अच्‍छा इंसान बनना चाहता था डाकू, गुरु नानक की शरण में आकर मिला उपाय, लोगों को लूटना छोड़कर करने लगा नेकी

हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक देव की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है । आज प्रकाश पर्व देशभर में मनाया जा रहा है । जानिए एक ऐसी प्रेरक कहानी जो गुरु नानक की सीख से जुड़ी हैं ।

New Delhi, Nov 23 : गुरु नानक जी  का अवतरण संवत्‌ 1526 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था ।  इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है । नानकदेव का जन्म रावी नदी के किनारेृ स्थित तलवंडी नामक गांव खत्रीकुल में हुआ था । गुरु नानक ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी । नानक सिखों के आदिगुरु हैं । उनके  व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु जैसे कई गुणों का समावेश है । नानक देव के बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिसके कारण गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाला मानने लगे । नानक देव ने समाज से कई कुरीतियों का अंत किया । उनसे जुड़ी एक प्रेरक कथा आगे पढ़ें ।

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डाकू को दिखाया सच का पथ
एक बार एक डाकू गुरु नानकदेव के पास आया और बोला कि- मैं एक डाकू हूं और लोगों को लूटता हूं। मगर अब मैं सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहता हूं, लेकिन चाहकर भी मैं लूट-पाट के काम को छोड़ नहीं पा रहा हूं। आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मैं ये काम छोड़ सकूं। गुरु नानकदेव ने उस डाकू से कहा- तुम सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहते हो तो बुराई करना छोड़ दो। प्रण करो कि आज से तुम लूट करना छोड़ दोगे।

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डाकू ने बात मानी और चला गया
गुरुनानक की बात सुनकर डाकू ने कहा- ठीक है गुरुजी। मैं पूरी कोशिश करुंगा कि कोई बुरा काम न करुं। ये कहकर डाकू वहां से चला गया। कुछ दिनों के बाद वो डाकू नानकदेव के पास फिर और बोला कि- मैंने बुरे काम छोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफल नहीं पाया। कृपया मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए कि मैं बुराई के काम छोड़ सकूं।

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एक और सरल उपाय बताया
तक गुरुनानक देव ने उससे कहा- तुम जो भी बुरे काम करो, उसे किसी को बता दिया करो। इससे तुम्हारा काम हो जाएगा। डाकू के ये उपाय बहुत सरल लगा। वो खुश होकर वहां से चला गया। कुछ दिनों बाद वो डाकू फिर गुरुनानक देव के पास आया और बोला कि- गुरुजी, आपने जो उपाय बताया था, वो तो बहुत ही कठिन था। मैं जब भी कोई बुरा काम करता और उसके बारे में लोगों को बताने जाता तो शर्म के मारे कह नहीं पाता था।

बुराई के काम ही बंद कर दिए
डाकू ने आगे कहा – मैं ये भी सोचता था कि अगर लोगों को मैंने अपनी सच्चाई बता दी तो सब मुझसे नफरत करने लगेंगे। ये सोचकर मैंने बुराई के काम करना बंद कर दिए और लोगों को लूटना भी बंद कर दिया। अब मैं अपराधी से एक अच्छा इंसान बन गया हूं। गुरु नानक की ये कहानी आम जीवन में भी प्रेरणादायक है । बुराई के रास्ते को छोड़कर मेहनत करना ही सबसे श्रेष्ठ है।