सड़क जाम से पैदा होता जहर, लेकिन हमारी चिंताएं सहूलियत के आगे आत्मसमर्पण कर रही
दिल्ली में पूरी तरह से टूटे-फूटे प्रगति मैदान में ‘ट्रेड फेयर’ यानि व्यापार मेला लगाया जा रहा है और एनजीटी से कुछ ही दूर स्थित प्रगति मैदान की सड़कें पूरा दिन जाम रहती हैं।
New Delhi, Dec 09 : सारा समाज और सरकार दिल्ली में घुटते दम पर बयानबाजी या चिंता तो जाहिर कर रहे हैं, लेकिन एनजीटी के उक्त महत्वपूर्ण आदेश का कभी गंभीरता से पालन ही नहीं किया गया। जो नवंबर सबसे जहरीला है, उसी नवंबर में दिल्ली के बीचों-बीच कम-से-कम पांच अलग-अलग धर्मों और मत के ऐसे विशाल जुलूस निकाले गए जिनसे समूची दिल्ली की यातायात व्यवस्था तहस-नहस हुई और जाम लगे। इसी नवंबर महीने में सरकार मध्य दिल्ली में ही दो बार मैराथान दौड़ के आयोजन कर सड़कों पर डायवर्सन और जाम को न्यौता दे चुकी है।
अभी एक दशक पहले तक चीन की राजधानी पेईचिंग में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी मैदान बीच शहर में ही था। जब स्थानीय सरकार को समझ आया कि सालभर चलने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों से बीच शहर में जाम लगने लगा है तो शहर से कोई 25 किलोमीटर दूर डांगचेंग में एक विशाल प्रदर्शनी स्थल बनाया गया। उससे पहले वहां मेट्रो सेवा, अंतरराष्ट्रीय होटल, मॉल आदि भी तैयार कर दिए गए। वर्ष 2011 के बाद से सभी अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियां वहीं लगने लगीं।
इसके विपरीत दिल्ली में पूरी तरह से टूटे-फूटे प्रगति मैदान में ‘ट्रेड फेयर’ यानि व्यापार मेला लगाया जा रहा है और एनजीटी से कुछ ही दूर स्थित प्रगति मैदान की सड़कें पूरा दिन जाम रहती हैं।
विडंबना है कि आने वाले दिनों के भयावह यातायात जाम की संभावना को जानते-परखते हुए भी बीच शहर में प्रगति मैदान को विस्तार दिया जा रहा है। यह कुछ उदाहरण हैं जो बताते हैं कि हम राजधानी दिल्ली में सांस लेने के लिए शुद्ध हवा पर मंडरा रहे भयानक संकट से कितने बेपरवाह हैं और हमारी चिंताएं अपनी सहूलियत के आगे आत्मसमर्पण कर देती हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)