केजरीवाल की दहाड़ का ये वीडियो और ‘ नशे के सौदागर ‘ के सामने झुकने का सच

चुनाव के दौरान केजरीवाल एंड पार्टी ने विक्रम सिंह मजीठिया को ‘नशे का सौदागर ‘ कहकर अपने प्रचार को तो आसमान पर पहुंचा दिया था लेकिन अब मुकदमे के समय सूबत देने की बारी आई तो वो खाली हाथ थे।

New Delhi, Mar 18 : पंजाब में नशे का धंधा कौन करता है ?
जवाब
 – मजीठिया
पंजाब में ड्रग का माफिया कौन है ?
जवाब
 – मजीठिया
पंजाब में मजीठिया को जेल कौन भेजेगा ?
जवाब – केजरीवाल
सवाल पूछते वाले थे , केजरीवाल और जवाब देती थी सामने जुटी भीड़ . पंजाब चुनाव से पहले केजरीवाल की रैलियों और सभाओं के कई ऐेसे वीडियो वायरल हो रहे हैं . उस दौरान केजरीवाल के हर भाषण में निशाने पर होते थे पंजाब के कद्दावर मंत्री और सुखवीर सिंह बादल के साले विक्रम सिंह मजीठिया . दर्जनों लाउडस्पीकर पर गला फाड़ आवाज में केजरीवाल मजीठिया को इंटरनेशनल ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा बताते थे . वही मजीठिया , जिनसे अब माफी मांगकर केजरीवाल ने अपनी ऐसी फजीहत कराई है कि पार्टी में बगावत हो गई है .

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चुनाव के दौरान केजरीवाल के आरोपों के बाद जब मजीठिया ने उन्हें मानहानि का नोटिस भेजा था , तब उसका जवाब देने की बजाय केजरीवाल अपनी रैलियों में नोटिस के उन पन्नों को लहराते हुए दहाड़ते थे – ‘ मजीठिया साहब , आपके इन पर्चों से हम डरने वाले नहीं हैं ‘ . फिर उनकी ललकार गूंजती थी – ‘ अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया पंजाब में ड्रग बेचता है और मजीठिया अतंर्राष्टीय ड्रग माफिया का एजेंट है . हम सरकार में आने के बाद इसको छोड़ेंगे नहीं ‘ . भीड़ तालियां बजाती थी . केजरीवाल गदगद होते थे . उन्हें लगता था कि उनका तीर निशाने पर लग रहा है . तब वो कहते थे – ‘ मजीठिया ने नशा बेचने के लिए हर पिंड और हर शहर के अंदर अपने आदमी छोड़ रखे हैं . सरकार बनेगी तो एक महीने के भीतर नशा का धंधा बंद कर देंगे और मजीठिया को जेल भेज देंगे ‘ . पंजाब की हर रैली में केजरीवाल ने मजीठिया को पंजाब का ड्रग माफिया कहते रहे .

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एक रैली में उन्होंने कहा – ‘ मजीठिया में हिम्मत है तो छह महीने के भीतर मुझे गिरफ्तार कर ले , नहीं तो छह महीने के भीतर मैं उसे गिरफ्तार कर लूंगा . ‘ चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बनी . केजरीवाल चुपचाप दिल्ली में बैठ गए . इस बीच अमृतसर की अदालत में मुकदमे की तारीखें पड़ने लगी . मजीठिया ने केजरीवाल और उनके दो साथियों संजय सिंह और आशीष खेतान पर सिविल और आपराधिक मुकदमे दायर कर दिए थे , जिसकी पेशी में कोर्ट से केजरीवाल हाजिर हो की पुकार होने लगी . इसी बीच खबर आई कि केजरीवाल ने अपने मजीठिया से माफी मांग ली है . मजीठिया ने माफीनाफे को अपनी जीत बताते हुए सार्वजनिक कर दिया . बवाल तभी से शुरु हुआ

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कुर्सी जाने के डर से मांगी मजीठिया से माफी ?
तीन दिनों से केजरीवाल के माफीनामे पर आम आदमी पार्टी मे भूचाल मचा है . पंजाब के करीब -करीब सभी विधायकों ने केजरीवाल के खिलाफ झंडा बुलंद कर रखा है . सब एक सुर कह रहे हैं कि जिस विक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ मुहिम चलाकर चुनाव लड़े , उसी से माफी कैसे मांगी जा सकती है , वो भी चुपके -चुपके . केजरीवाल के सबसे बड़े लेफ्टीनेंट और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आज दिल्ली में पंजाब के ‘आप ‘ विधायकों की बैठक बुलाई है लेकिन कई विधायकों ने ऐलानिया तौर पर दिल्ली आने से इंकार कर दिया है . पार्टी की पीएसी के ज्यादातर सदस्य भी केजरीवाल के माफीनामे से बौखलाए हुए हैं .

केजरीवाल के साथ मुकदमा झेल रहे पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले ही कह चुके हैं कि मैं आज भी मजीठिया को ड्रग डीलर मानता हूं और माफीनामे से सहमत नहीं . कुमार विश्वास ने उनका नाम लिए बगैर उन्हें थूककर चाटने वाला शख्स कह दिया है . तो सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके यूं माफी मांगने से पार्टी में बगावत हो जाएगी ? क्या केजरीवाल को पता नहीं था कि पंजाब के विधायक उनके इस फैसले के खिलाफ झंडा लेकर खड़े हो जाएंगे ?
पंजाब चुनाव के चुनाव के दौरान हर रैली में , हर मंच से , हर प्रेस कान्फ्रेंस में बादल सरकार के कद्दावर मंत्री विक्रमजीत सिंह मजीठिया को ड्रग माफिया कहने वाले केजरीवाल इतने ‘कमजोर और डरपोक ‘ क्यों निकले कि उन्होंने अपनी पार्टी में किसी से सलाह मशविरा किए बगैर माफी मांग ली ? पंजाब में पार्टी के प्रभारी रहे और हाल में राज्यसभा सदस्य बने संजय सिंह तक को भरोसे में नहीं लिया , जो मानहानि के उस मुकदमें केजरीवाल के साथ आरोपी हैं . चुनाव के पहले तक अपनी बुलंद आवाज में मजीठिया के खिलाफ दहाड़ने वाले और उन्हें जेल भेजने की धमकी देने वाले केजरीवाल मानहानि के मुकदमे से इतना डर गए कि माफी मांग ली ?

या फिर अदालत में दोषी साबित होने पर जेल जाने और कुर्सी गवांने के डर से केजरीवाल ने माफी मांगकर अपनी गर्दन बचाने का फैसला किया ?
या फिर ऐसे मुकदमे के चक्करों से खुद को मुक्त करके अब चैन से ‘सत्ता सुख’ भोगना चाहते हैं ?
कहा जा रहा है कि केजरीवाल को इस बात का अहसास हो गया था कि अगर मजीठिया के सामने झुककर मामले को रफा -दफा नहीं किया तो मानहानि का मुकदमा हारना तय है . अगर मुकदमा हारे तो जेल भी जा सकते हैं , मुख्यमंत्री की कुर्सी भी जा सकती है . जाहिर है ये केजरीवाल , वो केजरीवाल तो हैं नहीं , जो रामलीला मैदान और जंतर -मंतर पर बैठकर महीनों आंदोलन करते रहें या जेल जाने से भी गुरेज न करें . तो आम आदमी के ‘खास आदमी’ बन चुके केजरीवाल ने झुकने और कुर्सी बचाने का रास्ता चुना . माफी मांग ली . चुपके -चुपके इसलिए मांगी क्योंकि उन्हें पता था कि पार्टी के ज्यादातर नेता उन्हें ऐसा करने नहीं देंगे . तो खुद को बेहद लोकतांत्रिक घोषित करने वाले केजरीवाल नेबेहद अलोकतांत्रिक तरीके से किसी को भरोसे में लिए बगैर माफीनामे की चिट्ठी भेज दी .

चुनाव के दौरान केजरीवाल एंड पार्टी ने विक्रम सिंह मजीठिया को ‘नशे का सौदागर ‘ कहकर अपने प्रचार को तो आसमान पर पहुंचा दिया था लेकिन अब मुकदमे के समय सूबत देने की बारी आई तो वो खाली हाथ थे . कहा जाता है कि मुकदमा होने के बाद उन्होंने काफी कोशिश की थी कि मजीठिया को नशे का सौदागर साबित करने लायक कुछ ठोस सबूत मिले , जिसे वो अपना कवच मानकर निश्चिंत हो पाते . लेकिन ऐसे सबूत नहीं मिले , जिसकी बिनाह पर वो अपने आरोप साबित कर पाते . वरिष्ठ वकील और ‘आप’ के पूर्व नेता प्रशांत भूषण के मुताबिक केजरीवाल अगर अदालत में दोषी साबित हो जाते तो सिविल मामले में उन्हें जुर्माना होता और आपराधिक मामले में जेल भी जा सकते थे . प्रशांत भूषण के मुताबिक मानहानि के मुकदमे में अगर 6 महीने की सजा भी हो जाती तब भी केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ती . कहते हैं कि ये भी एक बड़ी वजह है कि केजरीवाल और आशीष खेतान ने वकील से सलाह के बाद माफी मांगकर बला टालने का फैसला किया . इस मुकदमे में केजरीवाल के साथ आशीष खेतान और संजय सिंह भी आरोपी थे .

एसटीएफ के पास सबूत हैं तो पीछे क्यों हटे केजरीवाल ?
पंजाब में नशे के धंधे को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने वाली केजरीवाल को पार्टी को लग रहा था सरकार तो बन ही जाएगी लेकिन नतीजे आए तो बीस सीटें मिली और दिल्ली से बाहर किला फतह करने के केजरीवाल के सपने को झटका लगा . मुकदमा सिर पर सवार हो गया . अमृतसर में जाकर मुकदमे की तारीखों पर पेश होना और लंबी लड़ाई लड़ना केजरीवाल के लिए बड़ा सिरदर्द हो गया , तब उन्हें उसी ‘नशे के सौदागर’ के सामने सिर झुकाना मुफीद लगा , जिसपर चोटकर करके वो दहाड़ा करते थे . हालांकि मजीठिया के मामले में जिस दिन Kejriwal के माफी मांगने की खबर आई , उसी दिन ये पंजाब एसटीएफ के पास मजीठिया के खिलाफ पर्याप्त सूबत होने की खबर भी आई . पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धू ने 34 पन्नों की जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि एसटीएफ के पास मजीठिया के खिलाफ काफी सबूत हैं , इसलिए उनका बचना मुश्किल है . सरकार में होते हुए भी सिद्दू ने मजीठिया की गिरफ्तारी की मांग की है और दिल्ली में बैठे केजरीवाल ने माफी मांगकर मामला खत्म करने की पहल की है . सवाल ये है कि क्या Kejriwal को इन सबूतों की जानकारी नहीं थी या फिर वो मुकदमे के झंझट से मुक्त होकर चैन से दिल्ली में बैठना चाहते हैं ?

केजरीवाल एंड कंपनी पर देश के अलग अलग शहरों मे ऐसे करीब बीस मुकदमे हैं . कहा जा रहा है कि केजरीवाल इन मुकदमो से बच निकलने के लिए अब सुलह -समझौते और माफीनामा का ही रास्ता तलाश रहे हैं . हरियाणा से बीजेपी सांसद अवतार सिंह भड़ाना से पिछले साल ही वो माफी मांग चुके हैं . 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले केजरीवाल ने भ्रष्ट नेताओं की एक लिस्ट जारी की थी , जिसमें अवतार सिंह का नाम था . भड़ाना ने मुकदमा करने से पहले उन्हें माफी मांगने के लिए नोटिस भेजा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने दिल्ली की अदालत में मुकदमा कर दिया . बीते साल Kejriwal ने मांफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने दूसरों के बहकावे में आकर आरोप लगाए थे . केजरीवाल ने घोटाले , घपले और भ्रष्टाचार के ऐसे आरोप अरुण जेटली , नितिन गड़करी , शीला दीक्षित , शरद पवार समेत कई नेताओं पर लगाए हैं . जवाब में उन पर नेताओं की तरफ से मुकदमे ठोके गए हैं . जेटली ने दस करोड़ का दावा ठोक रखा है . अब Kejriwal खेमे से कहा जा रहा है कि सीएम होंने की वजह से उनके पास बहुत से काम हैं . कोर्ट -कचहरी का चक्कर लगाकर वो अपना वक्त बर्बाद करने की बजाय वो मामले को सुलह से निपटाना चाहते हैं . गजब दलील है ये . जब लगा कि सबको कठघरे में खड़ा करने से सियासी फायदा होगा , तो फायदा उठा लिया . सत्ता में आ गए . अब लगा कि मुकदमा लड़ना वक्त की बर्बादी है तो सबसे माफी मांगने प्लान बना रहे हैं .

अब किस -किस से माफी मांगेंगे केजरीवाल ?
अन्ना आंदोलन से लेकर दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होने के पहले तक Kejriwal आए दिन किसी न किसी नेता को भ्रष्ट कहकर खुलासे किया करते थे . मीडिया के सामने आरोपों की झड़ी लगाया करते थे . उनकी जगह जेल में बताया करते थे . Kejriwal के इन्हीं तेवरों ने उन्हें दो बार दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचाया . लोगों को लगा था कि कोई शख्स ऐसा है , जो सड़े – गले सियासी तंत्र पर चोट कर रहा है . बड़े -बड़े नेताओं की पोल खोल रहा है . आज वही Kejriwal कितने लाचार नजर आ रहे हैं ? लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अगर किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं थे तो आरोपों की राजनीति के पुरोधा क्यों बने ? Kejriwal के समर्थक ये भी तर्क दे रहे हैं कि माफी मांगने बड़प्पन दिखाना है . उन्हें लगा कि गलत बोला तो माफी मांग ली . ये दलील कुतर्क के अलावा कुछ नहीं .

किस -किस से मांगेंगे माफी ? तब तो आए दिन दर्जनों कैमरों के सामने आरोपों का पुलिंदा लेकर बैठ जाते थे . संसद की तरफ इशारा करते हुए सबको भ्रष्ट घोषित कर देते थे . ये सब करते हुए तो सत्ता में आ गए . अब एक ‘ नशे के सौदागर ‘ ( केजरीवाल के मुताबिक ) से मुकदमा लड़ना पड़ा तो माफी मांगकर गर्दन बचा ली ? ये अब ऐसा सवाल है , जो केजरीवाल का तब तक पीछा करेगा , जब तक वो राजनीति में रहेंगे . अब जब भी वो किसी पर आरोप लगाने कैमरों के सामने आएंगे तो पटलकर कोई पूछेगा कि मुकदमा हुआ तो माफी तो नहीं मांगेगे न ?

(चर्चित टीवी पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)