‘जिन नौजवानों को कल देश की बागडोर संभालनी है, उन्हें अक़्ल के अंधे बनाने की कोशिश की जा रही है’

क्या नौजवानों को इस पर सवाल नहीं उठाना चाहिए? अगर अपना हक मांगना राजनीति है तो हमें ऐसी राजनीति अवश्य करनी चाहिए

New Delhi, Mar 30 : “जिन नौजवानों को कल देश की बागडोर हाथ में लेनी है, उन्हें आज अक़्ल के अंधे बनाने की कोशिश की जा रही है………. हम यह मानते हैं कि विद्यार्थियों का मुख्य काम पढ़ाई करना है, लेकिन क्या देश की परिस्थितियों का ज्ञान और उनके सुधार सोचने की योग्यता पैदा करना उस शिक्षा में शामिल नहीं? यदि नहीं तो हम उस शिक्षा को भी निकम्मी समझते हैं जो सिर्फ़ क्लर्की करने के लिए ही हासिल की जाए।”

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भगत सिंह द्वारा 1928 में लिखित लेख “विद्यार्थी एवं राजनीति” से लिए गए ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक एवं प्रेरणादायी है।unemployment
सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि आज की पढ़ाई से क्लर्क क्या, लोग कुछ भी नहीं बन पा रहे हैं और सरकार यह संदेश दे रही है कि स्टूडेंट पकौड़ा बेचे और सरकारी तंत्र SSC Exam का पेपर बेचेगा|

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क्या विद्यार्थी को इस पर सवाल नहीं उठाना चाहिए? अगर अपना हक मांगना राजनीति है तो हमें ऐसी राजनीति अवश्य करनी चाहिए|unemployment हर प्रकार के जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करने की प्रेरणा हमें हमारे शहीदों से मिलती है|

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हमारा उद्देश्य होना चाहिए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के सपनों का देश बनाने का इसलिए आज शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को याद करते हुए उनके सपनों का देश बनाने सबकी बराबरी और शिक्षा को बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने की जरुरत है। आप सभी से अपील है कि आज 2 बजे दिन में जेएनयू मेन गेट से संसद तक JNUSU एवं JNUTA द्वारा आजोजित लॉन्ग मार्च में हिस्सा ले एवं शिक्षण संस्थानों पर बढ़ते हुए दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें क्योंकि शहीदों को सच्ची श्रद्धांजली संघर्षों से दी जाती है|

(छात्रनेता कन्हैया कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)