क्या आप भी जिन्ना की तस्वीरवाले स्वप्न’रोष’ से पीड़ित हैं ?

लेकिन सवाल ये है कि स्वप्नरोष क्या है और इसका जिन्ना विवाद से क्या लेना देना है?

New Delhi, May 09 : इस आर्टिकल को पढ़ने से पहले अपनी नब्ज़ टटोलकर, माथे पर हाथ फेरकर या फिर गूगल करके स्वपनरोष नाम की बीमारी का ब्योरा ढूंढ रहे हैं तो रुक जाइए।
न किसी ट्रेन के सफर में दीवार पर इसके इलाज का दावा करनेवाले डॉक्टर का नाम दिखेगा और ना ही हाशमि दवाखाने में इस मर्ज़ का इलाज मिलेगा। इसके बारे में आपको मैं बताऊंगा।
मोहम्मद अली जिन्ना … आपने इनके बारे में सुना होगा…

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स्वप्नदोष … आपने इसके बारे में भी सुना ही होगा…
लेकिन सवाल ये है कि स्वप्नरोष क्या है और इसका जिन्ना विवाद से क्या लेना देना है?
दरअसल, स्वप्नरोष वो मनोस्थिति है जिसमें आपको रोष यानि गुस्से से भर दिया जाता है और इसके लिए आपको एक ख्याली दिवा स्वपन दिखाया जाता है… जो आपमें एक ख़ौफ पैदा कर दे … और फिर वो खौफ आहिस्ता आहिस्ता उस गुस्से को जन्म दे जिससे आपकी सोचने और तर्क करने की शक्ति ही खत्म हो जाए।
अब स्वप्नरोष नाम की ये बीमारी जिन्ना की तस्वीर विवाद मामले में कैसे वायरस की तरह फैली वो समझिए।

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दीवार पर 80 साल से लटकी एक तस्वीर को मुद्दा बनाया गया। किरदार थे देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार इकलौते शख्स तो नहीं पर हां, सबसे प्रमुख शख्स, मोहम्मद अली जिन्ना। कुछ लोगों में स्वप्नरोष का वायरस इस इंजेक्शन के ज़रिए डाला गया कि दो राष्ट्र की थ्योरी देनेवाले, देश को बांटनेवाले, बंटवारे की वजह से हुई लाखों मौतों के जिम्मेदार व्यक्ति की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में क्यों टंगी है। देश को ऐसे लोगों से खतरा है जो रहते यहां है लेकिन पाकिस्तान के जनक जिन्ना को अपने दिल में रखते हैं… इंजेक्शन ने असर दिखाना शुरु किया और गुस्सा उस बुखार की तरह बढ़नेलगा जिसमें सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है।

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ऐसा ही एक इंजेक्शन कुछ और लोगों को दिया गया और उन्हें समझाया गया कि जिन्ना की तस्वीर तो बहाना है और निशाने पर देश के मुसलमान हैं और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी है। यानि उन लोगों के अस्तित्व को खतरा है। इंजेक्शन पड़ते ही स्वप्नरोष का वायरस उधर भी फैलने लगा.. और गुस्सा दूसरी तरफ भी उबाल मार रहा है।
यानि एक तरफ़ मुल्क को खतरे का खौफ, दूसरी तरफ अस्तित्व को खतरे का खौफ..और बाद में गुस्से का गुबार ।
अब सवाल ये है कि स्वप्नरोष का ये वायरस फैला कौन रहा है?
ये वायरस चुनावी मौसम में तेजी से फैलता है। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं कि कौन फैला रहा है और क्यों।

इसका इलाज क्या है?
इसका सीधा और सरल इलाज है खुद का डॉक्टर खुद बनें। स्वप्नरोष की ये बीमारी आपकी तर्क करने की क्षमता को कुठाराघात पहुंचाती है। इसलिए अपना डॉक्टर खुद बनिए औऱ खुद से कुछ सवाल पूछिए… मसलन –
1) जिन्ना की तस्वीर 80 साल से टंगी थी तो आज ही हंगामा क्यों हुआ… और तस्वीर के हटने से देश में क्या बदल जाएगा? क्या किसानों की समस्या खत्म हो जाएगी, क्या बेरोज़गारी खत्म हो जाएगी… क्या देश में गरीबी खत्म हो जाएगी.. वगैरह वगैरह
2) जिन्ना ने अगर टू नेशन थ्योरी दी थी तो उनसे कहीं पहले ये थ्योरी सावरकर ने दी थी। क्या देश में जहां जहां भी सावरकर की तस्वीर है वो हटाई जाएगी और अगर हटाई भी जाएगी तो उससे क्या हासिल होगा?
3) अगर जिन्ना इस देश के विलेन हैं तो अंग्रेज़ों को देश से खदेड़ भगाने के लिए शुरु हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की मुखालफत करनेवाले और उसके दमन में अंग्रेज़ों का साथ देनेवाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तस्वीर भी देश में हर जगह से हटाई जाएगी?

4) जिन्ना से इतनी ही नफरत है तो 2015 में बॉम्बे हाइकोर्ट म्यूज़ियम के उद्घाटन कार्यक्रम में गए पीएम मोदी ने वहां मौजूद जिन्ना के बैरिस्टर सर्टिफिकेट को क्यों नहीं फिंकवा दिया?
5) जिन्ना की तस्वीर देखकर अगर देश के लोगों पर बंटवारे के वक्त हुए अत्याचार की याद ताज़ा हो जाती है तो क्या उन तमाम लोगों के परिवार को ढूंढ ढूंढकर देश से निकाल दीजिएगा जो अंग्रेजों के शासनकाल में उनकी पुलिसफोर्स का हिस्सा थे और कभी जनरल डायर के इशारे पर अपने ही भारतीय भाई बहनों का खून बहाया था तो कभी किसी और जनरल के कहने पर लाठियां बरसाई थीं, अत्याचार किए थे?
6) अगर जिन्ना देश के बंटवारे के गुनहगार हैं और उनकी तस्वीर हटानी जरुरी है तो देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करनेवाले गोडसे की मूर्ति या मंदिर को तोड़ दिया जाएगा?

इसी तरह दूसरी तरफ़ जिन छात्रों और मुसलमानों में स्वप्नरोष का वायरस घर कर गया है वो भी पूछें कि-
1) जिन्ना अगर उनका हीरो नहीं है तो उनकी तस्वीर को यूनिवर्सिटी में टांगकर क्या हासिल होगा?
2) अगर मुल्क से बड़ा कोई नहीं तो जिन्ना कैसे? अगर जिन्ना की वजह से इस देश में भाई-भाई के बीच दरार आ रही है तो जिन्ना जरुरी है या अपना हमवतन भाई?
3) उज्जवला योजना से लेकर देश की ऐसी कौन सी योजना है जिसका लाभ मुसलमानों को नहीं मिल रहा और सिर्फ हिन्दुओं को मिल रहा है या फिर क्या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी को ऐसा क्या नहीं मिल रहा जो देश की बाकी सारी यूनिवर्सिटी को मिल रहा है जिससे ये समझा जाए कि जिन्ना की तस्वीर के बहाने उनपर हमला हो रहा है?

इन सवालों के जवाब तर्क के साथ ढूंढिएगा तो मन में ख्याल आएगा कि जिन्ना इस देश के विलने तो हैं लेकिन उनकी तस्वीर को लेकर आज 2018 में विवाद का कोई मतलब नहीं। देश में और भी मुद्दे हैं, और भी वजहें हैं जिनके लिए गुस्सा पैदा किया जाए तो बेहतर हो सकता है। देश में बलात्कार के मुद्दों पर गुस्सा आकर चला जाता है, उसे जिन्दा रखकर परिस्थिति को बदलने की कोशिश क्यों नहीं करते हम… दफ्तर में किसी के साथ गलत होता देखकर उसके लिए क्यों हक की लड़ाई नहीं लड़ते हम… बच्चों से सड़क पर भीख मंगवानेवालों को लेकर क्यों गुस्सा नहीं आता हमें… या और भी कई मुद्दे हैं… लेकिन हम पड़े हैं कभी जिन्ना की तस्वीर के पीछे तो कभी भारतमाता की जय बोलवाने की पीछे।
सोचिए… क्या कर रहे हैं.. क्यों कर रहे हैं.. और जब तक नहीं सोचिएगा.. यूं ही स्वप्नरोष से पीड़ित रहिएगा।
गेट वेल सून … GET WELL SOON.

(चर्चित टीवी पत्रकार सुशांत सिन्हा के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)