अमित शाह के लिये बदला जाएगा बीजेपी का संविधान या ‘चाणक्य’ की होगी विदाई

पहले अमित शाह ने राजनाथ सिंह के बचे कार्यकाल को पूरा किया, फिर 2016 में तीन साल के पूरे कार्यकाल के लिये अध्यक्ष चुना गया।

New Delhi, Jan 12 : आम चुनाव 2019 से ठीक पहले बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरु हो गई है, पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम आला नेता समेत करीब 10 हजार कार्यकर्ता इसमें शामिल हो रहे हैं, इस बैठक में मोदी का चेहरा तो होगा ही, साथ ही आगामी चुनाव को लेकर रणनीति भी बनेगी, कहा जा रहा है कि अमित शाह अपने हाथों में कमान लेकर फिर चुनावी मैदान में उतरेंगे, हालांकि शाह का अध्यक्ष पद का कार्यकाल इसी महीने 26 जनवरी को पूरा हो रहा है, ऐसे में तीसरी बार उन्हें अध्यक्ष चुनने के लिये बीजेपी के संविधान को बदलना होगा।

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2014 में बने थे अध्यक्ष
आपको बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय राजनाथ सिंह पार्टी के अध्यक्ष थे, प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने के बाद राजनाथ सिंह को मोदी सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी मिली, जिसके बाद पार्टी की कमान अमित शाह ने संभाल ली, पहले अमित शाह ने राजनाथ सिंह के बचे कार्यकाल को पूरा किया, फिर 2016 में तीन साल के पूरे कार्यकाल के लिये अध्यक्ष चुना गया, इस तरह के राजनाथ के दो साल और दूसरी बार मिले कार्यकाल के तीन साल पूरे होने जा रहे हैं।

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बीजेपी का संविधान
ध्यान देने वाली बात ये है कि बीजेपी के संविधान के मुताबिक एक शख्स दो ही बार पूरे कार्यकाल के लिये पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है, पिछले साल सिंतबर में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों ने संकल्प लिया था कि 2019 में 2014 से बड़ी जीत के साथ सत्ता में लौंटेगे, इसके लिये अमित शाह को लोकसभा चुनाव तक अस्थायी अध्यक्ष बनाये रखा जाएगा।

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चुनाव बाद तय होगा अगला अध्यक्ष
2019 आम चुनाव के बाद तय किया जाएगा कि पार्टी की कमान किसे सौपा जाए, अगर अमित शाह को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो इसके लिये बीजेपी का संविधान बदलना पड़ेगा। पार्टी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष वही हो सकता है, जो कम से कम 15 सालों तक पार्टी का सदस्य रहा हो, इसके साथ ही बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन निर्वाचक मंडल के द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय के सदस्य और प्रदेश परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं।

उम्मीदवार की स्वीकृति जरुरी
भारतीय जनता पार्टी के संविधान में ये भी लिखा है कि निर्वाचक मंडल में से कोई भी 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रुप से प्रस्ताव रख सकते हैं, ये संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 ऐसे प्रदेशों से आना जरुरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, साथ ही नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति होनी जरुरी है।