आतंकी देश घोषित होने वाला है पाकिस्‍तान, सऊदी, तुर्की के साथ बचाव में उतरा चीन

आतंकी संगठनों को संरक्षण देने और फंडिंग के मामले में अमेरिका पाकिस्‍तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। लेकिन, चीन अड़ंगा लगा रहा है।

New Delhi Feb 24 : पाकिस्‍तान की हरकतें जगजाहिर हैं। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्‍तान ना सिर्फ आतंकी संगठनों को अपने यहां संरक्षण देता है बल्कि अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद को फंडिंग भी करता है। ऐसे में अमेरिका ने पाकिस्‍तान को निपटाने का पूरा मन बना लिया है। लेकिन, चीन, तुर्की और सऊदी अरब नहीं चाहते हैं कि अमेरिका पाक के खिलाफ कोई कार्रवाई करे। इसलिए ये तीनों ही देश मिलकर अमेरिकी कार्रवाई में अडंगा लगाना चाहते हैं। ताकि पाकिस्‍तान को बचाया जा सके और इस देश में आतंकवाद को पनपने दिया जाए। पाकिस्‍तान को बचाने के पीछे तीनों ही देशों के अपने-अपने मकसद हैं। लेकिन, अपने-अपने फायदे के लिए इन देशों के अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रख दिया है। दरअसल अमेरिका पाक का नाम अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद को फंडिंग करने वाले देशों की लिस्‍ट में शामिल करना चाहता है। इसके लिए फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स यानी FATF काम भी कर रहा है।

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हालांकि अभी तक इस बात पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है कि पाक का नाम इस लिस्‍ट में डाला जाए या नहीं। लेकिन, अमेरिका के आखिरी फैसले से पहले चीन, तुर्की और सऊदी अरब पाक को बचाने के लिए सामने आ गए हैं। पाकिस्‍तान इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहा है। बताया जा रहा है कि पेरिस में फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) की मीटिंग में तय होगा कि पाक के आतंकवाद प्रेम का क्‍या इलाज किया जाए। वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर के मुताबिक ये पहला मौका है जब किसी मसले पर अमेरिका या कहें ट्रंप प्रशासन और सऊदी अरब के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है। वॉल स्‍ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की वजह से पाकिस्‍तान का साथ दे रहा है। वहीं ट्रंप प्रशासन चाहता है कि फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) इस पर जल्‍द ही कोई फैसला ले ले।

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इस बीच पाकिस्‍तान ने भी ये दावा कर कहना है कि उसने अमेरिकी प्रयासों को सफल नहीं होने दिया है। पाक ने दावा किया है कि इस मामले में उसे अंतरराष्ट्रीय वॉचडॉग से तीन महीने की मोहलत मिल गई है। यहां पर ये भी समझना होगा कि असल में फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) है क्‍या और इसका काम क्‍या है। दरअसल, फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन है। जिसका काम दुनियाभर के देशों के बीच मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे मामलों को देखना होता है। पेरिस में फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) की मीटिंग से पहले ही इस बात की चर्चा शुरु हो गई थी अमेरिका पाकिस्‍तान का नाम अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद को फंडिंग करने वाले देशों की लिस्‍ट में डलवाना चाहता है। इसके लिए अमेरिका ने अपने यूरोपीय सहयोगियों की मदद भी लेनी शुरु कर दी थी। ट्रंप प्रशासन अभी भी इस कोशिश में है कि वो इस काम को पूरा कर ले।

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लेकिन, चीन, तुर्की और सऊदी अरब पाकिस्‍तान के बचाव में आ गए हैं। बताया जा रहा है कि फाइनेंसियल एक्‍शन टॉस्‍क फोर्स (FATF) की मीटिंग में एक बार फिर पाक को लेकर वोटिंग हो सकती है अगर दोबारा वोटिंग हुई तो पाक के हालात बिगड़ सकते हैं। वैसे पाकिस्‍तान अपने लिए समर्थन जुटाने को लेकर पूरा जोर लगा रहा है। अमेरिका का कहना है कि पाकिस्‍तान ने आतंकवाद को फंडिंग रोकने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए हैं। इन्‍हीं सारी बातों को लेकर अमेरिका पाक पर दवाब बना चाहता है। अमेरिका पाक को मिलने वाली सैन्‍य आर्थिक मदद पर पहले से ही रोक लगा चुका है। दरअसल, अमेरिका का मानना है कि पाक जिस तरह से आतंकवादी संगठनों को प्रोटेक्‍ट कर रहा है उससे उसकी अफगान नीति प्रभावित हो रही है। काफी दिनों से दोनों देश इस मसले को लेकर आमने-सामने हैं।