आम आदमी पार्टी की साख बुर्ज खलीफा से डीडीए बिल्डिंग तक गिर गई

पिछले तीन सालों में आम आदमी पार्टी से नेताओं के जाने का सिलसिला लगातार जारी रहा । प्रशांत भूषण गए, योगेन्द्र यादव गए, कपिल मिश्रा गए । ये गए वो गए

New Delhi Feb 24: आजाद भारत के लोकतंत्र में ऐसी पार्टी नहीं बनी । ऐसी त्वरित सफलता के किस्से नहीं सुने । इतने ऊंचे आदर्शों का उद्घोष नहीं हुआ और ऐसी अधोगति भी नहीं देखी । दिल्ली की सत्ता पर पूर्ण बहुमत या यूं कहें कि लगभग सर्वमत से काबिज होने के बाद न जाने क्या हुआ । अरविंद केजरीवाल निरंतर मतांतर के महानायक बनते गए । नरेन्द्र मोदी उनके स्थायी दुश्मन ठहरे । और मोदी को केन्द्र में रखकर वो आरोपों की अल्पना रंगते रहे । कभी सरकार न चलने देने का आरोप, कभी उपराज्यपाल के बहाने रास्ता रोकने का आरोप । कभी फंड रोकने का आरोप, कभी साजिश करने का आरोप.. । आरोप… आरोप और आरोप..! इन तीन सालों में आम आदमी पार्टी  की साख बुर्ज खलीफा से डीडीए बिल्डिंग तक गिर गई लेकिन केजरीवाल के सिपाही षड़यंत्र के सिद्धांत पर डटे रहे । विधायकों पर केस दर्ज हुए । फर्जी डिग्री से लेकर यौन शोषण तक का मामला बना । पंजाब में खालिस्तानियों से हाथ मिलाया ।

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दिल्ली में राशन कार्ड बनाया लेकिन हर बार मामला किसी न किसी साजिश की वजह से दर्ज किया गया ! क्योंकि आम आदमी पार्टी ये कहती रही कि उनके साथ बीजेपी साजिश कर रही । पिछले तीन सालों में आम आदमी पार्टी से नेताओं के जाने का सिलसिला लगातार जारी रहा । प्रशांत भूषण गए.. योगेन्द्र यादव गए.. कपिल मिश्रा गए । ये गए वो गए.. कुमार विश्वास का राग विराग हुआ..फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन अऱविंद अटल रहे । एक दम विहंसते कमल की भांति सरोवर में सिर उठाकर ताकते रहे ! पिछले दिनों लाभ के पद को लेकर पार्टी के बीस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया लेकिन तब भी वहीं हुआ जैसा कि होता आ रहा है.. आम आदमी पार्टी ने इसे बीजेपी और चुनाव आयोग का षड़यंत्र करार दिया । उपराज्यपाल से तनातनी लगातार जारी रही । कोर्ट कचहरी सब हो गया । अदालत से फटकार भी पड़ गई लेकिन कलेजे को ठंडक नहीं पहुंची ।

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नजीब जंग चले गए जंग जारी रही । अब ये सबसे ताजा घटनाक्रम है कि मुख्य सचिव को पीटने का आरोप लगा है । विज्ञापनों को लेकर अरविंद केजरीवाल के घर पर बुलाई बैठक में क्या हुआ ये तो मुख्य सचिव, नेताजी और उनके विधायक ही जानते हैं लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में सचिव साहब को चोट लगने की पुष्टि हो चुकी है । एक बात साफ है कि भारतीय राजनीति के इतिहास में इतने छोटे समय की सियासत करते हुए इतने सारे बवाल किसी और पार्टी के साथ नहीं हुए । लेकिन मौके को भुना लेने का कमीनपना भी तो सबमे नहीं होता । अब देश की महान पार्टी ने तय किया है कि सचिव की पिटाई को दलित और मुसलमानों के दमन से जोड़ा जाएगा । क्योंकि आयातुल्लाह खुमैनी के दत्तक पुत्र अमानतुल्ला रात भर मांद में रहने के बाद दोपहर को सत्याग्रही टोपीधारी की तरह प्रकट हुए ।

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उधर प्रकाश जरवाल पहले ही धर लिए गए हैं । एक दिन पहले सचिवालय में कर्मचारियों ने मंत्री इमरान के एक ओवर में कई छक्के जड़ दिए हैं । केजरीवाल का ब्लैक टिकटियर संजय सिंह कहता है कि जिस पार्टी के काम का जलवा अमेरिका में जोर मार रहा उसके खिलाफ इतनी साजिश ! मुझे बहुत दुख होता है कि इतनी कामी पार्टी को कुछ करने नहीं दिया जा रहा । ये पार्टी बहुत कुछ करना चाहती है । इनकी कीर्ति पताका कच्छके रन में कच्छा उतार कर तमिलनाडु तक लहरा रही है । इसीलिए तो कमल हासन इनसे मिलने को उतावले हैं । इनसे मिलने के बाद वे वेलु नायकन से गेलू नायकन हो जाएंगे । मेरा जी हंसता है । फिर मैं सोचता हूं कि धरती के इकलौते ईमानदार पुरुष को इतना कष्ट क्यों दिया जा रहा है । अन्ना आंदोलन से शुचिता की संतान बन कर निकले अरविंद केजरीवाल भला इतने सारे सवालों और आरोपों के घेरे में कैसे आ गए..! बहुत नाइंसाफी है !!!

(आजतक चैनल से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार देवांशु झा की फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)