भ्रष्ट जन सेवक समाज के लिए खतरा है

उस नेता जी से प्रेरणा लेकर व कीमत दे-देकर हर क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली भ्रष्ट लोग आजादी के बाद से ही लगातार इस देश को लूटते रहे हैं।

New Delhi, Mar 16 : आजादी के तत्काल बाद सत्ताधारी जमात के एक बड़े नेता ने कहा था कि ‘हर व्यक्ति की एक कीमत होती है। आपको सिर्फ उसकी कीमत मालूम होनी चाहिए।’ उस नेता जी से प्रेरणा लेकर व कीमत दे-देकर हर क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली भ्रष्ट लोग आजादी के बाद से ही लगातार इस देश को लूटते रहे हैं। लुटेरों में मुख्य धारा के करीब -करीब हर राजनीतिक रंग, जाति व धर्म के लोग रहे हैं। किसी में कुछ कम तो किसी में कुछ अधिक।

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पर, लूट के उस अपराध के कारण कुछ लोग कानून की गिरफ्त में आते भी गए। क्योंकि उस नेता जी की उक्ति में एक गलती थी। उन्हें ‘हर व्यक्ति’ के बदले कहना यह चाहिए था कि ‘अधिकतर लोगों की एक कीमत होती है।’ बीच-बीच में जब ऐसे जांच अधिकारी और जज मिल गए जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता था, तो लूट के ऐसे सिद्धांत मानने वालों की नानी मरने लगी। उदाहरण तो और भी हैं। पर, नमूने के लिए अभी यहां पंडित सुख राम का नाम लूंगा। कंेद्रीय संचार मंत्री थे। घोटाले के आरोप में फंसे तो दिल्ली की एक अदालत ने कुछ साल पहले उन्हें पांच साल की सजा दी। बाद में सुख राम का क्या हुआ, यह तो नहीं मालूम, पर उन्हें सजा देते समय दिल्ली के संबंधित जज ने एक जरूरी बात कही थी। कहा था कि ‘यदि जन सेवक भ्रष्ट हो जाता है तो समाज की पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है और सरकारी नीतियां प्रतिकूल असर डालती हैं।

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ऐसे में भ्रष्ट जन सेवक समाज के लिए खतरा है।’ संभव है कि उस जज की भी कीमत लगाने की कोशिश हुई होगी। पर वह नहीं बिका। न्यायपालिका में भी सब एक जैसे नहीं हैं। लोकतंत्र के अन्य स्तम्भों में भी सब एक जैसे नहीं हैं। ऐसे और भी जज रहे हैं। आगे भी होंगे। नमूने के लिए उन जजों के नाम लिए जा सकते हैं जिन्होंने चारा घोटाला केस की माॅनिटरिंग की। जिन जजों के यहां मधु कोड़ा जैसे नेताओं के खिलाफ केस रहे। जिन जजों से आसा राम और राम रहीम का पाला पड़ा। जिस जज ने राबर्ट वाड्रा के खिलाफ मामले पर हाल में अपनी रपट दी। बेहतर तो यही होगा कि देश को लूटने में लगे प्रभावशाली लोग भी अब यह सोच कर अपना धंधा जारी न रखें कि ‘हर व्यक्ति की एक कीमत होती है। ’यानी वे साफ बच जाएंगे।

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कुछ लुटेरे यह सोचते रहे हैं कि भले उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल में रहना पड़ेगा, पर लूट का माल तो अगली पीढ़ी के लिए बच ही जाएगा। अब उन्हें बेनामी संपत्ति कानून का अध्ययन कर लेना चाहिए।
यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि कोई भ्रष्ट नहीं बचेगा। बल्कि यह कहा जा रहा है कि कोई भी, कभी भी कानून की गिरफ्त में आ सकता है। जो भी सत्ताधारी जमात के लोग आज जहां -तहां बच जा रहे हैं, सरकार बदलने पर कल वे भी गिरफ्त में आ सकते हैं। यानी–घोटाला के ट्रक पर ‘लटकल त गईल बेटा !’ बाकी बहुत सारी बातें तो आप जानते ही हैं ! इस टिप्पणी में कोई कमी हो तो जरूर बताइएगा।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)