द्रौपदी के अनुसार स्त्रियों को अभी कर देना चाहिए इन चीजों का त्याग, पति से कभी नहीं होगा झगड़ा
गृहस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी सूत्र, आज जानिए द्रौपदी पांच पांडवों के साथ भी कैसे सुख से रहीं । कैसे उन्होने अपने गृहस्थ जीवन का पालन किया । पत्नी होने के कर्तव्य कैसे पूरे किए ।
New Delhi, Jun 09 : द्रौपदी, पांच पांडवों की पतनी पांचाली । ये नाम जहन में आते ही याद आता है महाभारत काल । कौरवों-पांडवों का युद्ध, गीता का ज्ञान और इससे ही जुड़ी बातें । लेकिन युद्ध की बातों से अलग भी इस काल में कई ऐसे पात्र रहे जिन्होने मनुष्यों को जीवन में आगे बढ़ने, गृहस्थ जीवन में सुखी रहने, संतुष्ट रहने की सीख दी । सुखी वैवाहिक जीवन के लिए द्रौपदी ने भी कुछ ऐसे ही सूत्र सत्यभामा को बताए थे । पांच पांडवों के साथ, इतने बड़े परिवार में कैसे उन्होने रच बस कर अपना सफल गृहस्थ जीवन जीया, ये सभी बातें उन्होने बताई ।
सत्यभामा और द्रौपदी की मुलाकात
पांडवों की पत्नी द्रौपदी और श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा की मुलाकात पांडवों के वनवास काल के दौरान हुई । बातों ही बातों में सत्यभामा द्रौपदी से ये पूछ बैठीं कि वो कैसे अपने पांचों पतियों से खुद को समान रूप से जोड़कर रखती हैं । उसी वक्त द्रौपदी ने सत्यभामा को वो बातें बताई जो किसी भी सुखी वैवाहिक जीवन की नींव हो सकते हैं । उन्होने बताया कि घर की स्त्री का परिवार को सुखी रखने में कितना बड़ा रोल होता है ।
स्त्रियों को ध्यान में रखनी चाहिए ये बातें
द्रौपदी के अनुसार घर की स्त्री ही घर की लक्ष्मी होती है । आज के परिवेश में भी द्रौपदी की कही बातें काफी हद तक आपको भी सही लगेंगी । द्रौपदी के अनुसार स्त्री को अपने पति को वश में करने की कोशिश नहीं करना चाहिए, ऐसा करने पर यदि पति को ये बातें मालूम हो जाती है तो रिश्ता बिगड़ सकता है। कुछ स्त्रियां पति को वश में करने के लिए तंत्र-मंत्र, औषधि आदि का उपयोग करती है, जो कि नहीं करना चहिए।
रिश्तों का रखें ख्याल
समझदार स्त्री को अपने परिवार के हर रिश्ते का ख्याल रहता है वह अपने हर रिश्ते की जिम्मेदारी व उनके बारे में पूरी जानकारी रखती है, परिवार के समस्त रिश्ते जरुरी होते हैं। एक भी रिश्ता भूल गए तो वह रिश्ता पारिवारिक संबंध बिगाड़ सकता है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए स्त्री को झगड़ालू चरित्र रखने वाली स्त्रियों से दूर ही रहना चाहिए।
अपमान जनक बातें ना कहें
स्त्री को कभी भी ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए, जिससे किसी का अपमान होता है। या किसी को आपकी बातों से ठेस पहुंचती हो, स्त्रीयों को धैर्य रखना चाहिए। द्रौपदी सत्यभामा से कहती है कि स्त्री को बार-बार दरवाज़े पर या खिड़की पर खड़े नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने वाली स्त्रियों की छवि समाज में खराब होती है।
आलस से दूर रहें और क्रोध पर नियंत्रण आवश्यक
किसी भी काम के लिए आलस नहीं करना चाहिए, जो भी काम हो, उसे बिना समय गवाए पूरा कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर पति और पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है। स्त्री को क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्रोध के कारण बड़ी-बड़ी परेशानियां उत्पन्न हो जाती है। इसलिए क्रोध पर काबू रखें। साथ ही पराए लोगों से व्यर्थ बात नहीं करनी चाहिए।