हाईकमान के फैसले से सचिन पायलट नाराज, राहुल गांधी ने इन्हें भेजा मनाने

कुछ साल पहले राजस्थान में कांग्रेस पिछड़ रही थी, जिसके बाद सचिन पायलट को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई, तब उन्होने कार्यकर्ताओं को एकजुट किया।

New Delhi, Dec 11 : राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं, इतना तय है कि प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी, कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल ये है, कि प्रदेश में सीएम पद के लिये वो किसे चुने, सीएम पद के दो सबसे प्रबल दावेदार सचिन पायलट और अशोक गहलोत माने जा रहे हैं, हालांकि तेजी से बदलते घटनाक्रम में लग रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत का नाम फाईनल कर लिया है, जिससे पायलट नाराज हो गये हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल सचिन पायलट को मनाने के लिये राहुल गांधी के दूत बनकर जा रहे हैं।

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राहुल गांधी के लिये मुश्किल
इन सब के बीच ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिये दोनों में से किसी एक को सीएम चुनने पर मुश्किल होगी, क्योंकि दोनों ने ही अपनी नेतृत्व क्षमता से पार्टी हाईकमान को प्रभावित किया है, एक ओर अशोक गहलोत हैं, जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव के साथ-साथ अच्छी समझ भी है, तो दूसरी ओर सचिन पायलट हैं, जिनके साथ युवा शक्ति है।

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दोनों ने मिलकर दिलाई जीत
राजस्थान में कांग्रेस के कैम्पेन को इन दोनों नेताओं ने मिलकर अच्छे से संभाला, हालांकि पूरे कैम्पेन के दौरान कांग्रेस पार्टी सीएम के सवाल को टालती रही, जहां जीत दिखती, वहां उसी को इशारों में सीएम बता देते, अब जीत मिल जाने के बाद कांग्रेस के लिये मुश्किल ये है कि दोनों में से आखिर किसे चुने, हालांकि ये फैसला पार्टी के विधायकों और हाईकमान राहुल गांधी को करना है।

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सचिन पायलट ने की खूब मेहनत
कुछ साल पहले राजस्थान में कांग्रेस पिछड़ रही थी, जिसके बाद सचिन पायलट को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई, उन्होने ना सिर्फ कार्यकर्ताओं को एकजुट किया, बल्कि जो कार्यकर्ता नाराज होकर पार्टी से अलग हो गये थे, उन्हें भी वापस लेकर आये, नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा, हालांकि सचिन पायलट भी खुद को पार्टी का एक आम कार्यकर्ता ही कहते हैं।

गहलोत हैं प्रभावशाली नेता
आपको बता दें कि वसुंधरा राजे से पहले अशोक गहलोत ही प्रदेश के सीएम थे, उन्हें राजस्थान का प्रभावशाली नेता और राहुल गांधी की करीबी माना जाता है, कांग्रेस के कई बड़े नेता सीएम पद के लिये गहलोत पर ही भरोसा कर सकते हैं, ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि सचिन के लिये यहां से राह आसान नहीं है।