पैसा कमाने के बाद जरूर करें ये 2 काम, नहीं तो कमाई किसी काम की नहीं रहती

पैसा खूब कमाते हैं लेकिन हमेशा रोना इस बात का कि पैसे नहीं है । तनख्‍वाह मिलने वाले दिन भी रोना धोना कि पैसे कम मिलते हैं । ऐसे लोगों के ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए ।

New Delhi, Jun 26 : धन कमाने की जद्दोजहद से आजकल हर कोई गुजरता है । अपनी शिक्षा, अपने स्‍तर से हर कोई कोशिश करता है ढेर सारा पैसा कमाने की । कई लोग इतना पैसा भी कमा लेते हैं कि उनकी जरूरतें भी पूरी होती है ओर उनका धन भी इकठ्ठा होता रहता है । ऐसे लोग जो इस पैसे का सदुपयोग नहीं करते उन्‍हें ये बात जरूर ध्‍यान में रख लेना चाहिए कि पैसा कभी किसी के पास टिकता नहीं है । इसीलिए कमाई के बाद ये कुछ काम जरूर करने चाहिए ।  इन कामों से घर में बरकत बनी रहती है ।

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पंचतंत्र में लिखा है
आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र के भाग-1 में धन की 3 गति बताई गई है…
दानं भोगं नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य ।
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतिया गतिर्भवति ॥
इसका अर्थ है – धन का दो प्रकार से उपयोग होना चाहिए। दान और उपयोग। किंतु उसका अधिक संचय नहीं करना चाहिए। ध्यान से देखो कि  मधुमक्खियों के द्वारा संचित धन अर्थात् शहद दूसरे हर ले जाते हैं ।

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कमाई का एक हिस्‍सा दान करें
आप जो भी कमाते हैं उस कमाई का 10 फीसदी हिस्‍सा दान में जरूर दें । ऐसा करने से आपकी कमाई में दिन दूनी रात चज्ञैगुनी वृद्धि होती है । ये बात कहने के लिए नहीं कही जा रही है, ऐसा हमारे शास्‍त्र कहते हैं । आपकी कमाई का एक हिस्‍सा दूसरों के लिए रखें ये आपको लाभ, पुण्‍य देगा । ऐसा करने से आप पर मां लक्ष्‍मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी । दान से बड़ा कोई पुण्‍य नहीं, ये भी आप जान लें ।

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भोग
धन की दूसरी गति है भोग यानी उसका उपयोग करना। हम जो पैसा कमाते हैं उसका स्वयं और परिवार वालों पर खर्च करना भी उतना ही जरूरी है जितना दान करना। अर्थत व्‍यक्ति अगर सिर्फ कमाता ही कमाता है और उसका उपभोग उस प्रकार से नहीं करता है, अपने परिजनों को धन होने के बावजूद दाने-दाने की कीमत समझााता रहता है ऐसे व्‍यक्ति को भी धन का कोई फायदा नहीं होता है । धन अर्जन के साथ ही धन का भोग भी अति आवश्‍यक है ।

ऐसे लोगों के लिए व्‍यर्थ है धन कमाना
तो वो व्‍यक्ति जो जीवन भर धन अर्जन में लगे रहते हैं और ना ही उसका दान करते हैं और ना ही भोग करते हैं, ऐसे व्‍यक्ति के कमाई किसी काम की नहीं होती है । ऐसे व्‍यक्ति का धन उनकी मृत्‍यु के बाद होता है । इसीलिए धन उतना संचय करें जितना असावश्‍यक हो । धन का दान करना और उसका उपभाग करना उतना ही आवश्‍यक है । ईश्‍वर के नाम से गरीबों की मदद करना भी कमाई का सही उपयोग माना गया है ।