‘सबसे ज्यादा निगरानी की आवश्यकता खुद पर है’

हो सकता है कि आपकी नजर में अपराध कोई भाजपा, कांग्रेस या बामपंथी करता हो लेकिन मेरे लिए सबसे ज्यादा बड़ा खतरा मैं खुद हूँ समाज के लिए।

New Delhi, Apr 17 : जब भी बलात्कार, हत्या, डकैती या चोरी जैसे अपराध के बारे में सोचता हूँ तो सबसे पहली चिंता मुझे खुद को लेकर होती है। मुझे लगता है कि, वो कौन सी अवस्था और कैसी मनोदशा होगी जब आदमी ऐसा करता होगा और मैं फिर खुद पे शक़ करता हूँ।
ये सब हवा में नही है। इंटर में पढ़ता था तब किसी की हत्या को लेकर एकदम तैयार था। कट्टा रखता था। मार पीट करता था। हत्या को नॉर्मल ही समझता था। कर नही पाया पर सहज़ था इसको लेकर। कई पुलिस केस भी झेले मार पीट के।उसके पहले खेत बाड़ी में चना मटर , बगीचे में आम लीची की चोरी करना आनंद देता था।

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धीरे धीरे खुले आम चाकू ले के आम तोड़ने लगा सेठ जी की बाड़ी में। मुझे याद है कि तभी के तमाम प्रधानमंत्रियों जैसे नरसिम्हा राव से लेकर चंद्रशेखर,वीपी सिंह,देवगौड़ा,गुजराल,बाजपेयी जी किसी का भी इसमें कोई हाथ न था न मैं सिम्मी या हिन्दू महासभा का सदस्य था तभी।
लेकिन क्या पता कि अगर यही सब छोटी छोटी चोरी, आम लीची की डकैती जारी होती, न पढता लिखता, घर में कोई अनुशासन न होता, आस पास अच्छा परिवेश न होता तो यही बचपन का नटखटपन पहले तो शौक और फिर आदत में बदलते हुए आज धंधा बन गया होता मेरा।

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आज किसी भी अपराध की घृणित मनोदशा पे लोगों को अपने प्रति आश्वस्त हो बस उफ़्फ़, उफ़्फ़, आय हाय कर दूसरों पे चिंतित पोस्ट लिखते हुए देखता हूँ तो लगता है कि काश मैं भी ऐसा होता। Rape Victimनही, मुझे तो सबसे ज्यादा शक़ खुद पे है। मुझे जो भी सुधार करना है, खुद में करना है और मेरे आस पास के लोगों में होते हुए देखना है।

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हो सकता है कि आपकी नजर में अपराध कोई भाजपा, कांग्रेस या बामपंथी करता हो लेकिन मेरे लिए सबसे ज्यादा बड़ा खतरा मैं खुद हूँ समाज के लिए। इस कारण मुझे सबसे ज्यादा निगरानी खुद की करनी है। सबसे ज्यादा मुझे अपनी आत्मा पर पहरा देना है कि ये कहीं बदचलन न हो जाए। आप चूँकि खुद और अपने आस पास के लोगों को लेकर निश्चिन्त हैं इसलिए लाज़मी है कि आप अपराध रोकने के लिए भाजपा,कांग्रेस, वामपंथ में सुधार का आंदोलन चलाइये। मुझे खुद को ठीक करते रहना ज्यादा जरुरी लगता है इन मामलों में । मैं अपने भाई, दोस्त, आस पास के लोगों पे ज्यादा निगरानी और उनमें जागरूकता की जरुरत रखता हूँ।
बांकि सरकार की नीति के विरुद्ध की लड़ाई में आप क्या समझाईयेगा हमको। हम लड़ते ही नही, पटक के मारते हैं अपनी औकात भर। जय हो।

(नीलोत्पल मृणाल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)