विधानसभा चुनाव परिणाम- अमित शाह की इस भूल से हुई बीजेपी की हार

5 राज्यों में से तेलंगाना और मिजोरम में तो बीजेपी किसी बड़े चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर रही थी, लेकिन एमपी और छत्तीसगढ से उन्हें बड़ी आस थी।

New Delhi, Dec 13 : कांग्रेस के पुनर्जन्म की पूरे देश में चर्चा हो रही है, उत्तर भारत के तीन खांटी हिंन्दी भाषी प्रदेशो में एक बार हार मिलने से बीजेपी के लिये इसे खतरे की घंटी माना जा रहा है, बीजेपी की जिस प्रचार शैली की तारीफ होती थी, अब वो अजेय नहीं रही, कांग्रेस भी बीजेपी की शैली में ही उनसे टक्कर ले रही है, इसलिये आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने भीतर अमूलचूक बदलाव करने होंगे।

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इन प्रदेशों के लिये अलर्ट
5 राज्यों में से तेलंगाना और मिजोरम में तो बीजेपी किसी बड़े चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर रही थी, लेकिन एमपी और छत्तीसगढ से उन्हें बड़ी आस थी, राजस्थान का किला को ढहना ही था, हालांकि वहां उम्मीद के अनुसार ही बीजेपी ने प्रदर्शन किया है, प्रचार के आखिरी दो दिनों में इस प्रदेश में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी, नतीजा हार का अंतर कम हुआ। लेकिन छत्तीसगढ की पराजय इतनी शर्मनाक है कि शाह-मोदी की जोड़ी को लंबे समय तक याद रहेगी। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर गड़बड़ कहां हुई।

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तालमेल की कमी
राजनीतिक समीक्षकों के अनुसार इन तीनों प्रदेशों में चुनाव के दौरान केन्द्र और प्रादेशिक ईकाइयों में तालमेल की साफ कमी दिखी, प्रदेश सरकारों और संगठन से असंतुष्ट नेताओं को केन्द्रीय नेतृत्व का विश्वास प्राप्त था, पार्टी साफ-साफ दो खेमों में बंटी दिख रही थी, हाईकमान ने भी प्रत्याशियों के चुनाव में अनावश्यक ही हस्तक्षेप किया, जिसकी वजह से नतीजे प्रभावित हुए।

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राष्ट्रीय नीतियां हावी
इसके साथ ही तीनों राज्यों में स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय नीतियां हावी रही, परंपरा के अनुसार विधानसभा चुनाव प्रादेशिक मसले और स्थानीय चेहरों पर लड़े जाते हैं, लेकिन बीजेपी ने राष्ट्रीय मुद्दों के भुनाने की कोशिश की, जिसका उन्होने नुकसान ये हुआ कि केन्द्र सरकार की चर्चा होने लगी, अब पार्टी नेतृत्व हार का ठीकरा प्रादेशिक क्षत्रपों पर नहीं फोड़ सकती ।

राम मंदिर निर्माण
इन चुनावों में बीजेपी ने जिस तरह से राम मंदिर निर्माण और अन्य धार्मिक प्रतीकों का सहारा लिया, वो भी उनके लिये महंगा साबित हुआ, जवान होते हिंदुस्तान में बुनियादी समस्याओं पर ज्यादा बात हो रही है, राम मंदिर पर अब लोग समझ चुके हैं, कि उनके नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है, पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले इस पर ठोस नजराना पेश करना होगा, निजी निंदा और आरोप-प्रत्यारोप से लोग चिढने लगे हैं।