रोटोमैक कंपनी का मालिक विक्रम कोठरी भी 500 करोड़ रुपए लेकर हुआ गायब

पीएनबी महाघोटाले के बीच अब रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठरी का मामला सामने आ गया है। जो 500 करोड़ रुपए का लोने के बाद गायब है।

New Delhi Feb 18 : पंजाब नेशनल बैंक के 11 हजार 300 करोड़ के महाघोटाले के शोर के बीच कानपुर में भी बैंकिंग घोटाले की सुगबुगाहट सुनाई पड़ रही है। बताया जा रहा है कि रोटोमैक कंपनी का मालिक विक्रम कोठारी पांच सरकारी बैंकों से करीब 500 करोड़ रुपए का लोन लेने के बाद से गायब है। रोटोमैक पेन बनाने वाले सबसे मशहूर कंपनी है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक विक्रम कोठारी ने काफी पहले सरकारी बैंकों से पांच सौ करोड़ रुपए का लोन लिया था। लेकिन, काफी वक्‍त बीत जाने के बाद भी उसने लोन की इस रकम को नहीं लौटाया। सबसे बड़ी बात ये है कि रोटोमैक कंपनी का मालिक विक्रम कोठारी इस वक्‍त कहां है किसी को नहीं पता। ऐसे में इस केस को लेकर भी तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। जाहिर है अगर विक्रम कोठारी बैंकों का पैसा नहीं लौटा पाते हैं कि कानूनी तौर पर बैंक उनकी संपत्तियों पर कब्‍जा कर उनकी नीलामी कर देगी। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि क्‍या इससे बैंकों की भरपाई हो पाएगी।

Advertisement

दरअसल, रोटोमैक कंपनी का दफ्तर कानपुर के माल रोड पर है। विक्रम कोठारी का ये दफ्तर सिटी सेंटर में ही बना हुआ है। लेकिन, रोटोमैक कंपनी का ये दफ्तर काफी दिनों से बंद पड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया जा रहा है कि विक्रम को ये लोन नियमों को ताक पर रखकर दिया गया। देशभर में कोठारी ग्रुप का बड़ा नाम है। विक्रम कोठारी कौन है जरा ये भी जान लीजिए। दरअसल, आप सभी ने पान पराग का नाम जरूर सुना होगा। विक्रम कोठारी पान पराग के संस्‍थापक एमएम कोठारी के बेटे हैं। एमएस कोठारी की मौत के बाद विक्रम ने स्‍टेशनरी का बिजनेस शुरु कर दिया था। रोटोमैक कंपनी से उन्‍होंने अपने इस बिजनेस की शुरुआत की। जिसमें वो पेन और स्‍टेशनरी के अलावा ग्रीटिंग्‍स कार्ड्स भी बनाते हैं। देखते ही देखते देशभर में रोटोमैक का नाम हो गया। इसके साथ ही विक्रम भी अपने पिता की तरह मशहूर हो गए।

Advertisement

पंजाब नेशनल बैंक का महाघोटाले सामने आने के बाद विक्रम कोठारी को भी लोन देने वाले बैंक सकते में हैं। उन्‍हें समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्‍या करें। विक्रम का भी कोई पता ठिकाना नहीं है। आरोप तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि सरकारी बैंक ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर विक्रम को ये भारी-भरकम लोन दिया। यूनियन बैंक के मैनेजर पीके अवस्थी का इस पूरे मामले पर कहना है कि उनके बैंक का विक्रम पर 485 करोड़ रुपए का लोक है। लोन की रिकवरी को लेकर उनके खिलाफ एनसीएनटी के तहत कार्रवाई चल रही है। बैंक कोठारी की संपत्तियों को जब्‍त कर उन्‍हें बेचने की तैयारी में है। विक्रम ने इलाहाबाद बैंक से भी 352 करोड़ रुपए का लोन हुआ है। इस पैसे को भी उसने नहीं भरा। इलाहाबाद बैंक के अधिकारियों का भी यही कहना है कि लोन चुकता ना होने की सूरत में उसकी प्रॉपर्टी को बेचकर पैसों की रिकवरी की जाएगी।

Advertisement

लेकिन, गौर करने वाली बात ये है कि क्‍या सभी बैंक मिलकर विक्रम कोठारी से पांच सौ करोड़ रुपए की रिकवरी कर पाएंगे। जाहिर है अगर उसकी प्रॉपर्टी को जब्‍त कर उन्‍हें बेचा भी जाता है तो भी इतनी बड़ी रकम की भरपाई मुश्किल है। इस केस में भी पंजाब नेशनल बैंक की तरह ये सवाल उठने लगे हैं कि आखिर वो कौन लोग हैं जिन्‍होंने नियमों को ताक पर रखकर विक्रम को इतना भारी भरकम लोन दिया। क्‍या उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। पंजाब नेशनल बैंक में भी कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से ही नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के फेवर में लेटर आफ अंडरटेकिंग बनाई जाती थी। जिसकी मदद से ये लोग विदेशी बैंकों की शाखाओं से लोन लिया करते थे। ऐसे करते-करते ये घोटाला 11 हजार 300 करोड़ तक पहुंच गया। देखिए बैंकिंग सेक्‍टर के महाघोटाले के पार्ट टू में क्‍या होता है। कौन पकड़ा जाता है और क्‍या खुलासे सामने आते हैं।