तब भाजपा हारेगी ही नही उसकी जमानत भी जब्त होगी

जो क्षेत्र भाजपा की रीढ़ मानी जाती है और जिसके जनप्रतिनिधि विगत 28 वर्षों से यहाँ जीत का परचम लहराते रहे हैं , और जिसकी सरकार सूबे व केद्र दोनों जगह काबिज है

New Delhi, Feb 22 : श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के हजारों साल की सभ्यता अपने गर्भ में समेटे परिक्षेत्र को विकास के नाम पर ध्वस्त करने के भाजपा की कुत्सित योजना के विरोध में काशी धरोहर बचाओ संघर्ष समिति की पिछले रविवार को नीलकंठ में हुई बैठक और जुलूस में न सिर्फ आम जनता की जबरदस्त भागीदारी रही बल्कि नगर के राजनीतिक दलों का भी पुरजोर समर्थन मिला था. आभारी है समिति विशेष रूप से कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी की कि जिसके स्थानीय वरिष्ठ नेताओं ने अपना अमूल्य समय निकाल कर हमारे कंधे से कंधा मिलाया. 

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अफसोस ! जो क्षेत्र भाजपा की रीढ़ मानी जाती है और जिसके जनप्रतिनिधि विगत 28 वर्षों से यहाँ जीत का परचम लहराते रहे हैं , और जिसकी सरकार सूबे व केद्र दोनों जगह काबिज है, उसके अहंकारी नेताओ का मौन और इस घोर संवेदनशील मुद्दे से उनकी दूरी सबसे ज्यादा सालने वाली रही है अभी तक. हिदुत्व के स्वयं को झंडाबरदार का दावा करने वाली भाजपा और उसके मातृ संघटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को तो मानो मुंह मे लकवा मार गया है. कई वरिष्ठ नेताओं को मैंने पहले ही चेता दिया था कि यदि इस साजिश के तहत कोई तोड़ फोड़ हुई तो वह मेरी लाश पर ही होगी. वे जानते है मेरे अंशदानो को मगर फिर भी मौन हैं ?

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यह विडम्बना नही तो और क्या है कि जिस दल के लिए आधी सदी कुर्बान की उसी के सामने सिर पर कफन बाँध कर खड़े होना पड रहा है. मैं इस दल को जनसंघ के समय से जानता हूँ और यदि मैंने सही पहचाना तो नही लगता कि काशी की इस अमूल्य धरोहर को मिटाने का महापाप इस दल की सरपरस्ती मे होगा. मुझे न जाने क्यों लग रहा है कि ऐसा नही होगा. मगर यदि यह साजिश सफल हो गयी तो इसका नकारात्मक असर सिर्फ काशी या प्रदेश ही नही वरन पूरे देश पर पडेगा. मेरी चुनौती है कि यह प्रकरण 2019 मे एनडीए को ले डूबेगा. महादेव के भक्तों का श्राप भाजपा को हराएगा ही नही, उसके प्रत्याशियों की काशी मे जमानत भी जब्त करा देगा.

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शहर दक्षिणी का मदान्ध भाजपा विधायक जो राज्य मंत्री भी है और जिसने एक फोन तक करने की जहमत नहीं उठायी उसका क्या बुरा हश्र होगा 2022 मे यह समझा जा सकता है. Varanasi1सात बार के विधायक रह चुके और हमारे पुराने साथी श्यामदेव राय चौधरी का इस मुद्दे पर हाथ खडा कर लेना हर किसी की समझ से परे है. जो शख्स हर समस्या पर आगे रहा करता था, वह कैसे रणछोड हो गया ? दादा, सुन रहे है न.
मेरा तो अंत मे यही कहना है कि “जो भी तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध”.

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)