क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का एक सपना रह गया था अधूरा, अब बेटा अर्जुन उसे कर रहे हैं पूरा

सचिन तेंदुलकर ने जब बतौर क्रिकेटर अपना करियर शुरु किया था, तो वो बल्लेबाज नहीं बल्कि गेंदबाज बनना चाहते थे।

New Delhi, Jun 10 : मास्टर-ब्लास्टर सचिन के बेटे अर्जुन का चयन हाल ही में श्रीलंका जाने वाली भारत की अंडर-19 टीम में हुआ है। जूनियर तेंदुलकर इस दौरे पर बॉलिंग ऑलराउंडर की हैसियत से जा रहे हैं, आपको बता दें कि अर्जुन बायें हाथ के मध्यम तेज गति गेंदबाज होने के साथ बायें हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज भी हैं। उनके कोच के अनुसार वो लगातार 135 किमी प्रति घंटे की गति से गेंदबाजी कर सकते हैं।

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पिता का अधूरा सपना
खास बात ये है कि अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता सचिन का अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं। आपको बता दें कि करियर के शुरुआती दिनों में सचिन तेंदुलकर तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। Sachin-Tendulkarइसके लिये 14 साल की उम्र में वो चेन्नई स्थित एमआरएफ पेस फाउंडेशन भी गये थे। हालांकि सचिन तेज गेंदबाज नहीं बन पाये, लेकिन जो बने, उसे देखकर पूरी दुनिया ने उन्हें सलाम किया।

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गेंदबाज बनना चाहते थे सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने जब बतौर क्रिकेटर अपना करियर शुरु किया था, तो वो बल्लेबाज नहीं बल्कि गेंदबाज बनना चाहते थे,sachin Tendulkar इसी सिलसिले में वो साल 1987 में चेन्नई स्थित एमआरएफ फाउंडेशन टेस्ट देने के लिये पहुंचे थे। मालूम हो कि इस फाउंडेशन में क्रिकेटर्स को नेशनल लेवल की ट्रेनिंग दी जाती थी। उस समय उस पेस फाउंडेशन के डायरेक्टर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली थी।

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सचिन को किया गया रिजेक्ट
डेनिस लिली ने सचिन तेंदुलकर की गेंदबाजी देख बतौर बॉलर उन्हें रिजेक्ट कर दिया था, इस बात का खुलासा खुद डेनिस लिली ने साल 2012 में वहां से विदाई लेते हुए किया था। सचिन तेंदुलकर वहां गये थे तेज गेंदबाज बनने का सपना लेकर, लेकिन डेनिस लिली ने उन्हें गेंदबाजी के बजाय बल्लेबाजी पर ध्यान देने की सलाह दी थी, जिसका असर साल भर बाद ही उनके खेल में नजर आने लगा।

साल भर बाद मिला था नया सचिन
पहली बार पेस एकेडमी से रिजेक्ट होने के एक साल बाद सचिन तेंदुलकर दोबारा वहां टेस्ट देने पहुंचे, इस बार वो बिल्कुल बदले हुए नजर आ रहे ते, डेनिस लिलि ने उन्हें गेंदबाज बनने की बजाय बल्लेबाज बनने की सलाह दी थी। तेंदुलकर ने भी उनकी सलाह को दिल से माना था, वो खुद को बल्लेबाज के लिये तैयार करने में जुटे हुए थे।

मैं बस देखता रह गया
साल भर बाद जब सचिन दुबारा पहुंचे, तो इस बारे में लिली ने बताया कि तब वो 15 साल के थे। मैं नेट के पीछे खड़ा होकर उनका बल्लेबाजी देख रहा था, पहली ही गेंद पर उन्होने गेंदबाज के सिर के ऊपर से चौका मारा, मुझे लगा कि बस ये एक तुक्का है, फिर उन्होने एक के बाद एक कई बाउंड्री लगाई, गेंदबाज उन्हें समझ ही नहीं पा रहे थे। वो पार्क के चारों तरफ हिट लगा रहे थे। जब वो 12 गेंद में 48 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे, तो मैंने हेड कोच रहे टीए शेखर से पूछा कि ये लड़का कौन है, तो उन्होने मुस्कुराते हुए कहा था कि आपको याद होना चाहिये, ये वही लड़का है, जिसकी गेंदबाजी देख आपने उसे रिजेक्ट कर दिया था, इसका नाम सचिन है।

आज भी हो जाते हैं शर्मिंदा
सचिन से पहली मुलाकात को याद करते हुए डेनिस लिली का कहना है कि सच कहूं, तो मैं काफी शर्मिंदा हुआ था कि मैंने बतौर तेज गेंदबाज उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। हालांकि मुझे लगता है कि मैंने उनके लिये और क्रिकेट के लिये अच्छा काम किया, भले सचिन का सपना अधूरा रह गया, लेकिन अब उसी अधूरे सपने को बेटे अर्जुन पूरा कर रहे हैं।