कुछ पत्रकारों को देखकर सभी पत्रकारों के प्रति राय मत बनाइये

टीवी पर कुछ पत्रकारों को देखकर सभी पत्रकारों के प्रति राय मत बनाइये, ९० प्रतिशत पत्रकार अपने पेशे को पूरी लगन और जिम्मेवारी से करते हैं

New Delhi, Apr 11 : आजकल पत्रकारिता का काम करने वालों के खिलाफ लल्लू-जगधर टाइप कुछ लोग ऊलजलूल टिप्पणी करते रहते हैं. उनसे कोई पूछे कि आपको सही सूचना कहाँ से मिलती है ? क्या आप हर जगह जाकर सही खबर निकालते हैं या किसी को फोन करके समाचारों की जानकारी लेते हैं ? उनको कोई यह क्यों नहीं बताता कि भाई कुछ पत्रकार बहुत मेहनत करते हैं इसीलिए आपके पास सही खबर पंहुचती है .

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टीवी पर कुछ पत्रकारों को देखकर सभी पत्रकारों के प्रति राय मत बनाइये, ९० प्रतिशत पत्रकार अपने पेशे को पूरी लगन और जिम्मेवारी से करते हैं . इनसे कोई यह भी पूछे कि जिन टीवी पत्रकारों को यह लोग गरियाते रहते हैं ,उनके कार्यक्रमों से घंटा भर चिपके क्यों रहते हैं? आखिर रिमोट आपके हाथ में है , कुछ और देखिये . लेकिन उनके प्रोग्राम से चिपके रहेंगे और उनकी टी आर पी बढाते रहेंगे .उसके बाद फेसबुक पर आकर गाली बकेंगे. मैं गारंटी के साथ कहता हूँ कि अगर लोग उन पत्रकारों के कार्यक्रम देखना बंद कर दें जिनको वे गरियाते है तो यह समस्या ही ख़त्म हो जायेगी .

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पुनश्च: इस पोस्ट पर कुछ टिप्पणियाँ आई हैं ,ऐसा लगता है कि टीवी के करीब १०-१५ एंकरों को ही लोग पूरी पत्रकार बिरादरी मान ले रहे हैं और उसी को ध्यान में रखकर टिप्पणी कर रहे हैं . उनकी सूचनार्थ निवेदन है कि जो टीवी पर दिखते हैं वे तो पत्रकार होते ही हैं उसके अलावा भी बहुत सारे पत्रकार किसी भी संगठन में काम करते हैं . सैकड़ों लड़के लडकियां न्यूजरूम में होते हैं , फील्ड में होते हैं , कैमरे के पीछे होते हैं और यह पत्रकार बहुत ही उच्च शिक्षा प्राप्त होते हैं , सभ्य और सुशील होते हैं. समाचार का संकलन भी पत्रकार ही करते हैं , पैकेज भी पत्रकार ही बनाते हैं, नेताओं और विशेषज्ञों को पकड़कर भी पत्रकार ही लाते हैं , सबके बारे में ऐसी दौड़ती हुए राय देना ठीक नहीं है . और यह बहुत ही निर्भीक लोग होते हैं।

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हर ट्विस्टेड खबर का मजाक उड़ा रहे होते हैं . टीवी के न्यूजरूम से ज्यादा जिंदादिली से भरपूर कोई मुकाम नहीं होता . आज से करीब पंद्रह साल पहले जब मैं न्यूजरूम में काम करता था , media indiaतो ऐसी कोई खबर नहीं स्क्रीन पर जाती थी जिसकी पूरी कपालक्रिया न कर ली जाये. आज भी जिन एकाध दो न्यूजरूमों को मैं जनता हूँ ,वहां आज भी ऐसा ही माहौल है इसलिए हे सर्वज्ञ दर्शको ,९० प्रतिशत पत्रकारों को सही मानो, दस प्रतिशत को बारे में ही राय बनाओ क्योंकि आप सारे पत्रकारों को जानते ही नहीं .

(वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)