सूर्य नमस्‍कार, तन और मन दोनों के लिए लाभदायक है

आज पूरा विश्‍व योग दिवस मना रहा है । अगर आपने अब तक योग की शुरुआत नहीं की है तो सूर्य नमस्‍कार के साथ इस अच्‍छी आदत की शुरुआत जरूर करें ।

New Delhi, Jun 21 : योग, ये सिर्फ शारीरिक क्रियाएं नहीं हैं ये आपके तन के साथ मन को स्‍वस्‍थ रखने की पूरी प्रक्रिया है । विश्‍व योग दिवस के मौके पर आज जानिए सूर्य नमस्‍कार के बारे में । सूर्य नमस्‍कार 12 योग आसनों के माध्‍यम से होता है । एक-एक योग आसन बहुत ही महत्‍वपूर्ण है और आपकी एक-एक समस्‍या, शारीरिक प्रॉब्‍लम का समाधान है । सामान्‍य दर्द से लेकर गहरे तनाव तक सब कुछ सूर्य नमस्‍कार के इन 12 स्‍टेप्‍स को अपनाकर आप छूमंतर कर सकते हैं । आगे जानिए हेल्‍थ के ये 15 मिनट आपके लिए कितने जरूरी हैं ।

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इन बातों का रखें ध्‍यान
योगासन करने का सबसे सही समय सुबह का समय है । सूर्योदय का समय, हालांकि योग करते हुए ये जरूर ध्‍यान रखें कि सुबह उठते ही योग  करना शुरू ना कर दें । सुबह नित्य क्रिया के बाद ही योग करें । तब जब पेट एकदम खाली रहेगा, ऐसे में योग ज्यादा असरदार होता है । योग करने के तुरंत बाद नहाएं नहीं और ना ही नाश्‍ता करें । कम से कम एक घंटे बाद नहाना या कुछ खाना चाहिए । आगे जानिए सूर्य नमस्‍कारके 12 स्‍टेप और इसके फायदे ।

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प्रणामासन
प्रणाम+आसन इन दो शब्दों से मिलकर बना है। सीधे खड़े होकर सबसे पहले प्रणाम की मुद्रा प्रणामासन कहलाती है। इस आसन से एकाग्रता आती है। मानसिक शांति मिलती है।
हस्तउत्तान आसन : सूर्य नमस्कार का दूसरा आसन है हस्तउत्तान आसन। प्रणाम आसन के बाद हाथों को ऊपर उठाकर पीछे की ओर ले जाना हस्तउत्तान की क्रिया है। इससे कंधों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।

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हस्तपाद आसन
हस्तपाद आसन से पेट की मसल्स को ताकत मिलती है। यह आसन कब्ज दूर करता है। पेट पर जमी चर्बी को कम करता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करता है।
अश्व संचालन आसन : यह आसन सूर्य नमस्कार का चौथा आसन है। इस आसन से पैरों की मसल्स को मजबूती मिलती है। वहीं यह नव्र्स सिस्टम को बेहतर बनाए रखता है।

दंडासन
दंडासन ऐसा आसन है, जिसे करने से हाथों में ताकत आती है। इस आसन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि सांस संबंधी हर समस्या में यह फायदा पहुंचाता है।
अष्टांग आसन : अष्टांग आसन से हाथ-पैर तथा वक्ष प्रदेश के स्नायु को ताकत मिलती है।
भुजंग आसन : इस आसन से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बना रहता है। रीढ़ की हड्डी जितनी लचीली होगी आप रोगों से उतना ही दूर रहेंगे।

पर्वत आसन
पर्वत आसन ऐसा आसन है, जिससे हाथ-पैरों के स्नायु को ताकत मिलती है। वहीं यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
अश्व संचालन आसन : सूर्य नमस्कार के दौरान अश्व संचालन की क्रिया दो बार आती है। एक बार स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ते हुए तो दूसरी बार तब जब आगे बढ़ते हुए ही हम फिर से पहले की तरह प्रणाम आसन की अवस्था में आने को होते हैं। लेकिन तब ये प्रक्रिया प्रणाम नहीं बल्कि ताणासन कहलाती है। इस आसन को करने से बालों संबंधी समस्या जैसे झडऩा या असमय सफेद होना खत्म हो जाती हैं।

हस्तपाद आसन
इस बार हस्तपाद आसन आसन लौटते समय की क्रिया है। अब इसका फायदा भी बदल जाता है। इस आसन से पाचन क्रिया बेहतर रहती है तथा कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है।
हस्तउत्तान आसन : लौटते समय की इस क्रिया में हस्तउत्तान आसन भी रिपीट होता है। इस आसन से पेट की एक्स्ट्रा फेट पिघल जाती है। वहीं ये आसन लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है।
ताड़ासन : ताड़ासन सूर्य नमस्कार का अंतिम आसन है। प्रणाम आसन की तरह ही यह आसन भी मन को एकाग्र करता है। शांत रखने में मदद करता है।