदी पर हमला कर रहे हैं। सवाल पूछ रहे हैं, लेकिन खुद सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं, इतने सवाल हैं कि राहुल परेशान हो जाएंगे जवाब देते, इसलिए वो हमला करके निकल जाने में यकीन करते हैं, गुरिल्ला वार जिस में कोई जवाबदेही नहीं है।