राजनीति विडंबनाओं का खेल है, बीता हुआ दौर याद आ रहा है
एच डी देवेगौड़ा की पार्टी है, उनके पुत्र कुमारस्वामी को आज राजभवन से न्याय की उम्मीद है जिन्होंने 1996 में अन्यायपूर्ण ढंग से लोकतंत्र की हत्या की थी।
New Delhi, May 19 : “संतो, करम की गति न्यारी…”
कल से मीरा का यह निर्गुण ध्यान आ रहा है…
हमारे कर्म जीवन में कहां किस प्रकार जीवन को प्रभावित करेंगे यह कोई नही जानता। आज देवेगौडा भी यही सोच रहे होंगे। राजनीति विडंबनाओं का खेल है। वर्ष1996 का वो दौर आज याद आ रहा है जब आज के कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला तत्कालीन गुजरात प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे और एच डी देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे।
उस समय गुजरात में भाजपा शासित सुरेश मेहता सरकार को विश्वास का मत हासिल करना था, विधानसभा के फ्लोर पर विश्वास का मत हासिल करने के बावजूद केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल कृष्णपाल सिंह ने गुजरात में कॉन्स्टिट्यूशनल क्राइसिस घोषित कर दिया और एच डी देवेगौड़ा की सरकार ने उस पर मोहर लगाकर गुजरात में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करवा दी थी।
आज 22 साल बाद दोनों किरदार वही हैं, वही वजुभाई वाला है–वही एच डी देवेगौड़ा की पार्टी है, उनके पुत्र कुमारस्वामी को आज राजभवन से न्याय की उम्मीद है जिन्होंने 1996 में अन्यायपूर्ण ढंग से लोकतंत्र की हत्या की थी।
आज बाज़ी कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में वजुभाई वाला के हाथ में है।
संदर्भ के लिए, महामहिम वजुभाई जी वही हैं जिन्होंने 2001 में मोदी जी के लिए अपनी विधायकी की सीट छोड़ी थी।