लंबे समय तक बैठे रहने वाली महिलाओं को हो सकती हैं ये एक प्रॉब्लम, संभलकर
महिलाएं वर्किंग हों या हाउस वाइफ, काम के साथ भी और काम के बाद भी उनका ज्यादातर समय बैठे-बैठे ही गुजरता है । लेकिन आपकी ये आदत आपके लिए मुश्किल का कारण हो सकता है ।
New Delhi, Jun 27 : महिलाओं की शारीरिक संरचना पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जटिल होती है । उनके सामने शारीरिक चुनौतियां भी अधिक होती है, बाहरी वातावरण से ज्यादा उनके अंदर होने वाले शारीरिक बदलाव उनकी सेहत के लिए समस्याएं पैदा करते हैं । ऐसे में महिलाएं अगर स्वयं से भी अपनी सेहत के लिए कुछ ना करें तो समस्या गंभीर हो सकती है ।ये जानकारी उन महिलाओं के लिए है जो अपने दिन का ज्यादातर समय बैठ के बिताती हैं ।
परेशान करने वाली रिसर्च
महिलाओं के सिटिंग पैटर्न पर हुई एक रिसर्च के अनुसार ज्यादा देर तक बैठी रहने वाली महिलाओं को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं । उनका इम्यून सिस्टम वीक हो जाता है, जिसके चलते वो कई तरह के रोगों का शिकार हो सकती हैं । इस रिसर्च में कई सालों तक महिलाओं के बैठने के समय को रिकॉर्ड किया गया और फिर उनके शरीर में होने वाले बदलावों को नोट किया गया ।
यहां हुई रिसर्च
ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिर्विसटी के शोधकर्ताओं ने 12 वर्ष की अवधि में करीब 5,500 अधेड़ उम्र की महिलाओं के बैठने के तरीकों का अध्ययन किया। क्वींसलैंड यूनिर्विसटी के Paul Gaudner ने कहा, ‘महिलाएं जो लंबे समय तक दिन में करीब दस घंटे बैठती हैं, उनके कमजोर होने का जोखिम अधिक होता है।’
इन महिलाओं को जोखिम कम
वहीं रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं कम बैठती हैं और ज्यादातर समय एक्टिव रहती हैं उनमें ऐसी समस्याएं होने के जोखिम बहुत कम होते हैं । यह शोध अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमिओलॉजी में प्रकाशित हुआ है। इस शोध ने 8 से 9 घंटे ऑफिस में बैठकर काम करने वाली महिलाओं की सेहत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं ।
इतना बैठना है सेहत के लिए सही
रिसर्च के अनुसार – प्रति दिन 5.5 घंटे तक बैठना इसका मध्यम स्तर है जबकि 3.5 घंटे तक बैठना कम स्तर है। रिसर्चर्स के मुताबिक महिलाओं की कमजोरी या निर्बलता का मतलब है कि किसी बीमारी या रोग से उबरने के लिए क्षमता का कम होना । या कह सकते हैं उनका इम्यून सिस्टम । इम्यूनिटी कमजोर होने पर सभी तरह की प्रॉब्लम होनी शुरू हो जाती है ।
वेस्ट की लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे हैं हम
ज्यादा काम के चक्कर में, कभी कभार आलस के चलते हम ये भूल जाते हैं कि शरीर भी एक मशीन की तरह है । इसे अगर चलाया नहीं जाएगा तो वो एक दिन रुक जाएगा । घंटों बैठे रहना कई बार हमारे लिए बड़ी मुसीबत भी बन जाता है । आरामपसंदगी हमारे शरीर में धीरे – धीरे घर कर जाती है और हम भला बुरा जानने के बाजूद सेहत के बारे में नहीं समझ पाते । भले ये रिसर्च विदेशों में हुई हो लेकिन भारत की लाइफस्टाइल अब वेस्ट से कुछ ज्यादा अलग नहीं है ।