इस पड़ोसी देश में सरकार ने चुनावी साल में खत्म किया था आरक्षण, तो ऐसे रहे थे नतीजे

पीएम शेख हसीना ने आरक्षण खत्म करने की बात संसद में कही थी, माना जा रहा है कि इसी के बाद हाल ही में हुए चुनाव में शेख हसीना को फायदा मिला।

New Delhi, Jan 10 : बांग्लादेश में हाल ही में चुनाव हुए हैं, शेख हसीना फिर से जीत कर आई हैं, पड़ोसी मुल्क में छात्र लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके बाद पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने आरक्षण खत्म करने की बात कही थी, आपको बता दें कि बांग्लादेश में सिर्फ 44 फीसदी सरकारी नौकरियां गैर आरक्षित है, बाकी 56 फीसदी नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है।

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56 फीसदी आरक्षण
56 फीसदी आरक्षण में से सबसे बड़ा भाग 30 फीसदी नौकरियां बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम (साल 1971) में लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिये आरक्षित है, फिर 10 फीसदी उन लोगों को मिला हुआ है, जो बांग्लादेश के पिछड़े जिलों से आते हैं, इसके बाद 10 फीसदी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण है, हालांकि इसकी भी समय-समय पर आलोचना होती रहती है, क्योंकि महिलाएं आधी आबादी है और उन्हें सिर्फ 10 फीसदी आरक्षण, इससे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं दिख रहा है। इसके अलावा एक फीसदी आरक्षण शारीरिक अक्षमता वालों को दी जाती है।

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क्यों विरोध कर रहे थे छात्र
पड़ोसी मुल्क में स्वतंत्रता सेनानियों के तीस फीसदी कोटे पर सवाल इसलिये उठ रहे थे, क्योंकि साल 2010 में जारी किये गये कोटे से जुड़े एक सर्कुलर में कहा गया था कि अगर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बच्चे के जरिये नौकरी में तीस फीसदी पदों को पूरा नहीं भरा जा सकता और पद खाली रह जाते हैं, तो ऐसे पदों को दूसरे उम्मीदवारों के जरिये भी नहीं भरा जा सकता है, ऐसे पद खाली छोड़ दिये जाएंगे।

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छात्रों का बढ गया गुस्सा
छात्रों का गुस्सा तब बढ गया, जब पब्लिक सर्विस कमीशन के डाटा के मुताबिक 35वें परीक्षा में स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे के तहत जो 648 पद में से 521 खाली रह गये, ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, दशकों से ऐसा होता आ रहा है, कि हर साल कुछ ना कुछ पद खाली रह जाता था, 25वें बांग्लादेश सिविल सर्विसेज परीक्षा में 709 पद स्वतंत्रता सेनानी कोटे के लिये आरक्षित किये गये थे, जिनमें 637 खाली रह गये थे।

गैर-आरक्षित छात्रों का गुस्सा बढा
पिछले साल जनवरी में बांग्लादेश के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मंत्री सैय्यद अशरफुल इस्लाम ने राष्ट्रीय संसद में जानकारी दी थी कि अलग-अलग मंत्रालयों और डिवीजनों में 3.59 लाख सरकारी पद खाली हैं, जिसके बाद गैर आरक्षित छात्रों का गुस्सा बढता गया, उन्होने राजधानी ढाका से विरोध प्रदर्शन शुरु किया, विरोध कर रहे छात्रों की मांगें थी कि आरक्षण को 56 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी पर लाया जाए, जो 3.59 लाख सरकारी पद खाली हैं, उन्हें मेरिट के आधार पर भरा जाए , साथ ही आरक्षण में जिन छात्रों को आयु सीमा में छूट मिलती है, उन्हें भी दूसरे छात्रों की आयु सीमा के बराबर लाया जाए। इन्हीं मांगों के लेकर बांग्लादेश में छात्रों ने हिंसक प्रदर्शन किया, जिसमें 100 से ज्यादा छात्र घायल हुए थे, फिर पीएम शेख हसीना ने आरक्षण खत्म करने की बात संसद में कही थी, माना जा रहा है कि इसी के बाद हाल ही में हुए चुनाव में शेख हसीना को फायदा मिला, वो दो तिहाई बहुमत से चुनकर सत्ता में आई है।