अपराध की बात करें तो अबु सलेम और संजय दत्त में कितना फर्क है?

संजय दत्त के लिए एके 47 उसी बास्केट में आयी थी जिस बास्केट से मुंबई ब्लास्ट के लिए बम आैर हथियार आया था।

New Delhi, Apr 27 : कई लोग संजय दत्त पर परदे पर बेहतरीन अदायगी और अच्छे किरदार को निभाने के कारण उनसे सहानुभूति बरत रहे हैं। एक कलाकार के तौर पर मुझे भी उनकी फिल्में पसंद है। मेरी ऑल टाइम फेवरिट फिल्म में मुन्ना भाई सीरीज भी है। लेकिन अगर परदे पर किये गये किरदार के आधार पर उनके असल जिंदगी के किरदार काे आंकने लेंगे तो हमें प्रेम चोपड़ा और अमरीश पुरी जैसे लोगों को तो कई बार फांसी देना पड़ सकता है।

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खैर, बात तथ्य और ट्रेंड की।
मुझे संजय दत्त के 300 गर्ल फेंड, ड्रग लेने की आदत और एकके 56 को अपने पास रखने को ग्लोरीफाइ करने में आपत्ति है। और उसपर मैं स्टैंड कर रहा हूं। आपत्ति इस कारण कि यही देश की विडंबना है। हम धारणा-भावना पर बात करते हैं। हमने इन्हीं भीड़ को कन्हैया को सड़क पर फांसी देने की मांग कर अपनी नफरत दिखाने वाले लोगों में संजय दत्त में एक बेचारा-भटका इंसान देख रहे हैं जिसके प्रति सहानुभूति है। अपराध की बात करें तो अबु सलेम और संजय दत्त में कितना फर्क है? याकूब मेमन को फांसी दी गयी अौ संजय दत्त बस 5 साल की वीआईपी सजा पाकर हीरो वेलकम पा रहा है।

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क्या अगर बुरहान बानी या कसाब की लव स्टोरी बालीवुड में बने तो आप उसे जगह देंगे? क्या अफजल गुरु की सहानुभूति भरी कहानी पर यही रवैया दिखाएंगे? आप कहेंगे कि संजय दत्त इन जैसा आतंकी नहीं है। तो संजय दत्त का अपराध एक बार फिर जान लें- जो साबित हो चुका है और जिसे स्वीकार किया जा चुका है। संजय दत्त के लिए एके 47 उसी बास्केट में आयी थी जिस बास्केट से मुंबई ब्लास्ट के लिए बम आैर हथियार आया था। इतना ही नहीं उनके घर में एके 47 के साथ वह बम भी रखे गये थे जिस बम से सैकड़ों लोगों की जान गयी। संजय दत्त उन सभी लोगों को जानते भी थे।

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मुंबई ब्लास्ट से उन्हें बस बस यही तर्क देकर अलग किया गया कि यह सब संजय दत्त ने नादानी में की और उन्हें इन बातों की जानकारी नहीं थी। sanjay Dutt1बस एक मिनट के लिए ठंडा दिमाग से सोचें कि अगर यह आरोप किसी दूसरे पर साबित हुआ और खुद स्वीकार किया होता तो उसके बारे में आपकी राय क्या होती। और यह मेरी व्यक्तिगत राय है और आपको इससे अलग राय रखने का पूरा अधिकार-हक है। उसे सम्मान से जगह भी मिलेगी।

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)