राजस्थान- ये सीटें भांप लेती है हवा का रुख, अगर यहां जीते तो समझें बनने वाली है सरकार
राजस्थान – हम आपको कुछ ऐसी सीटों के बारे में बताते हैं, जहां से जीतने वाली पार्टी की प्रदेश में सरकार बनाती है।
New Delhi, Dec 09 : राजस्थान में अगला सीएम कौन होगा, इस पर खूब चर्चा हो रही है, क्या वसुंधरा राजे सिंधिया को एक और मौका मिलेगा, या अगला सीएम कांग्रेस से होगा, इन कयासों पर से मंगलवार को पर्दा उठ जाएगा, लेकिन हम आपको कुछ ऐसी सीटों के बारे में बताते हैं, जहां से जीतने वाली पार्टी की प्रदेश में सरकार बनाती है। जी हां, माना जाता है कि इस सीट पर जिसका विधायक जीतेगा, प्रदेश में अगली सरकार उसकी पार्टी की होगी।
केकड़ी
सिर्फ साल 1967 विधानसभा को छोड़ केकड़ी में हर बार उसी पार्टी की जीत हुई है, जिसकी प्रदेश में सरकार बनी है, साल 1967 में निर्दलीय उम्मीदवार यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन तब सरकार कांग्रेस की बनी थी, इसके बाद हर बार जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता, सरकार उसी की बनी है।
1990 में ऐसा हुआ था
केकड़ी विधानसभा में साल 1990 में जनता दल के उम्मीदवार शंभु दयाल ने जीत हासिल की थी, लेकिन तब सरकार बीजेपी की बनी थी, खास बात ये रही कि जनता दल के समर्थन से ही प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी, फिर 1993 में शंभु दयाल दुबारा जीत गये, लेकिन इस बार वो बीजेपी के उम्मीदवार थे, ये आखिरी मौका था, जब केकड़ी विधानसभा में लगातार दो बार कोई एक ही शख्स एक ही पार्टी का जीता हो।
कपासन
कपासन विधानसभा में साल 1977 तक लगातार कांग्रेस जीती, फिर इंदिरा गांधी विरोधी लहर में पहली बार इस विधानसभा से जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहनलाल ने जीत हासिल की, इस विधानसभा ने 1953 से अब तक 13 बार लगातार ऐसे विधायक चुने, जिसकी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनी, 1993 में कपासन की जनता को बीजेपी को जीत दिलाई, तो भैरोसिंह शेखावत सीएम बनें, पिछले 5 विधानसभा चुनाव यानी 1998 से 3 बार बीजेपी जीती और 2 बार कांग्रेस ने बाजी मारी, इस दौरान दोनों पार्टियों का सरकार बनाने का अनुपात भी वैसा ही रहा।
कुंभलगढ
साल 1951 से लेकर अब तक कुंभलगढ में 13 से 10 बार ऐसी पार्टी की जीत हुई, जिसकी प्रदेश में भी सरकार बनी, सिर्फ तीन बार ये ट्रेंड रहा, कि यहां बीजेएस को जीत मिली थी, लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी, साल 1962 और 1990 में भी कुछ ऐसा ही हुआ, साल 1990 में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन प्रदेश में सरकार बीजेपी की बनी थी।