दलित के घर मंत्री जी ने होटल से मंगवाकर खाया खाना, जारी है ‘डिनर विद दलित’

‘ डिनर विथ दलित’ कार्यक्रम निपटाने के बाद मंत्री जी ने कहा कि उन्होंने वही किया जो राम ने शबरी के बेर खाकर किया था।

New Delhi, May 03 : इनसे मिलिए . ये हैं योगी सरकार में मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह . सिंह साहब ने अभी -अभी यूपी में एक दलित के घर भगवान राम की तरह भोजन किया है और शबरी की तरह उस दलित का उद्धार किया है . ‘ डिनर विथ दलित’ कार्यक्रम निपटाने के बाद मंत्री जी ने कहा कि उन्होंने वही किया जो राम ने शबरी के बेर खाकर किया था . भोजन के बाद बाहर इंतजार कर रहे कैमरों के सामने राजेन्द्र प्रताप सिंह जी ने कहा – ‘ मैं यहां आया तो ज्ञान जी की मां ने जब रोटी परोसी तो उन्होंने कहा कि मेरा उद्धार हो गया . ये कितनी बड़ी खाई थी ‘

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सदियों से चली रही खाई को बड़े -बड़े महापुरुष नहीं भर पाए . दलित उद्धार के तमाम आंदोलन अपने अंजाम पर नहीं पहुंच पाए dalit bhojanलेकिन मंत्री जी दलित महिला के हाथों की रोटी खाकर उसका उद्धार कर दिया . उस दलित परिवार की आने वाली पुश्तें भी अपने इस उद्धारक के प्रति कृतज्ञ रहेगी कि योगी -मोदी राज में हुआ था एक मंत्री जिसने हमारा उद्धार किया था …

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दूसरे मंत्री सुरेश राणा साहब की कहानी तो आप सुन ही चुके होंगे . उन्होंने बैठने के लिए दलित के घर की दो गज जमीन का भले ही इस्तेमाल किया , सामान पूरा बाहर से मंगवा लिया .कल ही योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा का वीडियो सामने आया है , जिसमें वो अलीगढ़ के दलित परिवार में बाहर से मंगाए गए ’ छप्पन भोग ‘ का सेवन करते दिख रहे हैं . दाल -मखनी , छोले -चावल, पालक पनीर , मिस्सी रोटी , तंदूरी रोटी , सलाद , रायता , मिठाई और साथ में मिनरल वाटर . मंत्री जी को कुछ मिनट बैठने और जिमने के लिए दलित के एक अदद घर ही तो दरकार थी .

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खाने की पूरी रेंज का इंतजाम सलीके से किया गया ताकि हुजूर ‘डिनर विथ दलित’ के देशप्यापी प्रोग्राम का हिस्सा बन सकें . मंत्री जी अपने लाव -लश्कर के साथ आए . खाए . Dalit परिवार को धन्य -धन्य किया . फोट खिंचवाया और कूलर – गद्दे से युक्त इंतजाम वाली जगह पर सोने चले गए .
असली खबर तो बाद में आई कि जिस घर में मंत्री जी का ‘डिनर विथ दलित’ कार्यक्रम संपन्न हुआ , उस घर के मालिक को रात ग्यारह बजे तक पता ही नहीं था कि उनके यहां मंत्री पधारने वाले हैं . घर के मालिक रजनीश ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मंत्री जी रात के खाने पर मेरे घर आ रहे हैं. वह अचानक आ गये. उनके खाने-पीने का सारा इंतजाम बाहर से किया गया.

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)