महबूबा मुफ्ती ये तेरी कैसी माया ? पत्‍थरबाजों पर ‘रहम’, शहीदों के परिजनों पर ‘सितम’

जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ एक शहीद के परिजनों का गुस्‍सा फूट पड़ा है। जानिए क्‍या दर्द है शहीद के परिवारवालों का।

New Delhi Feb 19 : जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती को कश्‍मीर के पत्‍थरबाजों की तो खूब चिंता है लेकिन, शहीदों के परिजनों का दर्द उन्‍हें नहीं दिखता। इसी बात को लेकर एक शहीद के परिजनों का गुस्‍सा महबूबा मुफ्ती पर फूटा है। आर्मी के हवलदार रोशनलाल के परिजनों ने महबूबा मुफ्ती पर कई सवाल खड़े किए हैं। शहीद हवलदार रोशनलाल की बिटिया अर्तिका का कहना है कि मुफ्ती जी को तो सिर्फ कश्‍मीर ही नजर आता है। उन्‍हें जम्‍मू नहीं दिखाई पड़ता। अर्तिका का कहना है कि ऐसे नेताओं से हम क्‍या उम्‍मीद करें। शहीद के परिजन इस बात से भी नाराज है कि जिस व्‍यक्ति ने देश की खातिर अपनी जान दे दी वहीं मुख्‍यमंत्री ने परिवारवालों से फोन पर भी बात करना मुनासिब नहीं समझा। रोशनलाल इंडियन आर्मी में हवलदार पद पर तैनात थे। उनकी पोस्टिंग राजौरी में थी। चार फरवरी को पाकिस्‍तान की ओर से की गई फायरिंग में रोशनलाल शहीद हो गए। उनकी मौत भिंबर गली सेक्‍टर में हुई थी।

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शहीद हवलदार रोशनलाल का परिवार महबूबा मुफ्ती से इस कदर नाराज है कि वो कहते हैं कि देश में सिर्फ सियासत हो रही है। शहीदों के परिजनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। रोशनलाल के रिश्‍तेदार मुरारीलाल का कहना है कि महबूबा मुफ्ती की सरकार पत्‍थर मारने वालों को नौकरी दे रही हैं। इन लोगों को घर बना के देते हैं। जो बच्‍चे देश की खातिर अपनी जान दे रहे हैं, शहीद हो रहे हैं उनके लिए इन लोगों के पास वक्‍त तक नहीं है। दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले ही प्रदेश की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एलान किया था कि वो कश्‍मीर के पत्‍थरबाजों के ऊपर दर्ज मुकदमें वापस लेंगी। नाराजगी इसी बात को लेकर है। तभी तो रोशनलाल के रिश्‍तेदार मुरारी लाल कहते हैं कि सरकार शहीदों को लेकर पूरी तरह बेपरवाह है। किसी को भी उन बच्‍चों की कोई परवाह नहीं है जो सीमा पर अपनी जान गंवा रहे हैं। सरकार को उनके लिए भी कुछ करना चाहिए।

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जाहिर है देश के हर शहीद का परिवार चाहता है कि कम से कम उसे सरकारों की ओर से पूरा सम्‍मान मिले। शहीद का पूरा सम्‍मान हो, सिर्फ राजनीति ना हो। लेकिन, सबसे अफसोसनाक बात ये है कि इन सब के बाद भी इस तरह के मसलों पर नेता राजनीति करने से बात नहीं आते। कभी पीडीपी राजनीति करती है तो कभी नेशनल कांफ्रेंस। अब सुंजवान आर्मी कैंप पर हुए आत्‍मघाती हमले को ही देख लीजिए। यहां पर फिदायीन आतंकियों ने हमला कर दिया था। दो दिन तक कैंप के भीतर ऑपरेशन चला था। छह जवान इस हमले में शहीद हो गए थे। लेकिन, इस हमले को लेकर नेशनल कांफ्रेंस का एक विधायक जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में खड़े होकर पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगा था। सबसे बड़ी बात ये है कि फारुख अब्‍दुल्‍ला ने अपनी ही पार्टी के उस विधायक के बयान से खुद को अलग तो कर‍ लिया था लेकिन, कार्रवाई आज तक नहीं की।

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हकीकत ये है कि चाहें पीडीपी हो या फिर नेशनल कांफ्रेंस, दोनों ही कश्‍मीर में अपनी राजनीति को तलाशते हैं। दोनों को लगता है कि कहीं वो घाटी में कमजोर ना पड़ जाएं। शायद यही वजह है कि महबूबा मुफ्ती शहीदों की बजाए पत्‍थरबाजों और पाकिस्‍तान से बात करने की वकालत करती हैं तो दूसरी ओर फारुख अब्‍दुल्‍ला सरीखे नेताओं के चेले विधानसभा के भीतर पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। कश्‍मीर की इस घटिया राजनीति में शहादत को पैरों तलें रौंद दिया जाता है। सवाल उठने लाजिमी हैं कि क्‍या वाकई महबूबा मुफ्ती इतनी व्‍यस्‍त हैं कि वो जम्‍मू में एक शहीद के परिजनों से फोन पर बात कर उन्‍हें दिलासा दे सकें। क्‍या वाकई महबूबा इतनी व्‍यस्‍त हैं कि वो जम्‍मू आ ना सकें। जबकि वो इस राज्‍य की मुखिया हैं। जम्‍मू भी उसी राज्‍य का हिस्‍सा है जहां कश्‍मीर है। फिर शहीदों के परिजनों की अनदेखी क्‍यों? कौन देगा इन सवालों के जवाब।