आर्मी चीफ के बयान पर घमासान, ओवैसी के बाद बदरुद्दीन भी भूले औकात !

आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के बयान पर घमासान मच रहा है । असदुद्दीन ओवैसी के बाद अब बदरूद्दीन ने भी उन्हें लेकर बड़ी बातें बताई हैं।

New Delhi, Feb 23: आर्मी चीफ बिपिन रावत को नसीहन देने वाले असदुद्दीन ओवैसी के बाद बदरुद्दीन ने भी बड़ी बातें कही हैं। दरअसल आर्मी चीफ ने बांग्लादेशियों की घुसपैठ को लेकर बयान दिया था। आपको बता दें कि सेना प्रमुख ने असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में बढ़ोतरी की खबरों का हवाला दिया था। आर्मी चीफ ने कहा था कि ‘AIUDF असम में तेजी से बढ़ रही है।’ उन्होंने कहा था कि ये दल विशेष समुदाय के लोगों के पैरोकार है, जो 2005 में बना था। उन्होंने कहा था कि ‘’लोकसभा में इस पार्टी के तीन सांसद हैं और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं।’’ इसके साथ ही आर्मी चीफ ने कहा था कि पूर्वोत्तर में बांग्लादेशियों का प्रवासन चल रहा है और इसमें बांग्लादेश और चीन का हाथ भी है।

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साफ तौर पर उनका कहना है था कि AIUDF भी इस मामले में चीन और बांग्लादेश का साथ दे रही है। अब AIUDF के चीफ बदरुद्दीन ने कहा कि ये देश के आर्मी चीफ द्वारा राजनीतिक बयान है। बदरुद्दीन कहा कि केंद्र सरकार यहां एक-एक शख्स की जांच कराए और बांग्लादेश गठन के बाद आए लोगों को वापस भेजे। बदरुद्दीन का कहना है कि इस मामले से उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचा है। इससे पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपनी हद लांघते हुए नजर आए हैं और आर्मी चीफ को ही नसीहत देनी शुरु कर दी। ओवैसी का कहना है आर्मी चीफ को राजनैतिक बयानबाजी से दूर रहना चाहिए। इसके ठीक उलट सोशल मीडिया पर आर्मी चीफ को समर्थन मिल रहा है।

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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्‍या बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आवाज उठाना या उस पर बयान देना राजनीति है? ओवैसी की गिनती उन नेताओं के तौर पर होती है जो हमेशा अलगाव को बढ़ावा देते हैं। वो एक सांप्रदाय विशेष की राजनीति करते हैं। ओवैसी अकसर अपने बयानों को लेकर विवादों और सुर्खियों में रहते हैं। दरअसल, आर्मी चीफ बिपिन रावत ने देश में बांग्‍लादेशी घुसपैठ को लेकर ना सिर्फ चिंता जाहिर की थी बल्कि उस पर एक बयान भी दिया था। लेकिन, ये बयान ओवैसी को पसंद नहीं आया। ओवैसी ने कहा कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और देश का संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता है।

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ओवैसी का कहना है कि आर्मी एक निर्वाचित नेतृत्व के अंतगर्त काम करती है। ऐसे में उन्‍हें समझना चाहिए और राजनैतिक मसलों से दूर रहना चाहिए। ओवैसी के इस बयान के बाद उनकी जमकर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि वो आर्मी के काम में दखल ना दे तो बेहतर होगा। दरअसल, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि देश में बांग्‍लादेशियों की घुसपैठ बड़ी समस्‍या बनती जा रही है। इस तरह की घुसपैठ देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रही है। दूसरी हकीकत ये है कि बांग्‍लादेशी घुसपैठिए आसानी से देश में अपनी सरकारी पहचान हासिल कर लेते हैं। आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान से इतना तो तय है कि ओवैसी और बदरुद्दीन को आग जैसी लगी है।