सवाल भी अपने, जवाब भी अपने, ऐसी “बातचीत” में कितना सुख है ?- OM Thanvi

कोई सवाल पूछने वाला नहीं कि यूपी (वहाँ तो आपका भरपूर राज है) में विधायक पर महीनों बलात्कार का मुक़दमा तक दर्ज नहीं होता।

New Delhi, Apr 19 : सवाल भी अपने, जवाब भी अपने। ऐसी “बातचीत” में कितना सुख है। आप नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक की विफलता को फिर से सफलता बताइए। कोई टोकने वाला नहीं। कठुआ की बच्ची से बलात्कार पर लंदन के संसद भवन में व्यथित हो जाइए, कोई पूछने वाला नहीं कि जम्मू-कश्मीर में तो आपकी सरकार है; कि आपके ही मंत्री वहाँ बलात्कारियों के हक़ में जुलूस निकालते हैं, जुलूस में तिरंगा लहराता है।

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कोई पूछने वाला नहीं कि यूपी (वहाँ तो आपका भरपूर राज है) में विधायक पर महीनों बलात्कार का मुक़दमा तक दर्ज नहीं होता। modi1ीड़िता ने मुख्यमंत्री के घर के बाहर अपने को आग लगाई थी। बच गई। मुक़दमा फिर भी दर्ज नहीं हुआ। उलटे लड़की के बाप को पकड़ लिया और मौत के घाट उतार दिया। कोई सवाल इस पर नहीं?

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प्रसून तो दरबारी कवि (मूलतः फ़िल्मी गीतकार) ठहरे। प्रचार अभियान के ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति में मोहरा बनकर इतराए हुए थे। capture777अपनी कविता उछाल दी, साक्षात् सूट-बूट में मौजूद मोदी को फ़क़ीरी भी ओढ़ा दी। (नहीं तो वे ख़ुद ओढ़ लेते!)

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लेकिन लंदन के प्रवासियों को क्या हुआ था? चापलूसों की इतनी भीड़? ऐसी चुप्पी? जयजयकार का समवेत? हालाँकि कई चेहरे बेचैन लगे, महज़ दर्शक। modi-london4मगर अफ़सोस कि एक भी साहसी भारतीय न निकला जो उठकर कहे कि हे विकास के देवता, चार साल रोज़ “बीस घंटे” की मेहनत करते हो, ज़ुबां पर हरदम मेक-इन-इंडिया, डिज़िटल-इंडिया आदि के ढेर उदघोष हैं, फिर भी पीछे इतनी ग़रीबी, महँगाई, बेरोज़गारी और लोकतंत्र की घुटन क्यों है देश में?

(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)