राम मंदिर पर योगी आदित्‍यनाथ ने दिया बड़ा बयान, जानेंगे नहीं क्‍या कहा ?

राम मंदिर पर उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि ये मसला हमारे लिए आस्‍था का मुद्दा है।

New Delhi Feb 20 : राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद इस वक्‍त सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। माना जा रहा है कि इस बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हुई तो ये विवाद निपट कर ही बाहर आएगा। इस बीच कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के बाहर भी राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अदालत के बाहर ये मामला निपटता हुई नजर नहीं आ रहा है। इन सब के बीच उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी राम मंदिर के मसले पर बड़ा बयान दिया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्‍यू में योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि राम मंदिर हमारे लिए राजनैतिक मुद्दा नहीं है। बल्कि ये मामला आस्‍था का मुद्दा है। हालांकि उनका मानना है कि ये मामला अभी अदालत में विचाराधीन है ऐसे में इस पर किसी भी तरह की टिप्‍पणी करना ठीक नहीं होगा। फिर भी योगी आदित्‍यनाथ कहते हैं कि इस विवाद को बातचीत या फिर आपसी सहमति से नहीं सुलझाया जा सकता है।

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दरसअल, आजतक न्‍यूज चैनल को दिए खास इंटरव्‍यू में योगी आदित्‍यनाथ से जब 2019 के लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के मुद्दे को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि राम मंदिर का मुद्दा हमारे लिए ना तो चुनावी मुद्दा है और ना ही राजनीतिक मुद्दा हो सकता है। योगी ने कहा कि राम मंदिर हमारे लिए अस्‍था का मुद्दा हो सकता है। रही बात चुनावी मुद्दों की तो बीजेपी के पास विकास और सुशासन के मुद्दे हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव इन्‍हीं मुद्दों पर लड़ा जाएगा। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही दिशाओं पर काम कर रहे हैं। इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने राम मंदिर के मसले को लेकर कुछ और भी बातों का जिक्र किया। योगी आदित्‍यनाथ का कहना था कि इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। इसलिए सरकार की ओर से इस पर बोलना ठीक नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि अगर अदालत की ओर से इस केस में सरकार की राय मांगी जाएगी तो हम अपनी राय जरूर रखेंगे।

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इस मौके पर उन्‍होंने कहा कि अगर ये विवाद बातचीत से हल होने वाला होता तो कब का हल हो चुका होता। दरसअल, इस वक्‍त आध्‍यात्मिक गुरु और आर्ट आफ लीविंग के संस्‍थापक श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर के विवाद को अदालत के बाहर सुलझाने की पहल की है। इस सिलसिले में वो लगातार हर समुदाय के लोगों से मिल रहे हैं। पक्षकारों से भी बातचीत की जा रही है। श्रीश्री रविशंकर ने सबसे पहले उत्‍तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी से मुलाकात की थी। ये मीटिंग काफी सकारात्‍मक रही थी। वसीम रिजवी इस बात के लिए तैयार हो गए थे कि अयोध्‍या में विवादित जमीन पर राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए। हालांकि इससे पहले भी शिया वक्‍फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश कर चुका है कि विवादित जमीन पर उसका हक है। लेकिन, सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड शिया वक्‍फ बोर्ड की राय से सहमत नहीं है। सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड का कहना है कि इस मामले तो शिया वक्‍फ बोर्ड को कुछ बोलने तक का अधिकार नहीं है।

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इसके बाद श्रीश्री रविशंकर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्‍जीक्‍युटिव मेंबर मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी से मुलाकात की थी। इसके बाद मौलाना नदवी ने भी समझौते के तीन फार्मूले सुझाए थे। लेकिन, ये बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नागवार गुजरी थी। इस मुलाकात के बाद ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी को बोर्ड से बर्खास्‍त कर दिया था। जिसके बाद नदवी ने कहा था कि AIMPLB में कट्टरपंथियों की भरमार हो गई है। बोर्ड में तानाशाही शुरु हो गई है। नदवी का कहना था कि वो इस मामले को सुलझाने के लिए बोर्ड से बर्खास्‍त होने के बाद भी अपनी कोशिशें जारी रखेंगे। राम मंदिर के विवाद को लेकर श्रीश्री रविशंकर ने बहुत पहले योगी आदित्‍यनाथ से भी मुलाकात की थी। उस वक्‍त भी उन्‍होंने कहा था कि अब इसका कोई फायदा होने वाला है। आपसी सहमति से ये मामला नहीं सुलझेगा।