कभी क्रिकेट खेलने से रोकने के लिये मां कर देती थी घर में बंद, ऐसे बनी स्टार क्रिकेटर

पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के एक गांव में पैदा हुई झूलन गोस्वामी को बचपन में स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, उनके भीतर बचपन से ही क्रिकेट को लेकर जूनून था।

New Delhi, Nov 25 : भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने टी-20 विश्वकप में शानदार खेल दिखाया, हालांकि सेमीफाइल में टीम इंडिया को इंग्लैंड ने हरा दिया, जिसकी वजह से भारतीय टीम इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गई। आज टीम इंडिया की सबसे अनुभवी गेंदबाज झूलन गोस्वामी का 36वां जन्मदिन है, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में झूलन ने अपने नाम 300 विकेट किये हैं, इस खिलाड़ी के नाम महिला क्रिकेट के कई बड़े रिकॉर्ड्स दर्ज हैं।

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इंटरनेशनल क्रिकेट में तीन सौ विकेट
झूलन गोस्वामी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीन सौ विकेट हासिल किये हैं, उन्होने 10 टेस्ट मैचों में 40, 171 एकदिवसीय मैचों में 207 और 68 टी-20 मुकाबलों में 56 विकेट अपने नाम किये हैं, जो कि विश्व रिकॉर्ड है, दुनिया की दूसरी सबसे सफल गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया की कैथरिन फिट्जपैट्रिक है, जिन्होने इंटरनेशनल क्रिकेट में 240 विकेट हासिल किये हैं, यानी झूलन के अलावा दूसरी कोई महिला गेंदबाज ने इंटरनेशनल क्रिकेट में तीन सौ विकेट हासिल नहीं किया है।

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वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट
टीम इंडिया की तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी के नाम एक और बड़ा विश्व रिकॉर्ड है, वो एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट (207) हासिल करने वाली गेंदबाज है, इसके अलावा टी-20 में भी उन्होने 56 विकेट अपने नाम कर रखे हैं, वो इस प्रारुप में भारत की सबसे सल गेंदबाज है, हालांकि अब वो टी-20 से रिटायर हो चुकी हैं।

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आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर
तेज गेंदबाज झूलन साल 2007 में आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुनी गई थीं, इसके अलावा साल 2010 में अर्जुन अवार्ड और 2012 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। 15 साल की उम्र में झूलन ने क्रिकेट खेलना शुरु किया था, साल 1997 में भारत में आईसीसी महिला विश्वकप खेला गया था, तो फाइनल मुकाबले में झूलन ने बॉल गर्ल के रुप में काम किया था, ये मुकाबला ईडेन गार्डन में खेला गया था।

मां घर में कर देती थी बंद
पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के एक गांव में पैदा हुई झूलन गोस्वामी को बचपन में स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, उनके भीतर बचपन से ही क्रिकेट को लेकर जूनून था, कभी-कभी तो उनकी मां उन्हें क्रिकेट खेलने से रोकने के लिये घर में बंद कर देती थी, लेकिन इसके बावजूद वो नहीं मानती थी, वो चुपचाप घर से निकल जाती थी और दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने पहुंच जाती थी, इतना ही नहीं वो प्रैक्टिस के लिये रोजाना 80 किमी का सफर तय करती थी, इसके लिये उन्हें सुबह 4.30 बजे लोकल ट्रेन पकड़नी होती थी।