क्‍या मोदी जी यूपी में योगी जी को बने रहने देंगे लंबे समय तक ?

हाथ मिलाते हुए पिछले वाक्‍य को उन्‍होंने निर्णायक तरीके से पूरा किया, ”हम तो कहता हूं सर चुनावे नै होना चाहिए अब… जूपी में जोगीजी और केंद्र में मोदी जी… बस।

New Delhi, Mar 19 : तीन घंटे की बेसुध नींद के बाद थोड़ी देर पहले पान लगवाने बाहर निकला था। ठीहे पर पहुंचा तो ऐसी भीड़ लगी थी गोया अफ़ीम बिक रहा हो और आखिरी स्‍टॉक चल रहा हो। सब सन्‍नाटे में थे। मैंने बिना माहौल भांपे हमेशा की तरह कहा- छह ठो लगा दो। भाई ने मेरे मुंह के ठीक सामने कांग्रेस छाप पंजा रख दिया और अपने बाएं कोने में देखने लगा जहां से कमेंटरी टाइप कुछ निकल रहा था। मैंने भी उधर देखा तो एक छह इंच का चायनीज़ मोबाइल बोल रहा था। आखिरी गेंद थी और ज्‍यादा कुछ समझ में आता, इसके पहले माहौल बमक चुका था। मैंने जिज्ञासा में पूछा, ”कोई मैच चल रहा है क्‍या?” सब संवेत स्‍वर में हंस दिए।

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झेंप मिटाने के लिए मैंने चौड़ा लिया- हम तो छानबे के बाद क्रिकेट देखना छोड़ दिए थे। उसके पहले रात-रात भर जग के देखते थे लेकिन फिक्सिंग से मन टूट गया। नौजवान ने चूना लगाते हुए कहा, ”मैं तब दो साल का था। उस समय कोई क्रिकेट होता था?

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सफेद कपड़ा पहन के चार-चार दिन खेलते थे सब। अब देखो, बीस ओवर में खेल खल्‍लास। आपका ज़माना गया साहब! ” मैंने बात मोड़ते हुए पूछा, ”ये बताओ, 20-20 क्रिकेट की तरह अगर हर साल चुनाव हो तो कैसा रहेगा?” माहौल गंभीर हो गया। पीछे से एक ने धुआं छोड़ते हुए कहा- ”क्‍या भाई साब, आप पढ़े-लिखे होकर कैसी बात करते हो। अरे देश का पैसा हराम का है क्‍या? कितने पैसे खर्च होते हैं चुनाव में?” तभी परिदृश्‍य में ठाकुर साहब की अचानक एंट्री हुई। दुकान बढ़ा रहे थे। हाथ मिलाते हुए पिछले वाक्‍य को उन्‍होंने निर्णायक तरीके से पूरा किया, ”हम तो कहता हूं सर चुनावे नै होना चाहिए अब… जूपी में जोगीजी और केंद्र में मोदीजी… बस। बाकी सब झूठे दिमाग खपाता है।”

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मैंने पूछा, ”क्‍या मोदीजी यूपी में योगीजी को बने रहने देंगे लंबे समय तक? आपको क्‍या लगता है?” ठाकुर सा‍हब ने शुक्‍ला की ओर इशारा करते हुए कटाक्ष किया, ”आप पतरकार लोग ही कहानी बनाते रहते हैं। सब कुशल मंगल है। रामराज आएगा, रामराज। देखते रहिए। फिर बाभन-फाभन सब अइसहीं पान लगाएगा।” पान लग चुका था। मेरे हिलते ही शुक्‍ला ने पूरी गंभीरता से जवाबी कार्रवाई की, ”भइया, इनके चक्‍कर में मत पडि़ए। यूपी की राजनीति में बहुत जल्‍दी भूचाल आने वाला है। अबकी दिल्‍ली को भागकर लखनऊ या नागपुर जाना पड़ेगा। योगीजी अबकी राजनीति में फंस गए हैं।” आखिरी गेंद पर कार्तिक की तरह ठाकुर साहब ने झटकते हुए बल्‍ला घुमाया, ”बै, हमेशा फंसने-फंसाने का बात करता है ई सब बाभन… लाओ रे, सिगरेट बढ़ाओ। अ एक ठो बिस्‍कुटो दे देना… पारलेजी… कुत्‍ता सब चिचिया रहा है।”

(वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)