उत्तर प्रदेश : गन्ना विभाग में ‘भ्रष्टाचार’ का लहराता परचम, छद्म ईमानदारी के नाम पर जारी है लूट

उत्तर प्रदेश : गन्ना विभाग में ‘भ्रष्टाचार’ का लहराता हुआ परचम, CBI जाँच हो !

New Delhi, Mar 04 : उत्तर प्रदेश के अंदर व बाहर के शराब निर्माता मफ़ियाओं ने सरकारी/फ़ेडरेशन की चीनी मिलों के एक उत्पाद ‘शीरा’ (Mollases) पर मिलीभगत से क़ब्ज़ा कर लिया है। 5 रुपये/ कुन्तल की दर से शराब माफ़िया शीरा उठा रहे है, जबकि शीरे का बाज़ार मूल्य रु. ६०-६५ प्रति कुन्तल रहता है। सरकारी/सहकारी क्षेत्र में अपनी ६ शराब बनाने कि फ़ैक्टरी (distilleries) हैं जिनमें शीरे की खपत हो सकती थी लेकिन प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र न लगाने के नाम से ये सभी बंद कर रखी हैं।

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सरकार चाहे तो प्राइवट शराब निर्माताओं/मफ़ियाओं की तरह ये संयंत्र लगा कर इन्हें चला सकती है। लेकिन फिर शराब माफ़िया को कमीशन लेकर सस्ता शीरा कैसे बेचा जाता ? Black strapmolassesकई सरकारी चीनी मिलों में तो शीरे की इतनी बेक़दरी हो रही है कि ज़मीन में गढ़ें खोदकर बहाया जा रहा है। इससे सरकारी/सहकारी चीनी मिलों को लगभग रु.५०० करोड़ का नुक़सान उठाना पड़ रहा है और वह भी शराब माफ़िया को लाभ पहुँचाने के लिए। 

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उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के बाहर के शराब निर्माताओं से मिलकर अपनी चीनी मिलों में उत्पादित उक्त शीरा कौड़ी के मोल में बेचे जाने योजना उजागर हुई है। गन्ना विभाग, उ.प्र. द्वारा कुल 6,36,000 कुंतल शीरा प्रदेश के बाहर निर्यात करने की अनुमति ग़ुपचुप तरीक़े से जनवरी, २०१८ में प्रदान की गयी है। जिन शराब निर्माता/माफ़िया को शीरा दिया गया हैं उनके नाम व उन्हें दिया गया शीरे की मात्रा है। मे. लूना केमिकल प्रा. लि. गुजरात को 1 लाख कुन्टल शीरा, मे. त्रिमूला बाला जी एलाज प्रा0 लि. छत्तीसगढ़ को 30 हजार कुंतल शीरा, मे. विजा स्टील लि. जाजपुर, उड़ीसा को 56 हजार कुंतल शीरा, मे. रेनुका शुगर कर्नाटक को 2.5 लाख कुंतल और मे. डालमिया भारत शुगर महाराष्ट्र को 2 लाख कुंतल।

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अर्थात प्रदेश के शराब माफ़िया से साँठगाँठ कर उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग ने अपनी चीनी मिलों को रु. ५०० करोड़ का चुना लगा दिया गया है। इस पैसे से उत्तर प्रदेश के किसानों के गन्ने का भुगतान किया जा सकता था। इसमें उत्तर प्रदेश के लोगों को गाली देने वाले भाजपा संगठन के एक ‘बदनाम’ पदाधिकारी का हाथ भी बताया रहा है।
लूटो भाई, छद्म ईमानदारी के नाम पर, इसे कहते हैं …’येड़ा बनकर पेड़ा खाना’, ये है ‘चेहरे के पीछे चेहरे’ का सच !
नोट: यह कहानी होली मिलने आए गन्ना विभाग के एक ज़िम्मेदार अधिकारी ने मुझे बतायी।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)