राजेश, तुझ से मुझे हमेशा शिकायत रहेगी, हालात चाहे जैसे भी थे, हार नहीं माननी चाहिए थी यार

राजेश 23 साल से मेरा मित्र था । पहली बार मैं उसे मिला अगस्त 1995 में , जब मैंने ज़ी न्यूज़ में बतौर रिपोर्टर ज्वाइन किया।

New Delhi, May 30 : आज दोपहर में जब राजेश के बारे में पंकज झा का मैसेज आया तो ऐसा लगा कि पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई।तुरंत पंकज को फ़ोन किया।उसने बताया कि अभी कुछ देर पहले ही राजेश ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली ..कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ ? फ़ोन रखने के बाद मैंने फिर पंकज का मैसेज पढ़ा .. Rajesh Sahni committed suicide … दोबारा पंकज को मैसेज किया और पूछा are you sure .. is he really died ? पंकज का जवाब था : Though sad But it’s true..

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पिछले तीन घंटे से यही सोच रहा हूँ कि राजेश आख़िर ये सब कैसे कर सकता है ? राजेश ऐसा इंसान था ही नहीं।जितना मैं उसे जानता हूँ या जानता था , उसके हिसाब से राजेश ऐसा कर ही नहीं सकता था । आख़िर क्या हुआ होगा ? यही सोच सोच कर परेशान रहा और कई दोस्तों को फ़ोन लगाया.. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इतना मिलनसार , ज़िंदादिल , हँसमुख रहने वाला लड़का आख़िर आत्महत्या कैसे कर सकता है?
राजेश 23 साल से मेरा मित्र था । पहली बार मैं उसे मिला अगस्त 1995 में , जब मैंने ज़ी न्यूज़ में बतौर रिपोर्टर ज्वाइन किया और देखा कि न्यूज़रूम के कोने में एक लड़का बहुत ख़ामोशी से अपना काम करता है और चुपचाप घर चला जाता है । ये मेरी राजेश से पहली मुलाक़ात थी ।चूंकि वो असाइनमेंट में काम करता था और मैं रिपोर्टर था , इस लिए कुछ समय बाद राजेश के साथ ख़ूब बात होने लगी ।बहुत धीरे बोलता था ।बहुत कम बोलता था और बहुत प्यार से बोलता था । असाइनमेंट के लोगों की आदत होती है कि वो जब तक शोर न करें किसी को पता नहीं चलता कि वो काम कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं लेकिन राजेश इन सब बुराइयों से दूर था । वो शांति से काम करने में यक़ीन रखता था और मेरे साथ उसका रिश्ता कुछ ऐसा बना कि कई बार जब मेरे पास कोई स्टोरी आईडिया नहीं होता था तो राजेश चुपके से कोई न कोई आईडिया मुझे पकड़ा देता था। यही से मेरी और उसकी दोस्ती की शुरुआत हुई और फिर कुछ साल बाद जब मैंने ज़ी न्यूज़ छोड़ दिया तो मुझे पता चला कि राजेश ने भी TV का काम छोड़ करके UP पुलिस ज्वाइन कर ली है और वो अब CO हो गया है । मुझे बहुत हैरानी हुई..हैरानी हुई कि एक इंसान जो बहुत ही धीमे बोलता है .. बहुत ही प्यार से बोलता है ..हमेशा किताबों में खोया रहता है.. हमेशा हमेशा दुनिया जहान की बातें करता रहता है , वो इंसान पुलिस में क्यों भर्ती हो गया ?कुछ दिन के बाद मैंने राजेश को फ़ोन किया और एक के बाद एक करके सारे सवाल पूछ डाले।वो बहुत देर तक हँसता रहा और फिर बोला कि यार घर वालों की बड़ी इच्छा थी कि वो मुझे वर्दी में देखें। लेकिन मेरी जिज्ञासा अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी। मैंने उससे पूछा कि जितना मैं तुझे जानता हूँ , मैंने तुझे आज तक एक बार भी ऊँची आवाज़ में बात करते नहीं सुना .. मैंने तेरे मुँह से आज तक एक भी गाली नहीं सुनी तो तू पुलिस ने कैसे काम करेगा और वो भी UP पुलिस में ? तो उसका जवाब था कि यार कुछ लोग तो पुलिस में ऐसे भी होने चाहिए ना जो गाली ना देते हो..

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इसके बाद राजेश से गाहे बेगाहे बात होती रही और मैं उसे हमेशा पूछता रहा कि तूने अब गाली देने सीखी या नहीं ? तो हंस कर बताता था कि जब ज़रूरत पड़ती है तो थोड़ी बहुत दे लेता हूँ ।
मुझे लगा कि राजेश कि ये पेशागत मजबूरी होगी कि उसके मुँह से कुछ अपशब्द निकल जाते होंगे लेकिन भीतर से अपशब्दों वाला राजेश कभी था ही नहीं..
अभी मुश्किल से दो महीने पहले राजेश से फ़ोन पर कई बार लगातार बात हुई । पीहू से जुड़ा कुछ मसला था और मित्र होने के नाते मैं लगातार राजेश से ही बात कर रहा था और उसमें उसने मेरी काफ़ी मदद भी की । हिम्मत भी बढ़ाई और हमेशा कहता था कि जिस तरह से तूने एक अलग रास्ता चुना है उससे मैं बहुत प्रेरित होता हूँ और जब अभी 22 मई को पीहू की रिलीज़ की तारीख़ की घोषणा हुई तो मुझे याद है कि उस दिन राजेश ने एक ट्वीट भी किया था जिसमें उसने लिखा था कि उसे पीहू का बेसब्री से इंतज़ार है और वो मेरा नाम बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहता है .. फ़िल्म को देखना चाहता है ।मुझे अब तक यक़ीन नहीं हो रहा कि जो इनसान ज़िंदगी को बहुत ही ज़िंदादिल होकर जी रहा था ,उसने आख़िर आत्महत्या क्यों कर ली ?

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राजेश से जितनी बार भी मेरी बात हुई उससे एक बात मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि वो अपनी पारिवारिक ज़िंदगी में बहुत ख़ुश था । हमेशा परिवार की बात करता था और ये बताता था कि उसका जीवन बिलकुल ठीक चल रहा , है इसलिए मुझे और हैरानी हुई जब आज ख़बर मिली । कई दोस्तों को फ़ोन लगाया ।समझने की कोशिश की कि आख़िर क्या हुआ होगा ।फ़िलहाल किसी को भी अंदाज़ा नहीं है कि राजेश ने आत्महत्या क्यों की ? लेकिन कुछ बातें जो पता चल रही है उसके मुताबिक़ ATS में रहते हुए पिछले कुछ समय से राजेश अपने उच्च अधिकारियों के दबाव में था । कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि वह विभाग में भ्रष्टाचार के किसी मामले की जाँच कर रहा था और परेशान था .. कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि उन्हें छुट्टी भी नहीं मिल रही थी.. मैं नहीं जानता हूँ कि ये बातें सच है या नहीं लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि इस देश ने और उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ एक पुलिस अफ़सर नहीं खोया है बल्कि एक बहुत ही शानदार इंसान भी खोया है..

मैंने उसे हमेशा कहा कि राजेश तू पुलिस के लिए एकदम अनफ़िट है.. मुझे समझ नहीं आता कि तेरे जैसे लोग पुलिस में ख़ुद को ढाल कैसे पाते होंगे । वो हमेशा हँसता रहता था और यही जवाब देता था कि कभी कभी पुलिस में मेरे जैसे अनफ़िट लोगों को भी होना चाहिए.. ऐसे हंसमुख ,अनफ़िट ,मिलनसार , ज़िंदादिल पुलिस अफ़सर और मित्र की मौत मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं है ।
आज मुझे लग रहा है कि मेरा एक हिस्सा मुझसे अलग हो गया है .. राजेश की मृत्यु को लेकर जो बातें सामने आ रही है उसकी सच्चाई की पुष्टि नहीं कर सकता हूँ लेकिन मैं सरकार से इतनी माँग ज़रूर करूँगा कि राजेश की आत्महत्या की CBI से जाँच होनी चाहिए इससे कम कुछ नहीं..एक बेहद ईमानदार ख़ुशमिज़ाज अफ़सर कम से कम इसका तो हक़दार है..
और राजेश .. तुझ से मुझे हमेशा शिकायत रहेगी .. हालात चाहे जैसे भी थे .. हार नहीं माननी चाहिए थी यार …
RIP Rajesh Sahni

PS : राजेश ने आज ATS दफ़्तर में पहुँचने के बाद अपने ड्राइवर से सर्विस रिवॉल्वर मँगवाई। इस बात की भी जाँच हो कि दफ़्तर पहुँचते ही क्या क्या हुअा था ?

(फिल्ममेकर और वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)