ये न्यू इंडिया का राष्ट्रवाद है- Ajit Anjum

सोशल मीडिया पर बहुत बड़ी जमात लगातार आरोपियों के पक्ष में तर्क और दलीलें पेश कर रही है।

New Delhi, Apr 17 : ‘ मेरी वर्दी ही मेरा धर्म है ‘ जम्मू कश्मीर पुलिस की डीएसपी श्वेतांबरी शर्मा का ये बयान उन तमाम लोगों के मुंह पर तमाचा है , जिन्हें कठुआ के रेप आरोपी में हिन्दू और शिकार हुई उस मासूम बच्ची में मुसलमान दिखाई दे रहा है।
श्वेतांबरी शर्मा उसी स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ( एसआईटी ) का हिस्सा हैं , जिसने कठुआ के रेप कांड का सच दुनिया के सामने उजागर किया है . श्वेतांबरी कठुआ रेप कांड की जांच के लिए बनी एसआईटी की एक मात्र महिला सदस्य हैं . एसआईटी टीम के बाकी सदस्यों की तरह श्वेतांबरी पर भी आठ साल की उस बच्ची के बलात्कारियों और कातिलों तक पहुंचने की जबरदस्त चुनौती थी . सबूत मिटाए जा रहे थे . आरोपी पकड़े न जाएं , इसके लिए पूरे इंतजाम किए जा रहे थे . चौतरफा दबाव बनाया जा रहा था . ऐसे में श्वेतांबरी बिना डिगे अपनी डियूटी निभाती रही. जांच की दिशा में आने वाली अड़चनों और दबावों से जूझती रही .

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जब श्वेतांबरी को धर्म का हवाला दिया गया
द क्विंट’ को दिए इंटरव्यू में श्वेतांबरी ने कहा – सभी आरोपी ब्राह्मण थे सो उन्होंने हर तरीके से मुझे प्रभावित करने की कोशिश की . मुझ तक कई तरफ से ये बात पहुंचाई गई कि मैं भी ब्राह्मण हूं और फंसने वाले लोग भी हमारी जाति और धर्म के ही हैं , जबकि मरने वाली लड़की मुस्लिम है इसलिए उन्हें किसी भी तरह से बचाना जाना चाहिए . मैंने उन सबसे कहा कि मैं जेके पुलिस की अधिकारी हूं . मेरा कोई धर्म नहीं है और अगर कोई धर्म है तो सिर्फ पुलिस की वर्दी ही मेरा धर्म है ‘ श्वेतांबरी शर्मा का कहना है कि ‘ जब एसआईटी को प्रभावित करने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई तब उन्होंने लाठी -डंडे , रैली , प्रदर्शन, रोड जाम और तिरंगे का सहारा लिया . कोर्ट तक हमारी घेराबंदी की गई ताकि हम डर जाएं और आरोपी बच जाएं ‘

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श्वेतांबरी के इस बयान में बलात्कारियों के पैरोकारों के चेहरे छिपे हैं . श्वेतांबरी शर्मा के इस एक बयान से कठुआ की उस अबोध बच्ची को रौंद कर मारने वालों और उन्हें बचाने के लिए धर्म का सहारा लेने वालों के चेहरे बेनकाब होते हैं . ये वही लोग थे , जिन्होंने रातों रात हिन्दू एकता मंच बनाकर हंगामा और प्रदर्शन शुरु कर दिया था . सत्ताधारी बीजेपी के दो मंत्री तक एकता मंच की रैलियों में शामिल हो गए थे . वकीलों के जत्थे आरोपियों को बचाने के लिए कोर्ट के भीतर और बाहर लामंबद हो रहे थे . एसआईटी पर जबरदस्त दबाव था लेकिन श्वेतांबरी और उसके सहयोगी अपनी जांच पर कायम रहे .

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ऐसे समय में जब गैंग रेप की शिकार हुई बच्ची के गुनहगारों को बचाने के लिए धर्म और तिरंगे का इस्तेमाल हो रहा हो , तब श्वेतांबरी शर्मा का ये बयान उन तमाम ताकतों को हौसला देता है , जो उम्मादी भीड़ के सामने होकर भी नाउम्मीद नहीं हैं . श्वेतांबरी का कहना है कि ‘ रेप के आरोपियों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की गई . हीरानगर के पुलिस वालों को घूस दी गई . पीड़ित बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के सबूत मिटाने की कोशिश हुई . हम अगर उनके दबाव के सामने झुके होते तो चार्जशीट सामने नहीं आ पाती . ‘

2012 बैच की अधिकारी है श्वेतांबरी
महज छह साल पहले पुलिस सेवा में आई ये बहादुर पुलिस अफसर उस एसआईटी का अहम हिस्सा थी , जिसका गठन 23 जनवरी को जम्मू कश्मीर के आईजी आलोक पुरी और सैयद मुज्तबा के सुपरविजन में किया गया था . जम्मू के क्राइम ब्रांच के एसएसपी रमेश जल्ला और एएसपी नावेद पीरजादा के नेतृत्व में बनी इस टीम में श्वेतांबरी की भूमिका बेहद अहम थी क्योंकि वो एक मात्र महिला सदस्य थीं . श्वेतांबरी का कहना है कि मां दुर्गा के आशीर्वाद से मैं काम करती रही और पूरी टीम के साथ जांच को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकी .

श्वेतांबरी ने ही देवस्थान के भीतर से आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए . वहां से कुछ बाल बरामद किए , जिसे फॉरेंसिक जांच में उसी लड़की का बताया गया . श्वेतांबरी ने आरोपियों से पूछताछ की . उसका कहना है कि ‘मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी आरोपियों से उस जघन्य घटना के बारे में विस्तार से पूछताछ करना . एक बच्ची के साथ हुई हैवानियत का एक -एक डिटेल उनसे निकलवाने के लिए मुझे ऐसे सवाल करने थे , जो बहुत कंपा देने वाले थे लेकिन मैंने उनसे पूछा और अपनी डियूटी पूरी की . ‘ इस कांड की जांच के दौरान श्वेतांबरी अपने परिवार और अपने छोटे बच्चे से दूर रही . लेकिन उसे तसल्ली है कि उसने गुड़िया सी एक बच्ची के साथ दरिंदगी करने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई है. श्वेतांबरी को भरोसा है कि तमाम सबूतों की बिनाह पर जब अदालत अपना फैसला देगी तो किसी का बचना नामुमकिन होगा .

सोशल मीडिया पर बहुत बड़ी जमात लगातार आरोपियों के पक्ष में तर्क और दलीलें पेश कर रही है . दलीलों का एक सिरा एसआईटी में मुस्लिम अधिकारियों की मौजूदगी से भी जुड़ा है लेकिन सच तो ये भी है कि उस एसआईटी का गठन जिन अधिकारियों की देखरेख में हुआ , उसके आईजी हिन्दू हैं . एसएसपी और डीएसपी हिन्दू हैं . तो सिर्फ ये कह देना कि ये धर्म विशेष के अधिकारियों की साजिश है , आरोपियों को बचाने का हिन्दूवादी कवच है . ऐसा कवच जो इस देश को बलात्कारियों को भी उपलब्ध करा दिया जाता है . हिन्दूवादी कवच -कुंडल का कारोबार करने वाले लोग उस आठ साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी पर नहीं बेचैन होते हैं , उन्हें चिंता अपने समाज के बलात्कारियों की है . जो नफरत के हकदार हैं , उनके लिए रैलियां , प्रदर्शन और पोस्टर तैयार हैं . जिनके खिलाफ सबूत हैं , वो इनके लिए बेगुनाह हैं . ये न्यू इंडिया का राष्ट्रवाद है .

(वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)