अगर करोड़ों लोगों की आस्था को अपने पास गिरवी रखवाकर कोई आसाराम खिलवाड़ कर रहा है तो लड़ो

ये साफ हो चुका था कि आसाराम को राजस्थान पुलिस जोधपुर ले जाने की तैयारी में है और जो भी पहली फ्लाइट होगी उसे पकड़ेगी।

New Delhi, Apr 26 : 30 अगस्त 2013, रात करीब ११.५० बज रहे थे. ऑफिस से घर लौट रहा था और कार सोसाइटी के अंदर ले ही जा रहा था कि मोबाइल फोन बजा. दफ्तर से फोन था. मुझे लग भी रहा था कि फोन आ सकता है. हां बोलो-मैंने कहा. सर,आसाराम को इंदौर पुलिस ने उठा लिया-उधर से आवाज आई. मैंने गाड़ी बैक की और सीधा दफ्तर लौटा. शाम से आसाराम के इंदौर आश्रम पर उसके हजारों समर्थकों और पुलिस के बीच जोर आजमाइश चल रही थी.

Advertisement

आश्रम में आसाराम है या नहीं, इसपर भी सस्पेंस बना हुआ था. रात में नारायण साईं सामने आया औऱ कहा कि बापू जी अंदर ही हैं, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं है. थोड़ी देर बाद पता चला कि आसाराम, समर्थकों के बीच प्रवचन कर रहा है. पुलिस बाहर कवायद कर रही थी. मीडिया को दूर रखने की कोशिश आश्रम की तरफ से बार-बार की जा रही थी. मैं जबतक दफ्तर पहुंचा, ये साफ हो चुका था कि आसाराम को राजस्थान पुलिस जोधपुर ले जाने की तैयारी में है और जो भी पहली फ्लाइट होगी उसे पकड़ेगी. मैं इंदौर औऱ जोधपुर दोनों जगहों के रिपोर्टर के संपर्क में था. पता चला कि आसाराम को जिस फ्लाइट से ले जाया जा रहा है, वह इंदौर से दिल्ली आएगी और फिर यहां से जोधपुर जाएगी.

Advertisement

मैंने असाइनमेंट से कहा किसी भी कीमत पर रिपोर्टर उस फ्लाइट में होना चाहिए. तय हुआ कि रजत राकेश टंडन को भेजा जाए. मैंने रजत से फोन पर कहा- बस एक लाइन सुन लो, इस फ्लाइट पर तुम्हें हर कीमत पर सवार होना है. सभी न्यूज चैनलों की तरफ से ऐसी कोशिश हो रही होगी, इसका अंदाजा था. रात करीब साढे तीन बजे मैं घर लौटा. नींद आ नहीं रही थी, लिहाजा कभी असाइमेंट तो कभी आउटपुट को फोन कर जानकारी ले रहा था. सुबह असाइनमेंट पर विवेक प्रकाश थे और रजत एयरपोर्ट पर. करीब साढे पांच के आसपास विवेक का फोन आया- रजत कह रहा है कि उस फ्लाइट में एक ही टिकट मिल सकता है, यानी या तो रिपोर्टर या फिर कैमरामैन. मैंने कहा रिपोर्टर. रजत को कैमरे के साथ भेजो. बोलना अकेले ही मैनेज करना होगा.

Advertisement

फ्लाइट के अंदर का आसाराम का वीडियो होना चाहिए. कोशिश पूरी करेगा कि आसाराम से कुछ पूछे. रजत ने खुद लगकर किसी तरह टिकट बुक करवा लिया और टेक ऑफ से पहले विवेक को कॉल किया- निकल रहा हूं. मुझे जैसे पता चला लगा चलो अब काम हो गया. जोधपुर उतरते ही रजत ने जब फीड भेजी और इंडिया न्यूज ने चलाना शुरु किया तो खलबली मच गई. पता चला उस विमान पर आसाराम के कई लोग भी सवार थे जो कैमरे खोलने या कुछ भी बोलने या फिर रिकार्ड करने से रोक रहे थे. आसाराम आखिरी रो से ठीक पहले वाली रो में बैठा था. उस फ्लाइट में रजत के अळावा एबीपी न्यूज की तरफ से उमेश कुमावत और न्यूज २४ की तरफ से प्रशांत देव -यही दो रिपोर्टर थे. विमान के अंदर से लेकर एयरपोर्ट पर आसाराम के आसपास रजत ने अपना कैमरा रखा और बेहतरीन रिपोर्टिंग की.

इधर आसाराम के समर्थकों ने देश भर में सिर पर आसमान उठा लिया था. चारों तरफ यही चर्चा थी. मैंने यह मान लिया था कि आसाराम मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी खबर है. इंडिया न्यूज को रीलांच हुए अभी ६ महीने ही हुए थे और चैनल के लिए एक बडी खबर के साथ अपनी पहचान खड़ा करने की जरुरत थी. मैं सबकुछ छोड़कर आसाराम को जानने-समझने में लग गया. एडिटोरियल टीम आसाराम को खंगालने और उसका हर सच निकालने में लग गई . शाहजहांपुर की पीड़ित बच्ची की भी खोज-खबर रखने लगे. तब किसी और चैनल के लिये आसाराम महज एक खबर-सा था. हमने उसे एक अभियान के तौर पर लिया. अपनी टीम को कहा – अगर किसी आदमी के आश्रमों में हजारों बच्चे-बच्चियां रहते हैं और वे सब उसके शिकंजे में हैं तो फिर लड़़ो.

अगर करोड़ों लोगों की आस्था को अपने पास गिरवी रखवाकर कोई आसाराम खिलवाड़ कर रहा है तो लड़ो. अगर लोगों के दम पर सत्ता को झुकाकर कोई तथाकथित संत जमीन कब्जाने और संपत्ति हड़पने का काम कर रहा है तो लड़ो. इंडिया न्यूज की टीम ने फिर टीवी इतिहास में वो अभियान छेड़ा जैसा पहले कभी नहीं चला. इस अभियान को फ्रंट से दीपक ने संभाला और यूं कि वे खुद कई तरह के खतरों से घिर गए. टीम के कई लोग धमकियों और मुकदमों के घेरे में आ गए. कई ऐसे गुमनाम फोन आने लगे जिनसे चकरा देनेवाले राज खुलने लगे.
आसाराम इंडिया न्यूज के लिए एक महायुद्द रहा है. धौंस, धमकी, डर के बीच लड़ते रहने के जज्बे वाली पत्रकारिता रही है. घटनाओं का अंतहीन सिलसिला रहा है. लिहाजा ये जारी रहेगा.

(India News के प्रबंध संपादक राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)